इस बार 4 अप्रैल, शनिवार को हनुमान जयंती पर खण्डग्रास चंद्रग्रहण का
योग बन रहा है। यह साल 2015 का पहला चंद्रग्रहण होगा, जो भारत में लगभग
साढ़े 3 घंटे दिखाई देगा। यह ग्रहण भारत के कुछ भागों में ग्रस्तोदित दिखाई
देगा। जहां-जहां यह ग्रहण दिखाई देगा, वहीं इसका प्रभाव माना जाएगा।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार शनिवार को ग्रहण दोपहर 03.31 से आरंभ होकर शाम को 07.07 बजे तक रहेगा। ग्रहण का सूतक सुबह से ही आरंभ हो जाएगा, जो ग्रहण के मोक्ष तक रहेगा। इसलिए पूरे दिन हनुमानजी या अन्य कोई देवता का पूजन आदि नहीं हो पाएगा। हनुमान जयंती के कार्यक्रम भी शाम को 07.15 बजे के बाद ही करना श्रेष्ठ रहेंगे।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार शनिवार को ग्रहण दोपहर 03.31 से आरंभ होकर शाम को 07.07 बजे तक रहेगा। ग्रहण का सूतक सुबह से ही आरंभ हो जाएगा, जो ग्रहण के मोक्ष तक रहेगा। इसलिए पूरे दिन हनुमानजी या अन्य कोई देवता का पूजन आदि नहीं हो पाएगा। हनुमान जयंती के कार्यक्रम भी शाम को 07.15 बजे के बाद ही करना श्रेष्ठ रहेंगे।
इसलिए खास है ये चंद्रग्रहण
पं. शर्मा के अनुसार यह चंद्रग्रहण कन्या राशि में होगा। अत: कन्या
राशि वालों को अति सावधानी बरतनी पड़ सकती है। कन्या राशि पर होने वाला
खग्रास चंद्रग्रहण अब तक की सबसे लंबी अवधि वाला होगा। शनिवार व हनुमान
जयंती के संयोग में चंद्रग्रहण पर सभी राशि वाले हनुमानजी की आराधना कर शुभ
फल प्राप्त कर सकते हैं।
जानिए किस राशि पर कैसा होगा चंद्रग्रहण का असर
मेष- इस राशि के लिए यह चंद्रग्रहण शुभ फल देने वाला रहेगा। धन
का लाभ एवं छठी राशि मे चंद्रग्रहण होने से रुके कार्यों में भी गति आएगी।
विवादों में विजय प्राप्त होगी। शुभ समाचारों की वृद्धि होगी। बेरोजगारों
को रोजगार मिलने के योग बनेंगे।
वृषभ- इस राशि से पांचवी राशि में ग्रहण लगेगा, जो सामान्य फल
प्रदान करने वाला होगा। बुरा समय समाप्त होगा और अच्छे कामों में मन लगेगा।
निराशा का अंत होगा। रिश्तेदारों से संबंधों में सुधार होगा एवं धन की आवक
सामान्य रहेगी।
मिथुन- इस राशि से चौथी राशि मे चंद्रग्रहण होगा। यह समय
मिथुन राशि वालों के लिए संभलने का है। कोई भी कार्य ऐसा नही करें, जिससे
चिंताएं बढ़ जाए। धन की आवक कमजोर हो सकती है। निवेश में घाटे की संभावना
है। विवादों से हानि हो सकती है। चोरी आदि से भी सावधान रहना होगा।
कर्क- इस राशि से तीसरी राशि में चंद्रग्रहण शुभ फल देने वाला होगा। शुभ समाचारों की प्राप्ति होगी। रुके कार्य संपन्न होंगे एवं रोगों में सुधार होगा। उधार दिए गए पैसों की वसूली होगी एवं संपत्ति से लाभ होगा एवं नए कार्यों का आरंभ भी हो सकता है।
कर्क- इस राशि से तीसरी राशि में चंद्रग्रहण शुभ फल देने वाला होगा। शुभ समाचारों की प्राप्ति होगी। रुके कार्य संपन्न होंगे एवं रोगों में सुधार होगा। उधार दिए गए पैसों की वसूली होगी एवं संपत्ति से लाभ होगा एवं नए कार्यों का आरंभ भी हो सकता है।
सिंह- दूसरी राशि में चंद्रग्रहण सामान्य लाभ देने वाला
होगा। शुभ सूचनाएं मिलेंगी, किंतु मन उदास रहेगा। मनचाही सफलताएं मिलने में
संदेह रहेगा। आगे बढ़ने में सहायता करने वाले पीछे हटेंगे। रोगों में
वृद्धि हो सकती है, लेकिन कोई गंभीर समस्या नही होगी।
कन्या- राहु एवं चंद्र का गोचर इसी राशि में ग्रहण योग निर्मित करेगा। अत्यंत सावधानी बरतने का समय है। हर कार्य को सावधानी पूर्वक करें एवं किसी से विवाद की स्थिति बनने लगे तो तुरंत वहां से चले जाएं, तो ही बेहतर होगा। वाहन आदि सावधानी से चलाएं एवं निवेश का जोखिम न लें।
कन्या- राहु एवं चंद्र का गोचर इसी राशि में ग्रहण योग निर्मित करेगा। अत्यंत सावधानी बरतने का समय है। हर कार्य को सावधानी पूर्वक करें एवं किसी से विवाद की स्थिति बनने लगे तो तुरंत वहां से चले जाएं, तो ही बेहतर होगा। वाहन आदि सावधानी से चलाएं एवं निवेश का जोखिम न लें।
तुला- बारहवीं राशि में चंद्रग्रहण संभलकर रहने का संकेत
करता है। आय में कमी एवं चिंताओं में वृद्धि हो सकती है। कार्यक्षमता कमजोर
हो सकती है। रिश्तेदारों से विवाद एवं विरोधी प्रभावी हो सकते हैं।
कार्यस्थल पर असम्माननीय स्थिति बन सकती है।
वृश्चिक- एकादश राशि मे चंद्रग्रहण शुभ फल देने वाला होगा। शुभ समाचार एवं आय की वृद्धि के संकेत हैं। संपत्ति से लाभ एवं रुके कार्यों के पूरे होने के संकेत हैं। रोगों में लाभ होगा एवं विरोधी हताश होंगे। कार्य प्रणाली में सुधार होगा।
वृश्चिक- एकादश राशि मे चंद्रग्रहण शुभ फल देने वाला होगा। शुभ समाचार एवं आय की वृद्धि के संकेत हैं। संपत्ति से लाभ एवं रुके कार्यों के पूरे होने के संकेत हैं। रोगों में लाभ होगा एवं विरोधी हताश होंगे। कार्य प्रणाली में सुधार होगा।
धनु- दशम राशि में चंद्रग्रहण होगा यह भी साधारण फल देने
वाला होगा। आय सामान्य बनी रहेगी एवं चिंताओं से मुक्ति मिलेगी। कोई नई
जिम्मेदारी मिल सकती है। अधिकारी प्रसन्न रहेंगे, किंतु कार्य अधिक करना
पड़ सकता है। विरोधी को परास्त करने के लिए प्रयास करना होगा।
मकर- इस राशि को नवम राशि में होने वाले चंद्र ग्रहण का असर रहेगा। न्यायालयीन एवं विवादित मामलों में अपना पक्ष रखने का समय प्राप्त होगा। जिम्मेदारी बढ़ सकती है एवं परिवार का सहयोग प्राप्त होगा। नौकरी में बदलाव हो सकता है।
मकर- इस राशि को नवम राशि में होने वाले चंद्र ग्रहण का असर रहेगा। न्यायालयीन एवं विवादित मामलों में अपना पक्ष रखने का समय प्राप्त होगा। जिम्मेदारी बढ़ सकती है एवं परिवार का सहयोग प्राप्त होगा। नौकरी में बदलाव हो सकता है।
कुंभ- आठवी राशि में चंद्रग्रहण अशुभ फल का सूचक है।
रोगों की वृद्धि हो सकती है। संतान से भी दुख प्राप्त होने के योग बन रहे
हैं। नौकरी में भी चिंताजनक खबर मिल सकती है। यह समय शांत रहने का है। किसी
से विवाद नही करें एवं परिवार वालों की सलाह पर ध्यान देना उचित होगा।
मीन- सप्तम राशि मे चंद्रग्रहण सामान्य फल देने वाला होगा। विचारों की अधिकता रहेगी। नए कार्यों को करने का मौका मिलेगा एवं कार्यशैली में सुधार होगा। क्रेडिट मिलने में संदेह रहेगा। परिवार का सहयोग बना रहेगा। धन की कमी महसूस होगी।
मीन- सप्तम राशि मे चंद्रग्रहण सामान्य फल देने वाला होगा। विचारों की अधिकता रहेगी। नए कार्यों को करने का मौका मिलेगा एवं कार्यशैली में सुधार होगा। क्रेडिट मिलने में संदेह रहेगा। परिवार का सहयोग बना रहेगा। धन की कमी महसूस होगी।
ग्रहण में रखें इन बातों का ध्यान
ग्रहण के दौरान अपने इष्टदेव का ध्यान, गुरु मंत्र का जाप, धार्मिक कथाएं सुननी व पढ़नी चाहिए। इनमें से कुछ न कर पाने की स्थिति में राम नाम का या अपने इष्टदेव के नाम का जाप भी कर सकते हैं। ग्रहण के समय भगवान की मूर्ति को छूना, भोजन पकाना या खाना एवं पीना, सोना, मनोरंजन आदि कार्य नहीं करना चाहिए। ग्रहण के बाद ही पूरे घर की शुद्धि एवं स्नान कर दान देने का महत्व है। गर्भवती महिलाओं के ग्रहण के दौरान बाहर निकलने से बचना चाहिए। ग्रहण के मोक्ष के पश्चात ही पूजनादि से निवृत्त होकर भोजनादि ग्रहण करने का नियम है।
ग्रहण के दौरान अपने इष्टदेव का ध्यान, गुरु मंत्र का जाप, धार्मिक कथाएं सुननी व पढ़नी चाहिए। इनमें से कुछ न कर पाने की स्थिति में राम नाम का या अपने इष्टदेव के नाम का जाप भी कर सकते हैं। ग्रहण के समय भगवान की मूर्ति को छूना, भोजन पकाना या खाना एवं पीना, सोना, मनोरंजन आदि कार्य नहीं करना चाहिए। ग्रहण के बाद ही पूरे घर की शुद्धि एवं स्नान कर दान देने का महत्व है। गर्भवती महिलाओं के ग्रहण के दौरान बाहर निकलने से बचना चाहिए। ग्रहण के मोक्ष के पश्चात ही पूजनादि से निवृत्त होकर भोजनादि ग्रहण करने का नियम है।
चंद्रग्रहण का धार्मिक कारण
अमृत प्राप्ति के लिए जब देवताओं व दानवों ने समुद्र मंथन किया तो समुद्र में से धन्वन्तरि अमृत कलश लेकर निकले, इस अमृत कलश को इंद्र का पुत्र जयंत लेकर भाग गया। अमृत कलश के लिए देवताओं व दानवों में घोर युद्ध हुआ। तब भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप लिया और कहा कि मैं बारी-बारी से देवता व दानवों को अमृत पिला दूंगी। सभी सहमत हो गए। मोहिनी रूपधारी भगवान विष्णु चालाकी से देवताओं को अमृत पिलाने लगे और दानवों के साथ छल लिया।
यह बात राहु नामक दैत्य ने जान ली और वह रूप बदलकर सूर्य व चंद्र के बीच जा बैठा। जैसे ही राहु ने अमृत पीया, सूर्य व चंद्रदेव ने उसे पहचान लिया और मोहिनी रूपधारी भगवान विष्णु को यह बात बता दी। तत्काल भगवान ने सुदर्शन चक्र निकाला और राहु का सिर धड़ से अलग कर दिया, लेकिन अमृत पीने के कारण वह मरा नहीं। राहु के दो टुकड़े हो गए। एक बना राहु दूसरा बना केतु। इस घटना के बाद से राहु ने सूर्य व चंद्रदेव से दुश्मनी पाल ली। धर्म ग्रंथों के अनुसार राहु व केतु उसी बात का बदला ग्रहण के रूप में लेते हैं।
अमृत प्राप्ति के लिए जब देवताओं व दानवों ने समुद्र मंथन किया तो समुद्र में से धन्वन्तरि अमृत कलश लेकर निकले, इस अमृत कलश को इंद्र का पुत्र जयंत लेकर भाग गया। अमृत कलश के लिए देवताओं व दानवों में घोर युद्ध हुआ। तब भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप लिया और कहा कि मैं बारी-बारी से देवता व दानवों को अमृत पिला दूंगी। सभी सहमत हो गए। मोहिनी रूपधारी भगवान विष्णु चालाकी से देवताओं को अमृत पिलाने लगे और दानवों के साथ छल लिया।
यह बात राहु नामक दैत्य ने जान ली और वह रूप बदलकर सूर्य व चंद्र के बीच जा बैठा। जैसे ही राहु ने अमृत पीया, सूर्य व चंद्रदेव ने उसे पहचान लिया और मोहिनी रूपधारी भगवान विष्णु को यह बात बता दी। तत्काल भगवान ने सुदर्शन चक्र निकाला और राहु का सिर धड़ से अलग कर दिया, लेकिन अमृत पीने के कारण वह मरा नहीं। राहु के दो टुकड़े हो गए। एक बना राहु दूसरा बना केतु। इस घटना के बाद से राहु ने सूर्य व चंद्रदेव से दुश्मनी पाल ली। धर्म ग्रंथों के अनुसार राहु व केतु उसी बात का बदला ग्रहण के रूप में लेते हैं।

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