मझगांव डॉकयार्ड में तैयार पहली स्वदेशी स्काॅर्पीन पनडुब्बी को
सोमवार को पानी में उतारा गया। अब इस पनडुब्बी का डेढ़ साल तक समुद्र में
परीक्षण होगा। इसके बाद सितंबर 2016 में इसे नौसेना को सौंप दिया जाएगा। यह
पनडुब्बी फ्रांस के साथ तकनीकी समझाैते के तहत बनाई जा रही हैं।
रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर की मौजूदगी में इसका जलावतरण किया गया। इस तरह
की छह पनडुब्बियां बनाई जाएंगी। इन्हें 2018 तक तैयार कर लिया जाएगा।
ताकत : एंटी सबमरीन, बारूदी सुरंग बिछाने, खुफिया जानकारी जुटाने, निगरानी समेत कई मिशन अंजाम दे सकती है।
आईएनएस कालवारी नाम
इस पनडुब्बी का नाम आईएनएस कालवारी रखा जाएगा। इसी नाम की पनडुब्बी
भारतीय नौसेना के पास 1967 से 1996 तक थी। वो नौसेना की पहली पनडुब्बी थी।
देरी के लिए यूपीए जिम्मेदार : पर्रिकर
पर्रिकर ने कहा कि पनडुब्बी को 2012 में नौसेना में शामिल किया जाना
था लेकिन देरी के लिए कांग्रेस की यूपीए सरकार दोषी है। कांग्रेस सरकार
रक्षा परियोजनाओं को लेकर कभी गंभीर नहीं रही। नौसेना की ताकत बढ़ाने के
लिए 10 साल पहले यह परियोजना शुरू की गई थी। यूपीए सरकार की वजह से इसका बजट
पांच हजार करोड़ बढ़ चुका है। माना जा रहा है कि यह 23,000 करोड़ रुपए तक
जाएगा। मंत्री ने रक्षा क्षेत्र के सभी सार्वजनिक उपक्रमों से तीन वर्ष में
उत्पादन दोगुना करने को कहा।
कुछ ख़ास बातें
216 फीट लंबाई
20 फीट चौड़ाई
06 टॉरपीडो ट्यूब
20 फीट चौड़ाई
06 टॉरपीडो ट्यूब
984 फीट गोता लगाने में सक्षम
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