(स्कॉलरशिप जीतने वाली भारतीय छात्रा अशिया इस्लाम)
भारतीय छात्रों की प्रतिभा का लोहा पूरी दुनिया मानती है। यह यूं ही नहीं है बल्कि भारतीय छात्रों ने हर मौके पर इसे साबित भी करके दिखाया है। एक बार फिर यूके की प्रतिष्ठित गेट्स कैंब्रिज स्कॉलरशिप के बहाने भारतीयों ने अपनी मेधा साबित की। बताते चलें कि 54 स्कॉलरशिप पाने के लिए दुनियाभर के 28 देशों के छात्र रेस में थे, 6 भारतीयों ने भी इसके लिए अपनी योग्यता साबित की। कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में अक्टूबर से रिसर्च कोर्स के लिए दी जाने वाली इस स्कॉलरशिप के लिए इस बार कुल 3,535 एप्लिकेशन प्राप्त हुए थे।
भारतीय छात्रों की प्रतिभा का लोहा पूरी दुनिया मानती है। यह यूं ही नहीं है बल्कि भारतीय छात्रों ने हर मौके पर इसे साबित भी करके दिखाया है। एक बार फिर यूके की प्रतिष्ठित गेट्स कैंब्रिज स्कॉलरशिप के बहाने भारतीयों ने अपनी मेधा साबित की। बताते चलें कि 54 स्कॉलरशिप पाने के लिए दुनियाभर के 28 देशों के छात्र रेस में थे, 6 भारतीयों ने भी इसके लिए अपनी योग्यता साबित की। कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में अक्टूबर से रिसर्च कोर्स के लिए दी जाने वाली इस स्कॉलरशिप के लिए इस बार कुल 3,535 एप्लिकेशन प्राप्त हुए थे।
जिन छह भारतीय छात्रों को यह स्कॉलरशिप मिला है उनमें, अशिया इस्लाम,
श्रीधर राजन जगन्नाथन, श्रद्धा कौर, अनंत नारायण कुमार, सबा शर्मा और
स्नेहा श्रीधरन शामिल हैं। गेट्स कैम्ब्रिज ट्रस्ट के सीईओ प्रोफ़ेसर बैरी
इवरिट के मुताबिक़ टफ कॉम्पिटीशन के बाद स्कॉलरशिप के लिए इन छात्रों का
सिलेक्शन हुआ है।
स्कॉलरशिप जीतने वालों में से एक स्टूडेंट अशिया इस्लाम कैम्ब्रिज
यूनिवर्सिटी के साइकॉलिजी डिपार्टमेंट में रिसर्च कर रही हैं। बताते चलें
कि वे 2012 दिल्ली गेंग रेप के बाद उन महिलाओं के एक्सपीरियंस का अध्ययन कर
रही हैं, जो भारत के छोटे शहरों से निकलकर तेजी से ग्लोबलाइज्ड हो रहे
दिल्ली में आ बसती हैं। उनके अध्ययन में विशेष फोकस यह है कि महिलाएं कैसे
यहां विस्थापन और तेजी से बढ़ रहे यौन हिंसा के बीच तालमेल रखती हैं।
गेट्स कैम्ब्रिज स्कॉलरशिप की स्थापना 2000 में बिल और मेलिंडा गेट्स
फाउंडेशन ने की थी। इसका मकसद हर साल दुनिया के बेस्ट स्कॉलर्स को
स्कॉलरशिप प्रदान कर प्रोत्साहित करना था।
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