कहते हैं यमराज का एक मंदिर ऐसा है, जहां मरने के बाद हर किसी को जाना ही पड़ता है चाहे वह आस्तिक हो या नास्तिक। यह मंदिर किसी और दुनिया में नहीं बल्कि भारत की जमीन पर स्थित है। दिल्ली से करीब 500 किलोमीटर की दूरी पर हिमाचल के चम्बा जिले में भरमौर नामक स्थान में स्थित इस मंदिर के बारे में कुछ बड़ी अनोखी मान्यताएं प्रचलित हैं। यहां पर एक ऐसा मंदिर है जो घर की तरह दिखाई देता है। इस मंदिर के पास पहुंच कर भी बहुत से लोग मंदिर में प्रवेश करने का साहस नहीं जुटा पाते हैं।
मंदिर को बाहर से प्रणाम करके चले आते हैं। इसका कारण यह है कि, इस मंदिर
में धर्मराज यानी यमराज रहते हैं। संसार में यह इकलौता मंदिर है जो धर्मराज
को समर्पित है। इस मंदिर में एक खाली कमरा है जिसे चित्रगुप्त का कमरा
माना जाता है। चित्रगुप्त यमराज के सचिव हैं जो जीवात्मा के कर्मो का
लेखा-जोखा रखते हैं।
मान्यता है कि जब किसी प्राणी की मृत्यु होती है तब यमराज के दूत उस व्यक्ति की आत्मा को
पकड़कर
सबसे पहले इस मंदिर में चित्रगुप्त के सामने प्रस्तुत करते हैं।
चित्रगुप्त जीवात्मा को उनके कर्मो का पूरा ब्योरा देते हैं। इसके बाद
चित्रगुप्त के सामने के कक्ष में आत्मा को ले जाया जाता है। इस कमरे को
यमराज की कचहरी कहा जाता है।
यहां पर यमराज कर्मों के अनुसार आत्मा को अपना फैसला सुनाते हैं। यह भी
मान्यता है इस मंदिर में चार अदृश्य द्वार हैं जो स्वर्ण, रजत, तांबा और
लोहे के बने हैं। यमराज का फैसला आने के बाद यमदूत आत्मा को कर्मों के
अनुसार इन्हीं द्वारों से स्वर्ग या नर्क में ले जाते हैं। गरूड़ पुराण में
भी यमराज के दरबार में चार दिशाओं में चार द्वार का उल्लेख किया गया है।
कैसे पहुंचे- दिल्ली से सड़क या रेलमार्ग द्वारा चम्बा पहुंचकर आसानी से सड़क के रास्ते भरमौर पहुंचा जा सकता है।