Monday, 6 April 2015

यह है 'खूनी भंडारा', मिनरल वॉटर से भी शुद्ध है यहां का पानी, बनवाया था मुगलों ने

यह है खूनी भंडारा। हालांकि इसका संबंध खून से कतई नहीं है। यह है शुद्ध पानी का कभी खत्म न होने वाला भंडार। सतपुड़ा की पहाड़ियों से रिसकर सुरंगों में जमा हुआ पानी भूमिगत कुंडियों के माध्यम से शहर में सप्लाय होता है। यानी नलों की तरह कुंडियां बनी हैं। इस कारण इसका नाम बाद में कुंडी भंडारा हुआ। इसकी आश्चर्यजनक विशेषताओं के कारण यह दुनियाभर के विशेषज्ञों के शोध का विषय रहा है।
चार सौ साल पहले मुगल काल में पानी की यह अद्भुत संरचना बनाई गई थी। आज भी यह न सिर्फ जिंदा है बल्कि मिनरल वॉटर से बेहतर गुणवत्ता का पानी बुरहानपुर शहर के एक हिस्से को मिल रहा है। पानी बांटने के लिए शहरभर में छोटी-छोटी कुंडियां बनी हैं इसलिए इसे कुंडी भंडारा भी कहा जाता है। इसका पानी नामी कंपनियों के मिनरल वॉटर से भी शुद्ध है, यह कई संस्था और शोध से स्पष्ट हो चुका है। मिनरल वॉटर का औसत पीएच 7.8 से 8.2 होता है जबकि यहां के पानी का 7.2 से 7.5 है।
ये हैं कुंडी भंडारा की खासियत
> अकबर के शासनकाल में बुरहानपुर के सूबेदार अब्दुल रहीम खानखाना थे। उन्हें 1612 में इस भूमिगत जल भंडार का पता चला। 1615 में निर्माण कर पूरे शहर में सप्लाय शुरू की। तब पूरा शहर यही पानी पीता था।
>बुरहानपुर की तरह विश्व में केवल ईरान में कुंडी भंडारा की तरह भूमिगत जल वितरण प्रणाली थी। हालांकि अब यह बंद पड़ी है। मुगलों का ईरान से नजदीकी रिश्ता रहा है, इसलिए यह प्रणाली वहीं से आयातित की गई है। हालांकि जीवित प्रणाली अब केवल बुरहानपुर में है।
> शहर के लालबाग क्षेत्र के 40 हजार से ज्यादा लोग कुंडी भंडारा का पानी पी रहे हैं। रोजाना सवा लाख लीटर पानी सप्लाय किया जाता है।
> 101 कुंडियां थी। अब कुछ धंसकर खत्म हो चुकी हैं। जल संरचना की बनावट इस तरह है कि पांच किमी दूर तक बगैर मोटर पंप के हवा के दबाव से पानी सप्लाय होता था। कुछ कुंडियां धंसने से अब जल वितरण के लिए पंप का सहारा लेना पड़ रहा है। शोध करने वाले सुधीर पारीख के मुताबिक साइफनिक पद्धति से तब पूरे शहर में पानी सप्लाय होता था।
विश्व विरासत में शामिल करने के प्रयासों में तेजी
विश्व विरासत की सूची में खूनी भंडारा को शामिल करने के लिए 2007 में यूनेस्को की टीम बुरहानपुर का दौरा कर चुकी है। यहां का पहुंच मार्ग खराब होने और छोटी-मोटी कमियों के कारण तब इसे शामिल नहीं किया जा सका। नगर निगम में नई परिषद बनने के बाद प्रयासों में फिर तेजी आई है। महापौर अनिल भोंसले का कहना है 25 करोड़ रुपए से पातोंडा के पास रेलवे ओवरब्रिज बनाया जा रहा है। तब पर्यटक सीधे कुंडी भंडारा पहुंच सकेंगे। यूनेस्को की सारी शर्ते पूरी की जा रही हैं। राज्य सरकार से बात करके जल्द इसे सूची में शामिल कराया जाएगा।

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