रतन टाटा से जुड़ा ये किस्सा रविवार को सामने आया। उजागर किया टाटा के
बेहद करीबी प्रवीण काडले ने। मौका था मुंबई में गुरुवार को टाटा को दिए गए
वाईबी चव्हाण पुरस्कार समारोह का। टाटा की जगह काडले ने पुरस्कार लिया और
फोर्ड से लिए गए कारोबारी बदले की यह कहानी सुनाई...
हमने उसी शाम डेट्राॅयट से न्यूयाॅर्क लौटने का फैसला किया। 90 मिनट की फ्लाइट में रतन टाटा उदास से रहे। इस घटना के नौ साल बाद 2008 में फोर्ड दिवालिया होने के कगार पर पहुंच गई। अमेरिकी ऑटो हब डेट्रॉयट की ही हालत खराब हो चली थी। तब टाटा ने फोर्ड का लग्जरी ब्रांड जगुआर-लैंडरोवर (जेएलआर) खरीदने का फैसला किया। बात करने फोर्ड के अधिकारी बॉम्बे हाउस आए थे। सौदा 2.3 अरब डॉलर (उस समय 9300 करोड़ रुपए) में हुआ। तब बिल फोर्ड ने टाटा से कहा- ‘जेएलआर खरीदकर आप हम पर बहुत बड़ा अहसान कर रहे हैं।’ दरअसल जेएलआर से फोर्ड को भारी नुकसान हो रहा था। कुछ ही साल में टाटा जेएलआर को मुनाफे में ले आए। -प्रवीण काडले, टाटा कैपिटल के सीईओ
कहते हैं, आम लोग अपमान का बदला तत्काल लेते हैं, पर महान उसे अपनी
जीत का साधन बना लेते हैं। रतन टाटा के कारोबारी फैसलों से इसे साफ-साफ
समझा जा सकता है। एक वाकया सुनाता हूं। रतन टाटा 1998 में हैचबैक कार
इंडिका लेकर आए थे। लेकिन यह लॉन्च बुरी तरह फेल रहा। एक साल तक लोगों ने
इसे पसंद ही नहीं किया। बिक्री नहीं के बराबर हो रही थी। तब कुछ लोगों ने
रतन टाटा को कार डिवीजन बेचने की सलाह दी। उन्होंने भी मान ली। कई कंपनियों
से संपर्क किया गया। अमेरिकी कंपनी फोर्ड ने रुचि दिखाई। उसके अधिकारी
टाटा के मुख्यालय बॉम्बे हाउस आए।
शुरुआती बातचीत के बाद हमें फोर्ड हेडक्वार्टर डेट्रॉयट बुलाया गया।
चेयरमैन रतन टाटा के साथ मैं भी वहां गया। हमने करीब तीन घंटे तक बात की।
लेकिन हमारे साथ उनका रवैया अपमानजनक था। लंबी बातचीत के दौरान कंपनी के
चेयरमैन बिल फोर्ड ने कहा कि ‘जब आपको पैसेंजर कार के बारे में कुछ पता ही
नहीं था तो बिजनेस शुरू क्यों कर दिया। हम इसे खरीदकर आप पर एहसान ही
करेंगे।’
हमने उसी शाम डेट्राॅयट से न्यूयाॅर्क लौटने का फैसला किया। 90 मिनट की फ्लाइट में रतन टाटा उदास से रहे। इस घटना के नौ साल बाद 2008 में फोर्ड दिवालिया होने के कगार पर पहुंच गई। अमेरिकी ऑटो हब डेट्रॉयट की ही हालत खराब हो चली थी। तब टाटा ने फोर्ड का लग्जरी ब्रांड जगुआर-लैंडरोवर (जेएलआर) खरीदने का फैसला किया। बात करने फोर्ड के अधिकारी बॉम्बे हाउस आए थे। सौदा 2.3 अरब डॉलर (उस समय 9300 करोड़ रुपए) में हुआ। तब बिल फोर्ड ने टाटा से कहा- ‘जेएलआर खरीदकर आप हम पर बहुत बड़ा अहसान कर रहे हैं।’ दरअसल जेएलआर से फोर्ड को भारी नुकसान हो रहा था। कुछ ही साल में टाटा जेएलआर को मुनाफे में ले आए। -प्रवीण काडले, टाटा कैपिटल के सीईओ
कुछ ख़ास बातें: 1999 - रतन टाटा
कार बिजनेस बेचने फोर्ड के पास गए थे। तब फोर्ड ने कहा था- ‘आपको पैसेंजर
कार के बारे में कुछ पता नहीं तो बिजनेस शुरू क्यों किया... इसे खरीदकर
अहसान ही करूंगा।’
2008 - टाटा ने फोर्ड का घाटे में चल रहा
जगुआर-लैंडरोवर खरीद लिया। तब फोर्ड ने कहा- ‘कंपनी खरीदकर आप हम पर बड़ा
अहसान कर रहे हैं।’ उस साल जेएलआर को 1800 करोड़ रु. का नुकसान हुआ। इससे
टाटा मोटर्स को 2500 करोड़ का घाटा हुअा। तब मार्केट वैल्यू 6500 करोड़ रुपए
रह गई थी। आज 1.79 लाख करोड़ है।
जेएलआर के दम पर सारी कमाई
पिछले साल टाटा मोटर्स ने 2.33 लाख करोड़ कमाए। इसमें जेएलआर का हिस्सा
1.90 लाख करोड़ रु. था। जेएलआर से टाटा को 17 हजार करोड़ का मुनाफा।
82% कमाई टाटा मोटर्स को जेएलआर से
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