किसी
समय की बात है। जंगल के पास एक गांव था। गांव के किनारे से एक नदी बहती थी।
नदी पर एक पुल था। पुल के नीचे एक राक्षस रहता था। जंगल में तीन बकरे चर
रहे थे। सबसे बड़े बकरे ने सबसे छोटे बकरे से कहा, नदी के पार गांव के खेतों
में खूब फल-सब्जी लगे हुए हैं। उनकी महक यहां तक आ रही है। पुल पार से नदी
पार करके उन्हें खा आए। छोटा बकरा पुल पार करने लगा। जब वह पुल के बीच तक
पहुंच गया तो दानव पुल के ऊपर चढ़ आया और अपने बड़े-बड़े नाखून दिखाकर नन्हे
बकरे को डराते हुए बोला, मुझे बहुत भूख लगी है। मैं तुझे खा जाऊंगा। डर से
कांपते हुए नन्हा बकरा बोला, मुझे मत खाओ दानव। मैं बहुत छोटा हूं। मुझसे
तुम्हारी भूख नहीं मिटेगी। मेरे दो बड़े दोस्त हैं। वे अभी इसी ओर आने वाले
हैं। उन्हें खा लो।
दानव बड़े बकरों को खाने के लालच में आ गया। बोला, अच्छा तू जा। मैं बड़े
बकरों का इंतजार करूंगा। नन्हा बकरा वहां से भागा और गांव के खेत में
पहुंचकर ताजा फल-सब्जी खाने लगा। सबसे बड़े बकरे ने तब मंझले बकरे से कहा,
अब तू पुल पर से गांव की ओर जा। मंझला बकरा पुल पार करने लगा। जब वह पुल के
बीच पहुंचा तो दानव ऊपर चढ़ आया और अपने सींग और नाखून से उसे डराते हुए
बोला, मुझे बहुत भूख लगी है। मैं तुझे खा जाऊंगा। मझले बकरे ने कहा, मुझे
जाने दो दानव। मैं अभी छोटा ही हूं। मुझसे तुम्हारी भूख नहीं मिटेगी। अभी
मेरा एक दोस्त आने वाला है। वह मुझसे बहुत बड़ा है। उसे खा लो। दानव बोला,
अच्छा तू जा। मझला बकरा वहां से भागकर नन्हे बकरे के पास पहुंच गया।
अब बड़ा बकरा पुल पार करने लगा। वह खूब मोटा और तगड़ा था। उसके चलने से पुल
हिलने लगा। उसके सींग लंबे और खूब नुकीले थे। जब वह पुल के बीच पहुंचा तो
दानव एक बार फिर पुल के ऊपर चढ़ आया और अपने सींग और नाखून से उसे डराते हुए
बोला, मुझे बड़ी भूख लगी है। मैं तुझे अभी खा जाऊंगा। बड़ा बकरा जरा भी नहीं
डरा। उसने अपने अगले पांवों से जमीन कुरेदते हुए हुंकार भरी और सिर नीचा
करके दानव के पेट पर अपने सींगों से जोर से प्रहार किया। दानव दूर नदी में
जा गिरा। अब बड़ा बकरा इत्मीनान से पुल पार कर गया और अपने दोनों साथियों के
पास पहुंचकर मनपसंद भोजन करने लगा।
सीख: 1. जो डरता नहीं है वही अपने जीवन में सफल होता है।
2. रिस्क से न डरे वही काम करे जिससे आपको खुशी हो।
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