Friday, 17 April 2015

World Heritage Day:INDIA की 5 जगहें जहां दूर-दूर से आते हैं पर्यटक

भारत में ऐसे कई ऐसे मकबरे, मंदिर, पार्क और ऐतिहासिक स्थल हैं, जो विश्व धरोहर यानी वर्ल्ड हेरिटेज में शामिल हैं। ये देश-विदेश के पर्यटकों के आकर्षण के केंद्र हैं। वर्ल्ड हेरिटेज डे के अवसर पर आज हम आपको भारत की उन जगहों के बारे में बताएंगे जो इस लिस्ट में शामिल हैं। इन जगहों पर सामान्य टूरिस्ट्स के साथ ही स्टूडेंट्स, रिसर्चर्स और स्कॉलर्स के अलावा धार्मिक वजहों से भी लोग आते हैं। हर साल यहां आने वाले टूरिस्ट्स की संख्या लाखों तक पहुंच जाती है।
1. ताज महल
भारत की नायाब धरोहरों में शामिल है आगरा का ताज महल। इसकी खूबसूरती को देखने दुनियाभर से लोग आते हैं। मुगल शासक शाहजहां द्वारा बेगम मुमताज की याद में बनावाया गया सफेद संगमरमर का यह मकबरा दुनिया के सात अजूबों में भी शामिल है। पत्थरों पर बारीकी से किया गया नक्काशी का काम इसकी खूबसूरती में चार चांद लगाता है। आगरा ताज महल के लिए ही पूरी दुनिया में मशहूर है।
ताज महल की खास बातें
ताज महल की ऊंचाई 171 मीटर (561 फीट) है।
ताज महल को बनाने में 22,000 मजदूर, पेंटर, नक्काशीकार और कारीगर लगाए गए थे।
कहा जाता है मुगल शासक शाहजहां ताजमहल के सामने ही काले संगमरमर का एक और ताज महल बनवाना चाहता था। लेकिन बेटों के बीच चल रहे विवाद और आपसी मतभेदों की वजह से वह नहीं बन पाया।
ताज महल को एक ही दिन में तीन रंगों में देखा जा सकता है। सुबह यह हल्का गुलाबी, शाम को बिल्कुल सफेद और रात में चांद की रोशनी में गोल्डन रंग का दिखता है। कहते हैं कि इसके बदलते रंग का संबंध बादशाह की रानियों के बदलते मूड जैसा था।
शाहजहां की तीसरी बेगम मुमताज महल की याद में बनाए गए ताज महल को बनाने में पूरे 17 साल लगे थे।
बेगम के मरने का गम शाहजहां को इतना ज्यादा लगा था कि कुछ ही महीनों में उसके दाढ़ी-बाल बिल्कुल सफेद हो गए थे।
ताज महल की बनावट इस कदर है कि वो चारों तरफ से शीशे जैसा दिखाई देता है।
ताज महल चारों तरफ से सुंदर बाग-बगीचों, मस्जिदों से घिरा हुआ है।
लगभग 1000 हाथियों की भी जरूरत ताज महल को बनाने के वक्त पड़ी थी।
साल 1983 में ताजमहल वर्ल्ड हेरिटेज साइट में शामिल हुआ था।
साल 1905 में ब्रिटिश वायसराय लार्ड कर्जन की पत्नी के रिक्वेस्ट के बाद इसे बनाया गया। काजीरंगा नेशनल पार्क असम की एक बहुत ही बड़ी वाइल्ड लाइफ सैंक्चुअरी है। यह खास तौर पर दरियाई घोड़ों के लिए जाना जाता है। इसके अलावा यह टाइगर, हाथी, सांभर, हिरन, भैंस, भालुओं सहित और भी कई प्रकार के पक्षियों के लिए भी फेमस है।
काजीरंगा नेशनल पार्क की खास बातें
असम का ये नेशनल पार्क बह्मपुत्र नदी के काफी करीब है।
मिकिर के पहाड़ों का नजारा भी इस नेशनल पार्क से आसानी से देखा जा सकता है।
पक्षियों की लगभग 100 प्रकार की प्रजातियों को इस नेशनल पार्क में देखा जा सकता है।
साथ ही यहां पाइथन, कोबरा और किंग कोबरा को देखने का अपना एक अलग ही रोमांच है।
साल 1985 में यूनेस्को ने काजीरंगा नेशनल पार्क को वर्ल्ड हेरिटेज साइट में शामिल किया था। 
बिहार के बोधगया में स्थित इसी मंदिर के पास पीपल के पेड़ के नीचे महात्मा बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था। अब यहीं से बौद्ध भिक्षुओं की शिक्षा-दीक्षा की शुरुआत होती है। द्रविड़ आर्किटेक्चर के हिसाब से इस मंदिर का निर्माण किया गया है। इस मंदिर की ऊंचाई 180 फीट है।
महाबोधि मंदिर की खास बातें
बौद्धों के इस सबसे पुराने मंदिर को सिर्फ पत्थरों से बनाया गया था, लेकिन ये आज भी उतना ही मजबूत और खूबसूरत दिखता है।
45 मीटर स्क्वेयर में फैले इस मंदिर का आकार पिरामिड जैसा है।
मंदिर के पत्थरों पर महात्मा बुद्ध के जीवनकाल की घटनाओं को उकेर कर बताने की कोशिश की गई है।
साल 2002 में यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट में इस मंदिर को शामिल किया गया था। 
आगरा से महज 39 किमी की दूरी पर बसे फतेहपुर सीकरी की खूबसूरती का अंदाजा यहां आने के बाद ही पता चलता है। 1569 में अकबर द्वारा बनाए गए फतेहपुर सीकरी को 1571 से लेकर 1585 तक मुगलों की राजधानी के तौर पर जाना जाता था। लाल पत्थरों से बनी हुआ फतेहपुर सीकरी हिंदू और इस्लामिक आर्किटेक्चर का एक अनूठा उदाहरण है। पहले इस जगह का नाम फतेहाबाद था जिसे बाद में बदलकर फतेहपुर सीकरी कर दिया गया।
फतेहपुर सीकरी की खास बातें
फतेहपुर सीकरी को बनाने में पूरे 15 साल का वक्त लगा था।
घूमने के लिए यहां बुलंद दरवाजा, पंच महल, दीवान-ए-आम, दीवान-ए-खास, शेख सलीम चिश्ती का मकबरा और बीरबल भवन खास हैं।
फतेहपुर सीकरी वही जगह है जहां अकबर के नवरत्न रहा करते थे।
लगभग 14 सालों तक फतेहपुर सीकरी अकबर के राज्य की राजधानी के तौर पर जाना जाता था, लेकिन 1585 में पानी की कमी के चलते इसे बदल दिया गया था।
साल 1986 में इसे वर्ल्ड हेरिटेड साइट में जगह दी गई थी।
महाराष्ट्र के पहाड़ों को काटकर बनी इन गुफाओं को देखकर हर कोई दंग रह जाता है। इसमें बहुत सारे हिंदू देवी-देवताओं की झलकियां देखने को मिलती हैं। इनमें शिव-पार्वती प्रमुख हैं। भगवान शिव के तीनों रूपों की मूर्तियों यहां हैं। इसे घारापुरी के नाम से भी जाना जाता है, जो गेटवे ऑफ इंडिया से कुछ ही दूरी पर स्थित है।
एलिफेंटा गुफाओं की खास बातें
इस गुफा का आकार काफी हद तक हाथी से मिलता-जुलता था। यही कारण है कि पुर्तगालियों ने इसका नाम एलिफेंटा रखा।
गुफा के चारों ओर पत्थरों पर बारीकी से की हुई नक्काशी खासी आकर्षित करती है।
पांच अन्य गुफाएं इसके पश्चिम में स्थित हैं।
केनन हिल भी यहां की लोकप्रिय जगहों में शामिल है। लेकिन एलिफेंटा की गुफाएं आज भी ऐतिहासिक धरोहरों में शामिल है, जिसे देखने हर साल देश-विदेश से लोग आते हैं।
साल 1987 में एलिफेंटा की गुफाओं को वर्ल्ड हेरिटेज साइट की लिस्ट में शामिल किया गया था।

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