शत्रुघ्न सिन्हा ने ग्रे शेड कैरेक्टेर हो या फिर रूमानियत से भरे
नायक का किरदार, दोनों ही बखूबी निभाया है। साठ-सत्तर के दशक में प्राण,
अमजद खान और अमरीश पुरी जैसे दिग्गजों से भरे हिंदी सिनेमा में फिल्म एण्ड
टीवी संस्थान से अभिनय में प्रशिक्षित शत्रुघ्न सिन्हा ने बॉलीवुड में
एंट्री ली। शत्रुघ्न सिन्हा 69 साल के हो गए हैं।
शत्रुघ्न सिन्हा अपनी संवाद शैली और चाल-ढ़ाल से जल्द ही दर्शकों के
चहेते बन गए। शत्रुघ्न सिन्हा बॉलीवुड में हीरो बनने की चाहत लिए हुए आए
थे, लेकिन इंडस्ट्री ने उन्हें शुरूआती फिल्मों में खलनायक बना दिया।
खलनायकी के रूप में छाप छोडऩे के बाद वे हालांकि हीरो भी बने। शत्रुघ्न की
डॉयलाग डिलीवरी एकदम मुंहफट शैली की रही। उनके मुंह से निकलने वाले शब्द
बंदूक की गोली की तरह असरदार थे, लिहाजा उन्हें 'शॉटगन' का टाइटल भी दे
दिया गया।
अमिताभ और शत्रुघ्न की जोड़ी छाई
एक दौर ऐसा भी आया जब एंग्री यंग मैन अमिताभ बच्चन
के साथ शत्रुघ्न की एक के बाद एक अनेक फिल्में रिलीज होने लगीं। 1979 में
यश चोपड़ा के निर्देशन में बनीं फिल्म 'काला पत्थर' आई थी। इसके नायक
अमिताभ थे। यह फिल्म 1975 में बिहार की कोयला खदान चसनाला में पानी भर जाने
और सैकडों मजदूरों को बचाने की सत्य घटना पर आधारित थी। इस फिल्म में
शत्रुघ्न ने मंगलसिंह नाम के एक अपराधी का रोल निभाया। इन दो अभिनेताओंं की
टक्कर इस फिल्म में आमने-सामने की थी।
अमिताभ ने छोड़ा शत्रु का साथ
'काला पत्थर' तो नहीं चली, लेकिन अमिताभ-शत्रु की टक्कर को दर्शकों ने
खूब पसंद किया। आगे चलकर अमिताभ-शत्रुघ्न फिल्म 'दोस्ताना', 'शान' तथा
'नसीब' जैसी फिल्मों में साथ-साथ आए। दोनों अच्छे दोस्त बन गए थे, लेकिन
बाद में गलतफहमियां पैदा हो गईं। माना जाता है कि अमिताभ ने महसूस किया कि
शॉटगन का दबाव उन पर बढ़ता जा रहा है तो उन्होंने शत्रुघ्न के साथ फिल्मों
में आगे काम करने से मना कर दिया। आज दोनों ही अच्छे दोस्त हैं।
बिहारी दलाल के किरदार ने दिलवाई लोकप्रियता
शत्रुघ्न की पहली हिंदी फिल्म डायरेक्टर मोहन सहगल निर्देशित 'साजन' थी।
इसमें नायिका आशा पारेख के साथ उनका छोटा रोल था। यह फिल्म चल नहीं सकी।
इसके बाद अभिनेत्री मुमताज की सिफारिश से उन्हें चंदर वोहरा की फिल्म
'खिलौना' मिली। इसके हीरो संजीव कुमार थे और शत्रुघ्न सिन्हा को इसमें एक
बिहारी दलाल का रोल दिया गया। शत्रुघ्न ने इसे इतनी खूबी से निभाया कि
रातोंरात वे निर्माताओं की पहली पसंद बन गए। उनके चेहरे के एक गाल पर कट का
लम्बा निशान है। यह निशान उनकी खलनायकी का प्लस पाइंट बन गया। शत्रुघ्न ने
अपने चेहरे के एक्सप्रेशन में इस 'कट' का जबरदस्त इस्तेमाल कर अभिनय को
प्रभावी बनाया है।
70 का दशक जाते-जाते हीरो पर पडऩे लगे भारी
सत्तर के दशक के मध्य में शत्रुघ्न के करियर ने दिलचस्प मोड लिया। सुभाष घई
निर्देशित फिल्म 'कालीचरण' में वे दोहरी भूमिका में दिखाई दिए। एक ईमानदार
पुलिस इंसपेक्टर के साथ एक खूंखार कैदी के रोल को उन्होंने बखूबी निभाया।
इस फिल्म ने शत्रुघ्न का आत्मविश्वास इतना बढ़ाया कि अगली फिल्मों में वे
हीरो पर हावी होकर भारी साबित होने लगे। दुलाल गुहा की फिल्म 'दोस्त' इसका
सही उदाहरण है, जिसमें उन्होंने पॉकेटमार का रोल निभाया, जबकि धर्मेन्द्र
उसका एक आदर्शवादी दोस्त था। धर्मेन्द्र को शत्रु ने इस फिल्म में जमकर
टक्कर दी।
रजनीकांत के फेवरेट एक्टर हैं शत्रुघ्न
बहुत कम लोग जानते हैं कि अमिताभ बच्चन
के बेहद करीबी सुपरस्टार रजनीकांत शत्रुघ्न सिन्हा के बहुत बड़े फैन हैं।
रजनीकांत ने अपने एक इंटरव्यू में स्वीकार किया था कि उन्हें शत्रुघ्न
सिन्हा का मैनेरिज्म बहुत पसंद है। अपनी कुछ फिल्मों में तो रजनी ने उसे
दोहराया भी है। दोनों ने 'असली नकली' फिल्म में साथ में काम भी किया है।
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