विश्व प्रसिद्ध मंदिरों में मध्यप्रदेश का चौसठ योगिनी मंदिर भी अपनी
कहानियों से काफी प्रसिद्ध है। चौसठ योगिनी मंदिर को पहले तांत्रिक
विश्वविद्यालय कहा जाता है। इस विश्वविद्यालय में न तो कोई प्रोफेसर है और न
ही कोई स्टूडेंट। इसके बाद भी यहां लोग तांत्रिक कर्मकांड के लिए अक्सर
रात में आते हैं।
9वीं सदी में प्रतिहार वंश के राजाओं द्वारा बनाए गए इस मंदिर में 101
खंबे और 64 कमरों में एक-एक शिवलिंग है। मंदिर के मुख्य परिसर में भी एक
बड़ा शिवलिंग स्थापित है। माना जाता है कि हर कमरे में शिवलिंग के साथ देवी
योगिनी की मूर्ति भी रही होगी, लेकिन अब ये योगिनियां वहां न होते हुए
दिल्ली के संग्रहालय में सुरक्षित रखी हैं। इसी आधार पर इसका नाम चौसठ
योगिनी मंदिर पड़ा। पिछले कुछ वर्षों से यहां टूरिस्टों की तेजी से बढ़ोतरी
हुई है।
एडविन ने इसी तर्ज पर बनाया संसद भवन
यह स्थान करीब 40 कि.मी. दूर है। इस स्थान पर पहुंचने के लिए ग्वालियर से मुरैना रोड पर जाना पड़ेगा। मुरैना से पहले करह बाबा से या फिर मालनपुर रोड से पढ़ावली पहुंचा जा सकता है। पढ़ावली ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। यही वह शिवमंदिर है, जिसको आधार मानकर ब्रिटिश वास्तुविद् सर एडविन लुटियंस ने संसद भवन बनाया।
यह स्थान करीब 40 कि.मी. दूर है। इस स्थान पर पहुंचने के लिए ग्वालियर से मुरैना रोड पर जाना पड़ेगा। मुरैना से पहले करह बाबा से या फिर मालनपुर रोड से पढ़ावली पहुंचा जा सकता है। पढ़ावली ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। यही वह शिवमंदिर है, जिसको आधार मानकर ब्रिटिश वास्तुविद् सर एडविन लुटियंस ने संसद भवन बनाया।
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