आज पूरी दुनिया में गुडफ्राइडे मनाया जा रहा है। ईसा मसीह (जीसस
क्राइस्ट) को आज ही के दिन सूली पर चढ़ाया गया था। ईसा मसीह को सूली पर
चढ़ाने और दफनाने को लेकर कई विद्वान आज भी एकमत नहीं है। येरुशलम में
मौजूद चर्च ऑफ होली सेपल्कर को ही उनके आखिरी स्थान के तौर पर पहचाना जाता
है। ईसा मसीह को दो चोरों के साथ सूली पर चढ़ाया गया था। इसका जिक्र बाइबिल
में मिलता है।
क्यों चढ़ाया गया था सूली पर
मान्यताओं के अनुसार, आज से ढाई हजार पहले यहूदियों के उच्च धर्माध्यक्ष और प्रचीन इजरायल की सुप्रीम काउंसिल ने ईशनिंदा का दोषी पाते हुए ईसा मसीह को मौत की सजा सुनाई गई थी। तब इजरायल के येरुशलम (अब इजरायल की राजधानी) में जिस जगह पर चर्च ऑफ होली सेपल्कर बना है, वहीं उन्हें सूली पर चढ़ाया गया (क्रूसीफिकेशन) था। बाद में वहीं दफना भी दिया गया।
मान्यताओं के अनुसार, आज से ढाई हजार पहले यहूदियों के उच्च धर्माध्यक्ष और प्रचीन इजरायल की सुप्रीम काउंसिल ने ईशनिंदा का दोषी पाते हुए ईसा मसीह को मौत की सजा सुनाई गई थी। तब इजरायल के येरुशलम (अब इजरायल की राजधानी) में जिस जगह पर चर्च ऑफ होली सेपल्कर बना है, वहीं उन्हें सूली पर चढ़ाया गया (क्रूसीफिकेशन) था। बाद में वहीं दफना भी दिया गया।
पहली सदी में ईसा को सूली पर चढ़ाई गई, लेकिन इस जगह की पहचान चौथी
सदी में हो पाई थी। ये चर्च ईसाई समुदाय के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से
एक है। दुनियाभर से लोग यहां पहुंचते हैं। इसे 'गोलगोथा' और 'द प्लेस ऑफ
स्कल' के नाम से भी जाना जाता है। इसकी पहचान एक ऐसे जगह के तौर पर की गई,
जहां शहर की दीवार के बाहर एक वीरान पत्थर की खदान है।
इजरायल का अलग मत
ईसा मसीह के सूली पर चढ़ाए जाने के करीब 10 साल बाद इस जगह को तीसरी दीवार बनाकर घेर दिया गया। हालांकि, ईसाई समुदाय मौजूदा वक्त में गार्डन टॉम्ब पर ईसा मसीह की कब्र और उनके पुनर्जीवित होने की जगह मानता है। इस जगह की खोज 1867 में हुई, जिसके बाद 1894 से गार्डन टॉम्ब और इसके आस-पास के बगीचों का ईसाइयों के धार्मिक स्थल के तौर पर रख-रखाव किया जा रहा है।
ईसा मसीह के सूली पर चढ़ाए जाने के करीब 10 साल बाद इस जगह को तीसरी दीवार बनाकर घेर दिया गया। हालांकि, ईसाई समुदाय मौजूदा वक्त में गार्डन टॉम्ब पर ईसा मसीह की कब्र और उनके पुनर्जीवित होने की जगह मानता है। इस जगह की खोज 1867 में हुई, जिसके बाद 1894 से गार्डन टॉम्ब और इसके आस-पास के बगीचों का ईसाइयों के धार्मिक स्थल के तौर पर रख-रखाव किया जा रहा है।
क्रूसीफिकेशन का इतिहास
क्रूसीफिकेशन यानी सूली पर चढ़ाने का इतिहास ईसा मसीह के जन्म से पहले का माना जाता है। ब्रिटेनिका रिपोर्ट के मुताबिक, सूली पर चढ़ाए जाने के पहला ऐतिहासिक रिकॉर्ड करीब 519 ईसा पूर्व का है, जब बेबीलोन में पर्शिया के राजा डरिअस प्रथम ने अपने 3000 राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को सूली पर चढ़वा दिया था।
क्रूसीफिकेशन यानी सूली पर चढ़ाने का इतिहास ईसा मसीह के जन्म से पहले का माना जाता है। ब्रिटेनिका रिपोर्ट के मुताबिक, सूली पर चढ़ाए जाने के पहला ऐतिहासिक रिकॉर्ड करीब 519 ईसा पूर्व का है, जब बेबीलोन में पर्शिया के राजा डरिअस प्रथम ने अपने 3000 राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को सूली पर चढ़वा दिया था।
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