हरियाणा प्रदेश पौराणिक और ऐतिहासिक दृष्टि से बेहद गौरवमयी एवं
उल्लेखनीय जगह है। कई खास स्थलों के कारण इसका इतिहास में अपना ही महत्व
है। आपको आज पाण्डव
गुफा के बारे में बताने जा रहा हुँ, जिसे आज तक कोई भी पार नहीं कर पाया है।
माना जाता है कि महाभारत समय के कई रहस्य इस गुफा में आज भी छिपे हुए हैं।
टिब्बा यानी पहाड़ की चोटी पर छोटा सा समतल भाग। जिसकी ऊंचाई समुद्र तल से लगभग 2500 मीटर से ज्यादा ही होगी। हिमाचल प्रदेश के करोल टिब्बा के पास है यह पांडव गुफा। पौराणिक कथाओं के अनुसार वनवास काल में पांडव यहां आये थे। यह गुफा यहां से चलकर हरियाणा के कालका-पंचकूला के पास निकलती है। पांडव इसका उपयोग रहने व आने जाने में करते थे। यह गुफा हरियाणा को हिमाचल से जोड़ती है।
टिब्बा यानी पहाड़ की चोटी पर छोटा सा समतल भाग। जिसकी ऊंचाई समुद्र तल से लगभग 2500 मीटर से ज्यादा ही होगी। हिमाचल प्रदेश के करोल टिब्बा के पास है यह पांडव गुफा। पौराणिक कथाओं के अनुसार वनवास काल में पांडव यहां आये थे। यह गुफा यहां से चलकर हरियाणा के कालका-पंचकूला के पास निकलती है। पांडव इसका उपयोग रहने व आने जाने में करते थे। यह गुफा हरियाणा को हिमाचल से जोड़ती है।
यहां चोटी पर एक छोटा सा मंदिर है। दो-तीन मूर्तियां रखी हुई हैं और
बीच में हवन कुण्ड है। बगल में एक धर्मशाला भी है। इसमें दो कमरे हैं। एक
में ताला लगा हुआ है। नीची छत और बिना खिड़की की धर्मशाला है यह। बर्फबारी
में भी थोड़ी देर आग जला लेने पर रात भर के लिए पर्याप्त गर्मी मिल सकती
है। धर्मशाला के पीछे कंक्रीट की एक टंकी है। इसमें पीने के लिए पानी भरा
रहता है। पहाड़ की चोटी पर प्राकृतिक पानी की कमी रहती है क्योंकि यह नीचे
चला जाता है।
इसी मंदिर के पीछे व चट्टानों के नीचे एक गुफा है। जिसे लोग पांडव गुफा के
नाम से जानते हैं। इस गुफा के अंदर घुप्प अंधेरा है। गुफा के अंदर घुसते ही
कुछ दूर तक नीचे उतरने के लिए सीढियां व रेलिंग बनी हुई है। अंदर पानी के
रिसाव के कारण नमी व फिसलन है। रिसाव से गुफा की चट्टानों पर अजीब-अजीब
आकृतियां बनी हुई हैं। अंधेरा व फिसलन होने के कारण इस गुफा के ज्यादा अंदर
नहीं जाया जा सकता है। आज तक इस गुफा को किसी ने भी पार नहीं किया, इसलिए
यह गुफा खुद में ही एक रहस्य बना हुआ है। आज तक यह कोई भी नहीं जान सका कि
कितने रहस्य इस गुफा में छुपे हुए हैं।
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