यह नजारा है राजस्थान के निमराना फोर्ट का। अरावली की पहाडिय़ों पर
बने इस किले का निर्माण लगभग 551 साल पहले सन 1464 में हुआ था। नीमराना
फोर्ट पैलेस रिसोर्ट के रूप में इस्तेमाल की जा रही भारत की सबसे पुरानी
ऐतिहासिक इमारतों में से एक है।
कमरे ही नहीं बाथरूम से भी दिखता है बाहर का भव्य नजारा
10 मंजिलें इस विशाल किले को तीन एकड़ में अरावली पहाड़ी और आस पास के
चट्टानों को काट कर बनाया गया है। यही कारण है कि इस महल में नीचे से ऊपर
जाना किसी पहाड़ी पर चढ़ने का अहसास कराता है। नीमराना की भीतरी साज-सज्जा
में काफी छाप अंग्रेजों के दौर की भी देखी जा सकती है। ज्यादातर कमरों की
अपनी बालकनी है जो आसपास की भव्यता का पूरा नजारा प्रदान करती है। यहां तक
की इस किले के बाथरूम से भी आपको हरे-भरे नजारे मिल जायेंगे।
इस पैलेस में हैं 50 भव्य कमरे
दस मंजिलों पर कुल 50 कमरे इस रिसोर्ट में हैं। इसे 1986 में हेरिटेज
रिसोर्ट के रूप में तब्दील कर दिया गया। यहां नजारा महल और दरबार महल में
कॉन्फ्रेंस हाल है। पैलेस में बदले इस किले में कई रेस्तरां बने हैं। इस
पैलेस में ओपन स्विमिंग पूल भी बना है। नाश्ते के लिए राजमहल व हवामहल तो
खाने के लिए आमखास, पांच महल, अमलतास, अरण्य महल, होली कुंड व महा बुर्ज
बने हुए हैं। इस किले की बनावट ऐसी है कि हर कदम पर शाही ठाठ का अहसास होता
है।
देव महल से लेकर गोपी महल तक हर कमरे का है अलग नाम
यहां पर बने हर कमरे का अलग नाम है- देव महल से लेकर गोपी महल तक। नीमराना
की एक खास बात यह है कि यहां कमरे केवल दिन भर के इस्तेमाल के लिए भी मिल
जाते हैं और अगर आप खाली सैर करना चाहते हैं तो मामूली शुल्क देकर दो घंटे
के लिए महल की भव्यता का लुत्फ उठा सकते हैं।
पृथ्वीराज चौहान ने बनाई थी अपनी राजधानी
नीमराना ऐतिहासिक दृष्टि से भी काफी महत्वपूर्ण है। इसे पृथ्वीराज चौहान के
वंशजों ने अपनी राजधानी के रूप में चुना था। पृथ्वीराज चौहान की 1192 में
मुहम्मद गौरी के साथ जंग में मौत हो गई थी। इसके बाद चौहान वंश के राजा
राजदेव ने नीमराना चुना लेकिन यहां का निर्माता मियो नामक बहादुर शासक था।
चौहानों से जंग में हारने के बाद मियो ने अनुरोध किया कि उस जगह को उसके
जगह का नाम दे दिया जाये, तभी से इसे नीमराना कहा जाने लगा।
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