परदे पर संजीदा एक्टिंग के जरिए अभिनय की नई परिभाषा गढ़ने वाले मनोज
बाजपेयी 46 साल के हो चुके हैं। 23 अप्रैल 1969 को बिहार में उनका जन्म हुआ
था। मनोज ने अभिनय की पारी दूरदर्शन पर प्रसारित सीरियल 'स्वाभिमान' से
की। वहीं, एक प्रयोगधर्मी अभिनेता के रूप में पहचान बना चुके मनोज का
फिल्मी सफर शेखर कपूर की बहुचर्चित फिल्म ‘बैंडिट क्वीन’ के साथ शुरू हुआ।
लेकिन बॉलीवुड में उनको सही मुकाम रामगोपाल वर्मा की फिल्म सत्या’ ने
दिलाया। इसमें उन्होंने भीखू म्हात्रे का किरदार इतने संजीदा और बेहतर ढंग
से निभाया कि इसके लिए उन्हें बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर का नेशनल अवॉर्ड भी
मिला। इसके अलावा ‘शूल’ ने जहां उन्हें बेस्ट एक्टर का फिल्मफेयर पुरस्कार
दिलाया, तो वहीं पिंजर के लिए उन्हें एक बार फिर राष्ट्रीय पुरस्कार से
नवाजा गया।
अब तक के करियर में दी कई यादगार फिल्में
अब तक के करियर में उन्होंने वीर जारा, जुबैदा, रोड, अक्स, शूल,
स्पेशल 26, चक्रव्यूह और गैंग्स ऑफ वासेपुर जैसी यादगार फिल्में दी है।
मनोज ने 2006 में एक्ट्रेस शबाना रजा के साथ शादी की। जिसके बाद उनके यहां
बेटी अावा नायला का जन्म हुआ। मनोज बाजपेयी के जन्मदिन के मौके पर
Dainikbhaskar.com आपको उनकी लाइफ से जुड़े कुछ दिलचस्प पहलुओं से वाकिफ
कराने जा रहा है।
जब कैटरीना हुई मनोज की एक्टिंग से इम्प्रेस्ड
प्रकाश झा की फिल्म राजनीति में मनोज बाजपेयी ने बेजोड़ एक्टिंग का
नमूना पेश किया। इसमें उनके द्वारा निभाए गए वीरेंद्र प्रताफ उर्फ वीरू
भैया के किरदार ने अभिनय का एक नया मुहावरा गढ़ा।बताया जाता है कि इस फिल्म
के प्रीमियर शो के बाद कैटरीना कैफ
मनोज की एक्टिंग से इस कदर प्रभावित हुईं कि उन्होंने उठकर उनके पैर छू
लिए। वहीं ये भी दिलचस्प बात है कि मनोज बाजयेपी नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से
चार बार रिजेक्ट किए गए। हालांकि, उन्होंने उम्मीद नहीं छोड़ी और इसके बाद
उन्होंने बैरी जॉन के साथ थियेटर किया।
किरदारों में पूरी तरह डूब जाते हैं मनोज
अपने सिने सफर में अलग-अलग तरह के किरदार निभाने वाले मनोज बाजपेयी का
ड्रीम रोल देवदास है, जिसे वो निभाना चाहते थे, लेकिन अब तक उनकी ये
ख्वाहिश पूरी नहीं हो सकी है। एक बार मनोज बाजपेयी ने कहा था कि वो अपने
किरदारों में इतने खो जाते हैं कि वो रियल लाइफ और रील लाइफ में फर्क करना
ही भूल जाते हैं।
जब दिल्ली में रहते हुए गुजारे तंगहाली के दिन
बताया जाता है कि एक जमाने में मनोज बाजपेयी दिल्ली में तीन सौ रुपए
प्रतिमाह में गुजर-बसर करते थे, जिसमें से एक सौ पचास रुपए. उन्हें अपने
पिता से मिलते थे और बाकी एक सौ पचास रु. वो नुक्कड़ नाटकों में एक्टिंग के
जरिए कमाते थें।
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