विश्व प्रसिद्ध प्रेमकथाओं में मध्य प्रदेश के राजा मानसिंह और रानी गुजरी की प्रेम कहानी सदियों से अपनी गाथा गा रही है। जो 600 साल पहले
ग्वालियर के राजा मानसिंह ने अपनी पटरानी के लिए गुजरी महल बनवाया था।
हिंदू स्थापत्य कला का अद्भुत नमूना यह महल आज भी राजा मानसिंह और
उनकी पटरानी गूजरी की प्रेम गाथा प्रतीत होता है। इसमें स्थित स्नानागार उस
समय की इंजीनियरिंग का बेहतरीन नमूना है। इसमें राजा मानसिंह ने रानी
मृगनयनी की गांव से पाइप लाइन डालकर पानी की व्यवस्था की थी। आज भी इस महल
में 600 साल पहले डाली गई पाइप लाइन के साक्षय हैं।
निन्नी के लिए बनाया गूजरी महल
मृगनयनी का असली नाम निन्नी था। वह तिघरा के पास राई गांव की रहने वाली गुर्जर परिवार से थीं। एक बार राजा मानसिंह जब वहां से गुजरे तो वहां देखा कि दो सांडों की लड़ाई को निन्नी ने आसानी से रोक दिया। यह देख राजा मानसिंह ने उनसे शादी करने की इच्छा उनके परिजनों ने जताई,लेकिन निन्नी ने अपनी तीन शर्तें राजा के सामने रख दीं।
मृगनयनी का असली नाम निन्नी था। वह तिघरा के पास राई गांव की रहने वाली गुर्जर परिवार से थीं। एक बार राजा मानसिंह जब वहां से गुजरे तो वहां देखा कि दो सांडों की लड़ाई को निन्नी ने आसानी से रोक दिया। यह देख राजा मानसिंह ने उनसे शादी करने की इच्छा उनके परिजनों ने जताई,लेकिन निन्नी ने अपनी तीन शर्तें राजा के सामने रख दीं।
इनमें पहली अपने गांव से पानी लाना,दूसरी उनके लिए अलग से महल
होगा,तीसरी युद्ध क्षेत्र में राजा के साथ ही रहेंगी। मानसिंह ने तीनों
शर्तें मान लीं। मृग जैसी बड़ी आंखों वाली निन्नी को बाद में उन्होंने
मृगनयनी नाम दिया और 1506 के आसपास इस 28 कमरों वाला भव्य गूजरी महल का
निर्माण करवाया। साथ ही टेराकोटा की बनी पाइप के द्वारा पानी को इस महल तक
लाया गया।
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