गुड फ्राइडे प्रभु यीशु के निर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है। सही
मायनों में यह प्रभु यीशु द्वारा मानवता के लिए प्राण का न्यौछावर करने का
दिन है। इस बार गुड फ्राइडे 3 अप्रैल, शुक्रवार को है।
धर्म ग्रंथों के अनुसार यीशु मसीह का जन्म इजराइल के एक गांव बेतलेहम में हुआ था। बालक यीशु को बेतलेहम के राजा हेरोदेस ने मरवाने की हर संभव कोशिश की, लेकिन वह सफल नहीं हो पाया। जब यीशु बड़े हुए तो जगह-जगह जाकर लोगों को मानवता और शांति का संदेश देने लगे। उन्होंने धर्म के नाम पर अंधविश्वास फैलाने वाले लोगों को मानव जाति का शत्रु कहा। उनके संदेशों से परेशान होकर धर्म पंडितों ने उन्हें धर्म की अवमानना का आरोप लगाकर उन्हें मौत की सजा दी।
यीशु को कई तरह की यातनाएं दी गयीं। यीशु के सिर पर कांटों का ताज रखा गया। इसके बाद यीशु क्रूस(सलीब) को अपने कंधे पर उठाकर गोल गोथा नामक जगह ले गए। जहां उन्हें सलीब पर चढ़ा दिया गया। जिस दिन यीशु को सूली पर चढ़ाया गया, वह शुक्रवार का दिन था। तीन घंटे बाद यीशु ने ऊंची आवाज में परमेश्वर को पुकारा- हे पिता मैं अपनी आत्मा को तेरे हाथों सौंपता हूं। इतना कहकर उन्होंने अपने प्राण त्याग दिए।
मानवता के लिए बलिदान का वो दिन गुड फ्राइडे के रूप में मनाया जाता है। ईसाई धर्म के अनुयायी यीशु को उनके त्याग के लिए याद करते हैं। इसके बाद यीशु को कब्र में दफना दिया गया, लेकिन ईश्वरीय कृपा से तीन दिन बाद यानी रविवार को यीशु पुन: जीवित हो उठे। कहते हैं पुन: जीवित होने के बाद यीशु चालीस दिन तक अपने शिष्यों और मित्रों के साथ रहे और अंत में स्वर्ग चले गए।
धर्म ग्रंथों के अनुसार यीशु मसीह का जन्म इजराइल के एक गांव बेतलेहम में हुआ था। बालक यीशु को बेतलेहम के राजा हेरोदेस ने मरवाने की हर संभव कोशिश की, लेकिन वह सफल नहीं हो पाया। जब यीशु बड़े हुए तो जगह-जगह जाकर लोगों को मानवता और शांति का संदेश देने लगे। उन्होंने धर्म के नाम पर अंधविश्वास फैलाने वाले लोगों को मानव जाति का शत्रु कहा। उनके संदेशों से परेशान होकर धर्म पंडितों ने उन्हें धर्म की अवमानना का आरोप लगाकर उन्हें मौत की सजा दी।
यीशु को कई तरह की यातनाएं दी गयीं। यीशु के सिर पर कांटों का ताज रखा गया। इसके बाद यीशु क्रूस(सलीब) को अपने कंधे पर उठाकर गोल गोथा नामक जगह ले गए। जहां उन्हें सलीब पर चढ़ा दिया गया। जिस दिन यीशु को सूली पर चढ़ाया गया, वह शुक्रवार का दिन था। तीन घंटे बाद यीशु ने ऊंची आवाज में परमेश्वर को पुकारा- हे पिता मैं अपनी आत्मा को तेरे हाथों सौंपता हूं। इतना कहकर उन्होंने अपने प्राण त्याग दिए।
मानवता के लिए बलिदान का वो दिन गुड फ्राइडे के रूप में मनाया जाता है। ईसाई धर्म के अनुयायी यीशु को उनके त्याग के लिए याद करते हैं। इसके बाद यीशु को कब्र में दफना दिया गया, लेकिन ईश्वरीय कृपा से तीन दिन बाद यानी रविवार को यीशु पुन: जीवित हो उठे। कहते हैं पुन: जीवित होने के बाद यीशु चालीस दिन तक अपने शिष्यों और मित्रों के साथ रहे और अंत में स्वर्ग चले गए।
प्रायश्चित व प्रार्थना करने का दिन है गुड फ्राइडे
प्रभु ईसा मसीह मानवता के रक्षक थे। उन्होंने ईश्वर के मार्ग पर
चलते-चलते अपने प्राणों का त्याग कर दिया। ईसा मसीह के बलिदान की याद में
ईसाई समुदाय के लोग पवित्र सप्ताह मनाते हैं। ईसाई धर्म ग्रंथों के अनुसार
जिस दिन ईशु ने प्राण त्यागे थे, उस दिन शुक्रवार था। इसी की याद में गुड
फ्राइडे मनाया जाता है। इस घटना के तीन दिन बाद ईशु पुन: जीवित हो गए थे,
इस दिन को ईस्टर सण्डे कहते हैं।
गुड फ्राइडे को होली फ्राइडे, ब्लैक फ्राइडे या ग्रेट फ्राइडे भी कहते
हैं। गुड फ्राइडे के दिन ईसाई धर्म के लोग गिरिजाघर जाकर प्रभु यीशु को
याद करते हैं। जिस सलीब (क्रॉस) पर ईसा मसीह को लटकाया गया था, उसके प्रतीक
रूप में लकड़ी का एक तख्ता गिरजाघरों में रखा जाता है। ईशु के भक्त एक-एक
कर आकर उसे चूमते हैं। इसके बाद दोपहर से तीन बजे तक सर्विस की जाती है।
सर्विस में ईसाई सिद्धांतों (चार गोस्पेल्स) में से किसी एक का पठन किया जाता है। तत्पश्चात समारोह में प्रवचन, ध्यान और प्रार्थनाएं की जाती हैं। इस दौरान श्रद्धालु प्रभु यीशु द्वारा तीन घंटे तक क्रॉस पर भोगी गई पीड़ा को याद करते हैं। इसके बाद आधी रात को सामान्य कम्यूनियन सर्विस होती है। चूंकि गुड फ्राइडे प्रायश्चित और प्रार्थना का दिन है, अत: इस दिन गिरजाघरों में घंटियां (बेल) नहीं बजाई जातीं।
सर्विस में ईसाई सिद्धांतों (चार गोस्पेल्स) में से किसी एक का पठन किया जाता है। तत्पश्चात समारोह में प्रवचन, ध्यान और प्रार्थनाएं की जाती हैं। इस दौरान श्रद्धालु प्रभु यीशु द्वारा तीन घंटे तक क्रॉस पर भोगी गई पीड़ा को याद करते हैं। इसके बाद आधी रात को सामान्य कम्यूनियन सर्विस होती है। चूंकि गुड फ्राइडे प्रायश्चित और प्रार्थना का दिन है, अत: इस दिन गिरजाघरों में घंटियां (बेल) नहीं बजाई जातीं।
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