राजस्थान का एक शहर उदयपुर अपने सौंदर्य के लिए दुनिया भर में फेमस है। यहां बनी हवेलियों और महलों की भव्यता को देखकर सैलानी मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। इन्हीं हवेलियों में से एक हवेली है सिटी पैलेस। यह पिछौला झील के किनारे एक पहाड़ी की चोटी पर बना है जहां से पूरे शहर की तस्वीर दिखाई देती है। यह महल राजस्थान में अपनी तरह का सबसे बड़ा महल है। इसके विशाल होने का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसके परिसर में 11 महल शामिल हैं, जिसे बनाने में 22 राजाओं का योगदान रहा है। इस महल में सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र दिलखुश महल, शीश महल, मोर चौक, मोती महल और कृष्णा विलास है। इसके अलावा महल में कई गुंबद, आंगन, गलियारे, कमरे, मंडप, टावर, और हैंगिंग गार्डन हैं जो इसकी सुंदरता में चार चांद लगाते हैं।
205 रुपए है एंट्री फीस
लेकसिटी आने वाले पर्यटकों को सिटी पैलेस देखना अब महंगा हो गया है।
प्रबंधन के अनुसार 18 वर्ष से अधिक उम्र वालों को 115 की बजाय 250 रुपए, 5
से 18 वर्ष तक 55 से 100 तथा स्पेशल एंट्री सुबह 9 से 10 बजे तक के लिए 560
से 700 रुपए शुल्क किया गया है। कैमरा ले जाने का शुल्क 225 से बढ़ाकर
250 रुपए किया गया है। सिटी पैलेस में फोर व्हीलर पार्किंग 55 से 150 तथा
टू व्हीलर 12 से 25 कर दी गई है।
पेरिस में सिटी पैलेस की 8 मूर्तियां
सिटी पैलेस की वर्षों पुरानी आठ मूर्तियां वर्तमान में पेरिस में
आयोजित अंतर्राष्ट्रीय मूर्त शिल्प प्रदर्शनी में पूरे हिंदुस्तान की शोभा
बढ़ा चुकी हैं।
यहां मिट्टी के तेल से चलता है पंखा
यहां की खास बात एक कमरे में रखा हुआ पंखा है। इसे चलाने के लिये 220 वोल्ट का करेंट नहीं, बल्कि मिट्टी का तेल चाहिए होता है। पहले तेल जलता है तो उसकी गर्मी से हवा का दबाव बनता है। हवा के इस दबाव से टरबाइन जैसा पंखे का कुछ अंदरूनी हिस्सा घूमता है और उससे पंखुडिय़ां घूमने लगती हैं। इस महल के कुछ हिस्से को दो होटलों में बदल दिया गया है। इसके नाम 'शिव निवास पैलेस' और 'फतेह प्रकाश पैलेस' है, जहां क्रिस्टल से बनी बढ़िया चीजों को देखा जा सकता है।
यहां की खास बात एक कमरे में रखा हुआ पंखा है। इसे चलाने के लिये 220 वोल्ट का करेंट नहीं, बल्कि मिट्टी का तेल चाहिए होता है। पहले तेल जलता है तो उसकी गर्मी से हवा का दबाव बनता है। हवा के इस दबाव से टरबाइन जैसा पंखे का कुछ अंदरूनी हिस्सा घूमता है और उससे पंखुडिय़ां घूमने लगती हैं। इस महल के कुछ हिस्से को दो होटलों में बदल दिया गया है। इसके नाम 'शिव निवास पैलेस' और 'फतेह प्रकाश पैलेस' है, जहां क्रिस्टल से बनी बढ़िया चीजों को देखा जा सकता है।
महल की बनावट
इस पैलेस को बनाने की शुरूआत महाराणा उदय सिंह ने 1569 में करवाई। इसके बाद कई शासकों ने इसे अपने-अपने शासन काल में बनवाया। 11 चरणों में निर्माण होने के बाद इसका निर्माण पूरा हुआ लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि इसके कई चरणों में बनने के बावजूद इसमें थोड़ा अंतर भी नहीं दिखता। इस प्रकार यह परिसर 400 वर्षों में बने भवनों का समूह है। इसे बनाने में 22 राजाओं का योगदान रहा।
इस पैलेस को बनाने की शुरूआत महाराणा उदय सिंह ने 1569 में करवाई। इसके बाद कई शासकों ने इसे अपने-अपने शासन काल में बनवाया। 11 चरणों में निर्माण होने के बाद इसका निर्माण पूरा हुआ लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि इसके कई चरणों में बनने के बावजूद इसमें थोड़ा अंतर भी नहीं दिखता। इस प्रकार यह परिसर 400 वर्षों में बने भवनों का समूह है। इसे बनाने में 22 राजाओं का योगदान रहा।
इस महल के दर्शनीय स्थल
कांच गैलरी
इसे मानक महल भी कहा जाता है। इसमें ग्लास और मिरर का बेहतरीन काम देखा जा सकता है। इस गैलरी में कुर्सी, पलंग, सोफा आदि सभी कांच की बनी हुई हैं। राणा सज्जन सिंह ने 1877 में इंग्लैंड के एफ एंड सी ओसलर एंड कंपनी से कांच के इन समानों की खरीदारी की थी।
कांच गैलरी
इसे मानक महल भी कहा जाता है। इसमें ग्लास और मिरर का बेहतरीन काम देखा जा सकता है। इस गैलरी में कुर्सी, पलंग, सोफा आदि सभी कांच की बनी हुई हैं। राणा सज्जन सिंह ने 1877 में इंग्लैंड के एफ एंड सी ओसलर एंड कंपनी से कांच के इन समानों की खरीदारी की थी।
दरबार हॉल
वैसे, महल के दरबार हॉल की शाही रौनक देखते ही बनती है। इसकी दीवारों पर हथियारों और मेवाड़ के पूर्व महाराणाओं के चित्र सजे हैं। इस हॉल की नींव भारत के वायसराय रहे लॉर्ड मिंटो ने 1909 में रखी थी, इसलिए इसे मिंटो हॉल भी कहते हैं।
वैसे, महल के दरबार हॉल की शाही रौनक देखते ही बनती है। इसकी दीवारों पर हथियारों और मेवाड़ के पूर्व महाराणाओं के चित्र सजे हैं। इस हॉल की नींव भारत के वायसराय रहे लॉर्ड मिंटो ने 1909 में रखी थी, इसलिए इसे मिंटो हॉल भी कहते हैं।
त्रिपोलिया गेट
महल में प्रवेश के लिए बने मुख्य द्वार का नाम त्रिपोलिया गेट है। इसकी अपनी एक दास्तान है। त्रिपोलिया अर्थात तीन पोल या तीन गेट! इसका निर्माण सन 1710 में महाराणा संग्राम सिंह द्वितीय ने कराया था और इसके ऊपर हवा महल बना हुआ है। इसका निर्माण महल निर्माण के लगभग 100 वर्ष बाद महाराजा भीम सिंह ने करवाया था। यहां राजाओं को चांदी और सोने से तौला जाता था जिसे बाद में गरीबों में बांट दिया जाता था। इसके सामने की दीवार 'अगद' कहलाती है, जहां हाथियों की लड़ाई होती थी।
महल में प्रवेश के लिए बने मुख्य द्वार का नाम त्रिपोलिया गेट है। इसकी अपनी एक दास्तान है। त्रिपोलिया अर्थात तीन पोल या तीन गेट! इसका निर्माण सन 1710 में महाराणा संग्राम सिंह द्वितीय ने कराया था और इसके ऊपर हवा महल बना हुआ है। इसका निर्माण महल निर्माण के लगभग 100 वर्ष बाद महाराजा भीम सिंह ने करवाया था। यहां राजाओं को चांदी और सोने से तौला जाता था जिसे बाद में गरीबों में बांट दिया जाता था। इसके सामने की दीवार 'अगद' कहलाती है, जहां हाथियों की लड़ाई होती थी।
बड़े आयोजनों के लिए भी आकर्षण का केंद्र रहा है यह पैलेस
इस पैलेस में रवीना टंडन और लखनऊ बेस्ड बिजनेसमैन गौरव शर्मा जैसी कई बड़ी हस्तियों की शादी हुई है। गौरव शर्मा की शादी में प्रियंका चोपड़ा, रितिक रौशन, विशाल शेखर, टैरेंस लेविस और आलिया भट्ट जैसे सितारों ने परफॉर्म किया था।
इस पैलेस में रवीना टंडन और लखनऊ बेस्ड बिजनेसमैन गौरव शर्मा जैसी कई बड़ी हस्तियों की शादी हुई है। गौरव शर्मा की शादी में प्रियंका चोपड़ा, रितिक रौशन, विशाल शेखर, टैरेंस लेविस और आलिया भट्ट जैसे सितारों ने परफॉर्म किया था।
No comments:
Post a Comment