Thursday, 30 April 2015

यमराज का एकमात्र मंदिर, यहां जानें से डरते हैं लोग


कहते हैं यमराज का एक मंदिर ऐसा है, जहां मरने के बाद हर किसी को जाना ही पड़ता है चाहे वह आस्तिक हो या नास्तिक। यह मंदिर किसी और दुनिया में नहीं बल्कि भारत की जमीन पर स्थित है। दिल्ली से करीब 500 किलोमीटर की दूरी पर हिमाचल के चम्बा जिले में भरमौर नामक स्थान में स्थित इस मंदिर के बारे में कुछ बड़ी अनोखी मान्यताएं प्रचलित हैं। यहां पर एक ऐसा मंदिर है जो घर की तरह दिखाई देता है। इस मंदिर के पास पहुंच कर भी बहुत से लोग मंदिर में प्रवेश करने का साहस नहीं जुटा पाते हैं।
मंदिर को बाहर से प्रणाम करके चले आते हैं। इसका कारण यह है कि, इस मंदिर में धर्मराज यानी यमराज रहते हैं। संसार में यह इकलौता मंदिर है जो धर्मराज को समर्पित है। इस मंदिर में एक खाली कमरा है जिसे चित्रगुप्त का कमरा माना जाता है। चित्रगुप्त यमराज के सचिव हैं जो जीवात्मा के कर्मो का लेखा-जोखा रखते हैं।
मान्यता है कि जब किसी प्राणी की मृत्यु होती है तब यमराज के दूत उस व्यक्ति की आत्मा को
पकड़कर सबसे पहले इस मंदिर में चित्रगुप्त के सामने प्रस्तुत करते हैं। चित्रगुप्त जीवात्मा को उनके कर्मो का पूरा ब्योरा देते हैं। इसके बाद चित्रगुप्त के सामने के कक्ष में आत्मा को ले जाया जाता है। इस कमरे को यमराज की कचहरी कहा जाता है।
यहां पर यमराज कर्मों के अनुसार आत्मा को अपना फैसला सुनाते हैं। यह भी मान्यता है इस मंदिर में चार अदृश्य द्वार हैं जो स्वर्ण, रजत, तांबा और लोहे के बने हैं। यमराज का फैसला आने के बाद यमदूत आत्मा को कर्मों के अनुसार इन्हीं द्वारों से स्वर्ग या नर्क में ले जाते हैं। गरूड़ पुराण में भी यमराज के दरबार में चार दिशाओं में चार द्वार का उल्लेख किया गया है।
कैसे पहुंचे- दिल्ली से सड़क या रेलमार्ग द्वारा चम्बा पहुंचकर आसानी से सड़क के रास्ते भरमौर पहुंचा जा सकता है।

Friday, 24 April 2015

Death Anniversary: राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’

आज राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की पुण्यतिथि है !
सच है, विपत्ति जब आती है,
कायर को ही दहलाती है,
सूरमा नही विचलित होते,
क्षण एक नहीं धीरज खोते,
विघ्नों को गले लगाते हैं,
काँटों में राह बनाते हैं
मानव जब ज़ोर लगाता है,
पत्थर पानी बन जाता है।

हिन्दी के सुविख्यात कवि रामाधारी सिंह दिनकर का जन्म 23 सितंबर 1908 ई. में सिमरिया, (बिहार) में हुआ था।
राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’ ने हिंदी साहित्य में न सिर्फ वीर रस के काव्य को एक नयी ऊंचाई दी, बल्कि अपनी रचनाओं के माध्यम से राष्ट्रीय चेतना का भी सृजन किया.
पद्म भूषण से सम्मानित दिनकर राज्यसभा के सदस्य भी रहे. वर्ष 1972 में उन्हें ज्ञानपीठ सम्मान भी दिया गया. 24 अप्रैल, 1974 को उनका देहावसान हो गया।

Thursday, 23 April 2015

हिंद महासागर के आइलैंड पर रहती हैं खूंखार जनजाति, मार डालते हैं लोगों को

(नॉर्थ सेंटिनल आइलैंड)
आकाश से यह एक सामान्य सा आईलैंड जैसा ही दिखता है, लेकिन असल में यह हिंद महासागर का एक खतरनाक आइलैंड है। नॉर्थ सेंटिनल नाम के इस आइलैंड पर बेहद रहस्यमई जनजाति रहती हैं। इन लोगों ने आधुनिक सभ्यता को पूरी तरह रिजेक्ट कर दिया है और दुनिया से इनका संपर्क जीरो है। कहा जाता है कि ये जब भी दुनिया के किसी शख्स से मिलते हैं तो हिंसा के साथ ही। आसपास में नीचे उड़ते हवाइजहाजों का ये पत्थरों से स्वागत करते हैं।
इतना ही नहीं टूरिस्ट के अलावा मछुआरों के लिए भी यह आइलैंड बेहद खतरनाक है। 2006 में यहां के जनजातियों ने कई मछुआरों को मार डाला था। इससे पहले भी कई बार ये हिंसा कर चुके हैं। हालांकि ये जनजाति करीब 60,000 सालों से रह रही हैं। इन लोगों को Lost Tribe भी कहा जाता है। कुछ रिपोर्टों में इसे दुनिया की सबसे अलग-थलग रहने वाली जनजाति करार दिया गया है। बंगाल की खाड़ी के पास स्थित इस आइलैंड के लोगों की जिंदगी में भारत सरकार भी हस्तक्षेप नहीं करना चाहती।

सच बोलना महानता की सबसे पहली निशानी है

स्वामी विवेकानंद शुरू से ही एक मेधावी छात्र थे। सभी लोग उनके व्यक्तित्व और वाणी से प्रभावित रहते थे। जब वो अपने साथी छात्रों से कुछ बताते तो सब मंत्रमुग्ध हो कर उन्हें सुनते थे। एक दिन कक्षा में वो कुछ दोस्तों कहानी सुना रहे थे। सभी उनकी बातें सुनने में इतने मग्न थे कि उन्हें पता ही नहीं चला की कब मास्टर जी कक्षा में आए और पढ़ाना शुरू कर दिया। मास्टर जी ने अभी पढऩा शुरू ही किया था कि उन्हें कुछ फुसफुसाहट सुनाई दी। कौन बात कर रहा है? मास्टर जी ने तेज आवाज़ में पूछा। सभी छात्रों ने स्वामी जी और उनके साथ बैठे छात्रों की तरफ इशारा कर दिया। मास्टर जी क्रोधित हो गए।

उन्होंने तुरंत उन छात्रों को बुलाया और पाठ से संबधित प्रश्न पूछने लगे। जब कोई भी उत्तर नहीं दे पाया। तब अंत में मास्टर जी ने स्वामी जी से भी वही प्रश्न किया, स्वामी जी तो मानो सब कुछ पहले से ही जानते हों , उन्होंने आसानी से उस प्रश्न का उत्तर दे दिया। यह देख मास्टर जी को यकीन हो गया कि स्वामी जी पाठ पर ध्यान दे रहे थे और बाकी छात्र बातचीत में लगे हुए थे। फिर क्या था। उन्होंने स्वामी जी को छोड़ सभी को बेंच पर खड़े होने की सजा दे दी। सभी छात्र एक-एक कर बेच पर खड़े होने लगे, स्वामी जी ने भी यही किया। मास्टर जी बोले नरेन्द्र तुम बैठ जाओ। नरेन्द्र बोले सर, मुझे भी खड़ा होना होगा, क्योंकि वो मैं ही था जो इन छात्रों से बात कर रहा था। स्वामी जी ने आग्रह किया। सभी उनकी सच बोलने की हिम्मत देख बहुत प्रभावित हुए।
सीख: 1.सच बोलना महानता की सबसे पहली निशानी है।
2. सच बोलने के लिए हिम्मत और आत्मविश्वास दोनों आवश्यक है।

B'day: 46 साल के हुए मनोज बाजपेयी, फैमिली के साथ ऐसे बिताते हैं वक्त

परदे पर संजीदा एक्टिंग के जरिए अभिनय की नई परिभाषा गढ़ने वाले मनोज बाजपेयी 46 साल के हो चुके हैं। 23 अप्रैल 1969 को बिहार में उनका जन्म हुआ था। मनोज ने अभिनय की पारी दूरदर्शन पर प्रसारित सीरियल 'स्वाभिमान' से की। वहीं, एक प्रयोगधर्मी अभिनेता के रूप में पहचान बना चुके मनोज का फिल्मी सफर शेखर कपूर की बहुचर्चित फिल्म ‘बैंडिट क्वीन’ के साथ शुरू हुआ। लेकिन बॉलीवुड में उनको सही मुकाम रामगोपाल वर्मा की फिल्म सत्या’ ने दिलाया। इसमें उन्होंने भीखू म्हात्रे का किरदार इतने संजीदा और बेहतर ढंग से निभाया कि इसके लिए उन्हें बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर का नेशनल अवॉर्ड भी मिला। इसके अलावा ‘शूल’ ने जहां उन्हें बेस्ट एक्टर का फिल्मफेयर पुरस्कार दिलाया, तो वहीं पिंजर के लिए उन्हें एक बार फिर राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा गया।
अब तक के करियर में दी कई यादगार फिल्में
अब तक के करियर में उन्होंने वीर जारा, जुबैदा, रोड, अक्स, शूल, स्पेशल 26, चक्रव्यूह और गैंग्स ऑफ वासेपुर जैसी यादगार फिल्में दी है। मनोज ने 2006 में एक्ट्रेस शबाना रजा के साथ शादी की। जिसके बाद उनके यहां बेटी अावा नायला का जन्म हुआ। मनोज बाजपेयी के जन्मदिन के मौके पर Dainikbhaskar.com आपको उनकी लाइफ से जुड़े कुछ दिलचस्प पहलुओं से वाकिफ कराने जा रहा है।
जब कैटरीना हुई मनोज की एक्टिंग से इम्प्रेस्ड
प्रकाश झा की फिल्म राजनीति में मनोज बाजपेयी ने बेजोड़ एक्टिंग का नमूना पेश किया। इसमें उनके द्वारा निभाए गए वीरेंद्र प्रताफ उर्फ वीरू भैया के किरदार ने अभिनय का एक नया मुहावरा गढ़ा।बताया जाता है कि इस फिल्म के प्रीमियर शो के बाद कैटरीना कैफ मनोज की एक्टिंग से इस कदर प्रभावित हुईं कि उन्होंने उठकर उनके पैर छू लिए। वहीं ये भी दिलचस्प बात है कि मनोज बाजयेपी नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से चार बार रिजेक्ट किए गए। हालांकि, उन्होंने उम्मीद नहीं छोड़ी और इसके बाद उन्होंने बैरी जॉन के साथ थियेटर किया।
किरदारों में पूरी तरह डूब जाते हैं मनोज
अपने सिने सफर में अलग-अलग तरह के किरदार निभाने वाले मनोज बाजपेयी का ड्रीम रोल देवदास है, जिसे वो निभाना चाहते थे, लेकिन अब तक उनकी ये ख्वाहिश पूरी नहीं हो सकी है। एक बार मनोज बाजपेयी ने कहा था कि वो अपने किरदारों में इतने खो जाते हैं कि वो रियल लाइफ और रील लाइफ में फर्क करना ही भूल जाते हैं।
जब दिल्ली में रहते हुए गुजारे तंगहाली के दिन
बताया जाता है कि एक जमाने में मनोज बाजपेयी दिल्ली में तीन सौ रुपए प्रतिमाह में गुजर-बसर करते थे, जिसमें से एक सौ पचास रुपए. उन्हें अपने पिता से मिलते थे और बाकी एक सौ पचास रु. वो नुक्कड़ नाटकों में एक्टिंग के जरिए कमाते थें।

मुक्तेश्वर धाम: पांडवों ने यहां काटा था अज्ञातवास, की थी शिव की पूजा

चक्रवर्ती सम्राट युद्धिष्ठिर को उनके अपने चचेरे भाइयों और मामा शकुनि ने चौसर के खेल में हरा दिया। शर्त थी कि 12 साल का वनवास और फिर एक साल का अज्ञातवास काटना होगा। पकड़े गए तो फिर से वही सजा। यही है वह जगह, जहां की दुर्गम पहाड़ियों में सम्राट युद्धिष्ठिर ने चारों भाइयों और पांचाली द्रौपदी के साथ वह बुरा वक्त काटा। 5500 साल पुराना इतिहास संजोने वाली इस जगह को आज मुक्तेश्वर महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है।
सीमांत जिले पठानकोट का अर्द्धपर्वतीय क्षेत्र। कल्पना भी नहीं की जा सकती कि यहां कभी कोई रहा भी होगा, लेकिन मान्यता है कि पांचों पांडव और पांचाली द्रौपदी ब्राह्मण, साधु और संन्यासियों के वेश में छिपते–छिपाते पंचनद प्रदेश (वर्तमान पंजाब) में शिवालिक पहाड़ियों के मध्य स्थित इरावती नदी (मौजूदा नाम रावी) के तट पर पहुंचे। यहां उन्होंने छह माह का वक्त गुजारा।
यह है मुक्तेश्वर धाम की खासियत
रणजीत सागर बांध और पठानकोट के बीच (पठानकोट से 22 किलोमीटर दूर) रावी नदी के किनारे गांव ढूंग में पांडवों ने पहाड़ियों को काटकर गुफाओं का निर्माण किया। एक गुफा में शिव मंदिर कक्ष, रसोई कक्ष, सभागार और दूसरी गुफा में एक अंगरक्षक सहायक तेली को रात में जागते रहने के लिए कोहलू गुफा का निर्माण किया। तीसरी गुफा द्रौपदी के लिए आरक्षित थी और चौथी में दूध और भोजन भंडारण किया जाता था। आज इन गुफाओं तक पहुंचने के लिए 164 पौड़ियां पहाड़ी से नीचे की तरफ विकसित की गई हैं।
मंडरा रहा है इतिहास पर खतरा
अब शाहपुर कंडी में बांध बनने के चलते इसकी झील में इस स्वर्णिम इतिहास के लोप हो जाने का खतरा पैदा हो गया है। यह प्रोजेक्ट 2016 में पूरा हो जाएगा। इसका जलस्तर लगभग 405 मीटर निर्धारित किया गया है। एक और दो नंबर की गुफाएं पूरी तरह से जल में समा जाएंगी। गुफा नंबर के दरवाजे का निचला तल 401 मीटर पर है। 20 फरवरी 1995 को जब इसे असुरक्षित घोषित किया गया तो ग्राम पंचयातों के प्रयास से 29 मार्च 1995 को भूमि-अधिग्रहण विभाग की मीटिंग में यह फैसला लिया गया कि मुक्तेश्वर मंदिर के 22 कनाल एरिया का अधिग्रहित नहीं किया जाएगा। बावजूद इसके जब सरकारें या प्रशासन गंभीर नहीं हुआ तो मुक्तेश्वर धाम बचाओ समिति के बैनर तले यह एक जन आंदोलन बन गया।
अगर प्रशासन वादे पर खरा न उतरा तो...
हालांकि शिवभक्तों के जनआंदाेलन और प्राचीन इतिहास के मद्देनजर प्रशासन इसे बचाने के कई बार वादे कर चुका है, लेकिन अगर प्रशासन ने वादाखिलाफी की तो...। हो सकता है यह पवित्र इतिहास जलमग्न हो जाए। शाहपुर कंडी बांध प्रशासन के अनुसार यहां बनने वाली झील में लगभग 405 मीटर पानी हर वक्त भरा रहेगा, ऐसे में इस गुफा के निचले तल (401 मीटर समुद्र तल से ऊंचाई) के ऊपर भी कई मीटर पानी भर जाएगा।
कब-कब क्या हुआ धाम को बचाने के लिए
बरसों से चल रहे संघर्ष के बीच 13 अक्तूबर 2014 को पठानकोट में एक रैली निकाली गई। इसमें शामिल 5 हजार शिवभक्तों ने पठानकोट के डीसी को एक मांगपत्र सौंपा था। इसके बाद 19 अक्तूबर 2014 को फिर अधिकारियों की एक बैठक हुई। इसमें चीफ इंजीनियर हरविंदर सिंह ने आश्वासन दिया था कि छह महीने के भीतर प्रोपोजल तैयार करके धाम को बचाने के लिए काम शुरू कर देंगे। अब इस बात को सातवां महीना चल रहा है। अभी तक तो यह आश्वासन महज एक आश्वासन ही है।

राजा हरिशचंद्र सत्यवादी क्यों कहलाए?

सूर्यवंश के 48 वें राजा हरिशचंद्र अपनी सत्यनिष्ठा के लिए प्रसिद्ध है। उनकी सत्य के प्रति निष्ठा उनके सैकड़ों साल बाद भी सत्य का प्रतीक बनी हुई है। इनका युग त्रैता माना जाता है। इसलिए सभी पौराणिक ग्रंथों में हरिशचंद्र सत्य व्रत की कथा पूरे रस और प्रभाव के साथ मिलती है। महाभारत के आदिपर्व के लोकपाल समाख्यान पर्व व श्रीमद्भागवत पुराण के संदर्भो के अनुसार हरिशचंद्र त्रिशंकु के पुत्र थे। गीता प्रेस से प्रकाशित भक्त चरितांक में उपलब्ध संदर्भ के अनुसार विश्वामित्र ने तप के प्रभाव से हरिशचंद्र से स्वप्न में उनका संपूर्ण राज्य दान में ले लिया।

दूसरे दिन अयोध्या में जाकर विश्वामित्र ने हरिशचंद्र से दान मांगा। हरिशचंद्र के सत्य की पराकाष्ठा यह थी कि उन्होंने सपने मे जो दान दिया था उसे सच में निभाया और पूरा राज्य विश्वामित्र को दान दे दिया। हरिशचंद्र काशी में जाकर बस गए। उन्हें श्मशान मे चांडाल का काम करना पड़ा दरिद्रता का असर उनकी पत्नी शैव्या और पुत्र रोहिताश्व पर भी हुआ। एक दिन सर्पदंश से रोहिताश्व की मौत हो गई। उस समय अपने ही पुत्र के अंतिम संस्कार शुल्क के लिए हरिशचंद्र अड़ गए। तब उनकी पत्नी ने साड़ी का अाधा हिस्सा करके शुल्क रूप में देना चाहा तो भगवान प्रकट हुए और हरिशचंद्र की सत्यनिष्ठा स्वीकार की। इस तरह स्वप्न में दान और अपने ही पुत्र के लिए शुल्क के नियम पर अड़ना हरिशचंद्र की सत्यवादिता का प्रमाण बना।

Wednesday, 22 April 2015

कैसे बनवाएं डुप्लीकेट PAN कार्ड

कैसे बनवाएं डुप्लीकेट कार्ड
यदि किसी व्यक्ति का पैन कार्ड गायब हो जाए या खो जाए, तो उसका परेशान होना लाजमी है। लेकिन, ऐसे में परेशान होने की बिल्कुल जरूरत नहीं है, क्योंकि पैन कार्ड भी डुप्लिकेट बन सकता है। इसके लिए आसान से चार स्टेप्स अपनाने होंगे और आपका पैन कार्ड फिर से आपकी जेब में होगा।
जानिए क्या हैं वो चार स्टेप्सः
स्टेप 1.
इनकम टैक्स पैन सर्विसेज यूनिट की वेबसाइट पर जाएं। यहां आपको कई विकल्प दिखाई देंगे। इनमें से आप ‘रीप्रिंट ऑफ पैन कॉर्ड’ का विकल्प अपनाना चाहिए। यह उन लोगों के लिए होता है जिन्हें पहले से परमानेंट एकाउंट नंबर (पैन) एलॉट किया जा चुका है, लेकिन उन्हें फिर से पैन कार्ड की जरूरत होती है। इस विकल्प को अपनाने के बाद उस आवेदक को एक नया पैन कार्ड जारी किया जाता है, जिस पर वही नंबर होता है।
स्टेप 2.
आपको इस फॉर्म के सभी कॉलम भरने होंगे, लेकिन बायें मार्जिन के बॉक्स में किसी पर भी सही का निशान नहीं लगाना है। उसके बाद आपको 105 रुपए का पेमेंट करना होगा। आप चाहें तो क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड, नेट बैंकिंग, डिमांड ड्राफ्ट या चेक के जरिए यह भुगतान कर सकते हैं। यह सारी प्रक्रियाएं पूरी करने के बाद आप जब यह फॉर्म जमा करेंगे, तो आपके सामने एकनॉलेजमेंट रिसीट आएगा।
स्टेप 3.
आप इस रिसीट का प्रिंट निकालें। इस पर 2.5 सेमी गुणे 3.5 सेमी आकार का रंगीन फोटोग्राफ चिपकाएं। अपने हस्ताक्षर करें। अगर आप डिमांड ड्राफ्ट या चेक के जरिए भुगतान किया है, तो उसकी प्रति साथ में लगाएं। फिर इसे आईडी प्रूफ, एड्रेस प्रूफ और डेट ऑफ बर्थ के प्रूफ के साथ एनएसडीएल के पुणे स्थित कार्यालय में भेज देना चाहिए।
स्टेप 4.
ऑनलाइन आवेदन के 15 दिनों के भीतर एनएसडीएल के कार्यालय में पहुंच जाना चाहिए। इसके 15 दिनों के भीतर आपको अपना डुप्लीकेट पैन कार्ड मिल जाएगा। आप चाहें तो अपने पैन कार्ड की स्थिति जान सकते हैं। इसके लिए आप NSDLPAN टाइप करें, स्पेस छोड़ कर प्राप्ति सूचना नंबर डालें और उसे 57575 पर भेज दें।

PAN CARD में छपा हो गलत नाम या पुराना एड्रेस, ये है बदलने का तरीका

सरकार जल्द ही एक ऐसी व्यवस्था लागू करने जा रही है जिसकी मदद से आप महज 48 घंटों के भीतर पैन (Permanent Account Number) कार्ड बनवा सकते हैं। आम तौर पर पैन कार्ड बनवाने में 15 दिन का समय लगता है। बिना पैन कार्ड के न तो बेहतर बचत का रास्ता खुलता है और न अधिकतर कंपनियों में सैलरी मिल पाती है। आज हम आपको इन्हीं से जुड़ी काम की बातें बताने जा रहे हैं।
दिलचस्प है कि केंद्र सरकार और आरबीआई ने तकरीबन हर लेन-देन में पैन कार्ड को अनिवार्य कर रखा है। पैसों के इन्वेस्टमेंट के समय भी पैन कार्ड लगाना बेहद जरूरी है। हमनें अपनी पिछली सीरीज में आपको बताया था कि आखिर पैन कार्ड कैसे चुटकियों में बनवाया जा सकता है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि अगर आपने पैन कार्ड बनवा रखा है और उसमें आपका नाम या अन्य जानकारी गलत छप गई हो तो कैसे चंद मिनटों में आप अपना नाम पूरी तरह से सही करवा सकते हैं।
ये हैं कुछ आसान स्टेप्स
1. दरअसल, ई-मेल के जरिए पैन कार्ड पर अपना नाम सही करवाने के लिए आपको एक फॉर्म भरना होगा। इस फॉर्म को आप http://www.incometaxindia.gov.in/archive/changeform.pdf से डाउनलोड कर सकते हैं।
2. इस फॉर्म के साथ आपको नाम सही करवाने के लिए सबूत के तौर पर दस्तावेज भी देने पड़ेंगे। अगर इनकम टैक्स विभाग की तरफ से हुई गलती के कारण पैन कार्ड पर गलत नाम छपा है तो आप उस दस्तावेज का हवाला दे सकते हैं जिस पर आपका नाम सही छपा है।
3. अगर आपने अपना नाम बाद में बदला है तो आपको उस आधिकारिक गजट की कॉपी देनी पड़ेगी जिसमें नाम में बदलाव छापा जाता है।
4. इसके बाद आपको ई-मेल के जरिए आयकर विभाग से एक मेल प्राप्त होगा। जिसमें आपके बदले हुए नाम का विवरण दिया जाएगा। बस उसे अप्रूव करने के बाद आपका नाम और पता बदल जाएगा। इसमें कुछ दिन का ही समय लगता है।

18 घंटे के बैटरी बैकअप के साथ कार्बन ने 4590 रु. में लॉन्च किया नया फोन

समार्टफोन कंपनियां हाईटेक फीचर्स के साथ नए-नए लो बजट स्माटफोन्स मार्केट में पेश कर रही हैं। ऐसे में कार्बन कंपनी ने भी अपने नए लो बजट स्मार्टफोन को भारतीय मार्केट में लॉन्च कर दिया है। कंपनी ने कार्बन Alfa A120 को 3000 mAh पावर बैटरी के साथ 4,599 रुपए की कीमत पर लॉन्च किया है।
कार्बन Alfa A120 की खास बात इसकी बैटरी है। कंपनी के अनुसार 3000 mAh पावर की Li-ion बैटरी 240 घंटे के स्टैंडबाय टाइम के साथ 18 घंटे का टॉकटाइम देती है।
कार्बन Alfa A120 के फीचर्स
इस फोन के बाकी फीचर्स की बात करें तो इसमें IPS टेक्नोलॉजी के साथ 4.5 इंच का डिस्प्ले दिया गया है जो (854*480 पिक्सल) रेजोल्यूशन क्वालिटी देता है। फोन में 512 MB रैम के साथ 1.3 GHz क्वाड-कोर प्रोसेसर दिया गया है।
फोन में 4 GB इंटरनल मेमोरी दी गई है जिसे माइक्रो एसडी कार्ड की मदद से 32 GB तक बढ़ाया जा सकता है। फोन के कैमरा फीचर की बात करें तो इसमें LED फ्लैश के साथ 5 मेगापिक्सल का रियर कैमरा दिया गया है। इस फोन में VGA फ्रंट कैमरा दिया गया है।
डुअल सिम वाला यह फोन ब्लू कलर में खरीदा जा सकता है।

EARTH DAY: पूरे 24 घंटे का नहीं होता एक दिन, ये हैं पृथ्वी से जुड़े MYTHS

क्या आप जानते हैं कि एक दिन पूरे 24 घंटे का नहीं होता, बल्कि 23 घंटे 56 मिनट 4 सेकंड का होता है? ऐसा इसलिए क्योंकि पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमने में इतना ही वक्त लेती है और उसके घूमने की रफ्तार भी साल-दर-साल कम होती जा रही है। पृथ्वी से जुड़े ऐसे ही कई और मिथक भी हैं, जबकि हकीकत इनसे थोड़ी अलग है। dainikbhaskar.com आज आपको अर्थ-डे के मौके पर ऐसे ही मिथकों के बारे में बता रहा है। साथ ही जानिए, पृथ्वी के सामने क्या हैं मौजूदा खतरे?
क्या है अर्थ-डे?
अमेरिका में 1970 में पर्यावरण से जुड़े मुद्दों पर जागरूकता लाने के लिए सीनेटर गेलॉर्ड नेल्सन ने अर्थ-डे की शुरुआत की। उन्होंने इसके लिए कई दिनों तक कैम्पेन चलाया था। नतीजतन 22 अप्रैल को पूरे अमेरिका में 2 करोड़ लोग सड़कों पर उतर आए। अब तक इस कैम्पेन से 184 देशों में 5000 एन्वायर्नमेंटल ग्रुप्स जुड़ चुके हैं।
क्या हैं पृथ्वी से जुड़े मिथक?
1. एक दिन में 24 घंटे होते हैं।
नहीं। एक दिन 23 घंटे 56 मिनट 4 सेकंड का होता है। इतना ही समय पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमने में लेती है।
2. धरती पर बिजली कभी-कभी ही गिरती है।
- नहीं। एक सेकंड में 100 बार या एक दिन में 86 लाख बार भी बिजली गिरती है।
3. पृथ्वी के 70 % हिस्से पर पानी है।
- पृथ्वी के Mass के 0.07 % और इसके वॉल्यूम के 0.4 % हिस्से पर ही पानी मौजूद है। 
 4. चांद न होता तो पृथ्वी पर कोई फर्क नहीं पड़ता।
चांद नहीं होता तो दिन 6 से 8 घंटे का ही होता। एक साल में 365 नहीं, 1000 से 1400 दिन होते।
5. धरती पर सबसे ऊंचा पर्वत माउंट एवरेस्ट है। ऊंचाई 8850 मीटर है।
- माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई समुद्र स्तर से 8850 मीटर है। लेकिन पृथ्वी के केंद्र से अंतरिक्ष की दूरी देखें तो सबसे ऊंचा पर्वत इक्वाडोर का माउंट चिम्बोराजो है। इसकी ऊंचाई 6310 मीटर है।
पृथ्वी के सामने मौजूद खतरे
1. बढ़ती जनसंख्या
दुनिया की आबादी अभी 7.3 अरब है। 2025 तक यह 1 अरब और बढ़ जाएगी। 2050 तक 9.6 अरब हो सकती है। ऐसे में अगले 35 साल में 10 में से सिर्फ एक को ही भरपेट भोजन मिल पाएगा। वर्ल्ड बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार 2020 तक भारत दुनिया का ऐसा देश होगा, जहां हवा, पानी, जमीन और वनों पर विकास की रफ्तार का सबसे ज्यादा दबाव होगा।

2. तपती धरती
ग्लोबल वॉर्मिंग का असर सबसे ज्यादा है। 20वीं सदी की तुलना में इस साल जनवरी से मार्च के बीच औसत तापमान 1.48F ज्यादा रिकॉर्ड किया गया। 2014 अब तक का सबसे गरम साल था, 2015 भी इसी रास्ते पर बढ़ता दिख रहा है।

3. पिघलते-सिकुड़ते ग्लेशियर
वेस्ट कनाडा के ग्लेशियर 21वीं सदी के अंत तक 70% तक पिघल जाएंगे। पिछले 5 से 7 साल में अलास्का के करीब सभी ग्लेशियरों के पिघलने की दर दोगुनी हो गई है। हिमालय के ग्लेशियर भी पिघल रहे हैं। पिछले 50 साल में एवरेस्ट क्षेत्र में स्नोलाइन 180 मीटर तक कम हो गई है। यूरोपियन आल्प्स के ग्लेशियर्स 40 % तक और अफ्रीका के ट्रॉपिकल ग्लेशियर्स 70 % तक अपना सरफेस एरिया खो चुके हैं।

4. घटते जंगल
हर साल 1.8 करोड़ एकड़ जंगलों की कटाई हो रही है। यह पनामा जैसे देश के आकार के बराबर है। हर दिन 27 हजार पेड़ सिर्फ टॉयलेट पेपर बनाने के लिए काटे जा रहे हैं।

5. बढ़ती बंजर जमीन
क्लाइमेट चेंज के कारण दुनिया में हर साल 32 हजार किलोमीटर जमीन बंजर हो रही है। पृथ्वी का एक तिहाई हिस्सा आंशिक या पूरी तौर पर रेगिस्तान है। थार का रेगिस्तान हर साल औसतन 8 किलोमीटर बढ़ रहा है। इसकी वजह से 50 वर्ग मील खेती लायक जमीन हर साल अपनी उर्वरता खो रही है। 51 मिलियन वर्ग किमी समुद्री क्षेत्र पूरी धरती के महासागरों का पिछले 30 सालों में निर्जीव हो चुका है।

6. बढ़ता प्रदूषण
दुनिया में 40% मौतें पानी, हवा और मिट्टी के प्रदूषण से होती हैं। सिर्फ एयर पॉल्यूशन से हर साल 70 लाख लोगों की मौत हो रही है। साउथ-ईस्ट एशिया और वेस्टर्न पेसिफिक रीजन के देशों में एयर पॉल्यूशन सबसे ज्यादा है।

7. पानी का संकट
दुनिया में रोजाना 1 अरब लोगों को पीने लायक पानी नहीं मिल रहा, जबकि 2 अरब लोग साफ पानी को तरस रहे हैं। 2050 तक करीब 09 अरब लोग बिना पानी या कम पानी में गुजारा कर रहे होंगे। 2025 तक भारत के करीब 60% भूजल स्रोत पूरी तरह सूख चुके होंगे।
 
पृथ्वी के बारे में कुछ फैक्ट्स
- सूरज के अंदर 13 लाख पृथ्वी बराबर तारे समा सकते हैं।
- पृथ्वी के स्लो रोटेशन की वजह से 2015 एक सेकंड लंबा होगा।
- पेड़ों से पहले धरती पूरी तरह से विशाल मशरूमों से ढंकी हुई थी।
- सौर मंडल में पृथ्वी ही एक ऐसी जगह है, जहां पानी सॉलिड, लिक्विड, वेपर रूप में मौजूद है।
- पिछले 40 साल में धरती से 40 % जंगली जीव विलुप्त हो चुके हैं।
- इंसान द्वारा बनाई गईं 22 हजार वस्तुएं अर्थ प्लेनेट पर चक्कर लगा रही हैं।
- पृथ्वी का 40 % हिस्सा दुनिया के छह देशों में है।
- ब्रह्मांड की 100 से 300 टन धूल हर दिन पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश कर रही है।
- पृथ्वी के केंद्र में पर्याप्त सोना है, जो 1.5 फीट की गहराई तक इसकी पूरी सतह को ढंक सकता है।
- दुनिया में हर साल 5 लाख भूकंप आते हैं। इनमें से एक लाख भूकंप सिर्फ महसूस किए जाते हैं जबकि 100 विनाशकारी होते हैं।
- पृथ्वी पर मौजूद सिर्फ 1% पानी ही इस्तेमाल करने योग्य है। 97% समुद्री जल है। 2% पानी आर्कटिक में जमा हुआ है।
- धरती पर हर साल 77 लाख लोगों का बोझ बढ़ जाता है।
- दुनिया के सबसे पुराने पेड़ की उम्र 46 हजार साल से ज्यादा है जो अमेरिका के ब्रिस्टलकोन पाइंस में है।
- ग्लास की एक बोतल को पूरी तरह नष्ट करने में 4 हजार से भी ज्यादा साल लगते हैं।

Tuesday, 21 April 2015

इंडियन अर्नोल्ड, कैंसर और लकवा से लड़कर बने मिस्टर इंडिया

'मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है। पंख से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है।' इन लाइनों को चरितार्थ करती भारतीय बॉडीबिल्डर आनंद अर्नोल्ड की स्टोरी है। भारतीय अर्नोल्ड नाम से जाने-जाने वाले आनंद का शरीर कैंसर के कारण पैरालाइज्ड हो गया था। उसके बाद भी अर्नोल्ड ने हार नहीं मानी और अपने हौसले से न केवल सभी को गलत साबित किया, बल्कि तीन बार मिस्टर इंडिया का खिताब भी जीता।
28 साल के आनंद ने हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान अपने संघर्षपूर्ण बीते कल के बारे में चर्चा की। आनंद ने बताया कि कैसे उन्होंने 15 साल की उम्र में कैंसर के बाद हुए लकवाग्रस्त शरीर के बल पर बॉडीबिल्डिंग में कई मेडल जीते। उन्होंने बताया, "मैं हमेशा से ही बॉडीबिल्डर बनना चाहता था। मैंने करियर की पहली ट्रॉफी 13 साल की उम्र में जीती।"
15 साल की उम्र में कैंसर
आनंद द्वारा बॉडीबिल्डिंग में करियर शुरू किए सिर्फ दो साल ही हुए थे कि उन्हें लोअर स्पिनल कॉर्ड में कैंसर का पता चला। जब कैंसर के इलाज के लिए ऑपरेशन किया गया तो उनका चेस्ट पूरी तरह से पैरालाइज्ड हो गया। वह तीन साल तक बेड पर पड़ रहे। इन तीनों सालों के दौरान उनके हाथ थोड़े-बहुत मूव करते थे।
फैमिली ने किया सपोर्ट, दिखाया दम
उन्होंने कहा, "तीन साल तक बेड पर पड़े रहने के दौरान मेरी फैमिली ने वापसी के लिए मुझे काफी सपोर्ट किया। मेरे और मेरे परिवार के लिए बॉडीबिल्डिंग में वापसी और मेडल जीतना काफी सुकूनभरा रहा।
12 बार रहे मिस्टर पंजाब
आनंद अब तक तीन बार मिस्टर इंडिया के अलावा 12 बार मिस्टर पंजाब का खिताब जीत चुके हैं। उनके करियर पर निगाह डाली जाए तो उनके नाम 27 अन्य छोटे-बड़े खिताब भी दर्ज हैं। आनंद 'मुस्कले मेनिया' इवेंट में भी हिस्सा ले चुके हैं।

अजमेर शरीफ: दूर-दूर से आते हैं लोग, हिंदू परिवार करता है उर्स की शुरुआत

राजस्थान के अजमेर शरीफ में हजरत ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती रहमतुल्ला अलैह की मजार पर 803वें सालाना उर्स की शुरुआत हो चुकी है। अजमेर की दरगाह का भारत में ही नहीं विदेशों में भी बड़ा महत्व है। कहा जाता है कि ख्वाजा मोईनुद्‍दीन चिश्ती के दरबार में लोग चींटी की तरह खिंचे चले आते हैं। ऐसा नहीं है कि यहां आने वाले सिर्फ मुस्लिम ही हो। यहां आने वालों की संख्या मुस्लिम से ज्यादा दूसरे धर्म को मानने वाले लोगों की है। अजमेर के गरीब नवाज का आकर्षण ही कुछ ऐसा है कि लोग यहां खिंचे चले आते हैं। यहां का मुख्य पर्व उर्स है। ये इस्लाम कैलेंडर के रजब माह की पहली से छठवीं तारीख तक मनाया जाता है। उर्स की शुरुआत बाबा की मजार पर हिन्दू परिवार द्वारा चादर चढ़ाने के बाद ही होती है।
इस्लाम के साथ सूफी मत की शुरुआत
हमारे देश में जब इस्लाम धर्म को मानने वाले आए उन्हीं के साथ सूफी मत को मानने वाले भी आए। इसी के साथ दोनों की शुरुआत भारत मैं हुई। सूफी संत एक ईश्वरवाद पर विश्वास रखते थे। इन्हीं में से एक थे हजरत ख्वाजा मोईनुद्‍दीन चिश्ती रहमतुल्ला अलैह। बताया जाता है कि ख्वाजा साहब का जन्म ईरान में हुआ था। फिर ख्वाजा हिन्दुस्तान आ गए। एक बार बादशाह अकबर ने इनकी दरगाह पर पुत्र प्राप्ति के लिए मन्नत मांगी थी। ख्वाजा साहब की दुआ से बादशाह अकबर को बेटा हुआ। ख्वाजाजी का शुक्रिया अदा करने अकबर बादशाह ने आमेर से अजमेर शरीफ तक पैदल आकर शीश नवाया था।
 वास्तुकला की बेजोड़ मिसाल
तारागढ़ पहाड़ी की तलहटी में स्थित दरगाह शरीफ को वास्तुकला की बेजोड़ मिसाल कही जा सकती है। यहां ईरानी और हिन्दुस्तानी वास्तुकला दोनों ही देखने को मिलती है। दरगाह के प्रवेश द्वार कुछ भाग अकबर ने तो कुछ जहांगीर ने पूरा करवाया था। माना जाता है कि दरगाह को पक्का करवाने का काम माण्डू के सुल्तान ग्यासुद्दीन खिलजी ने करवाया था। दरगाह के अंदर नक्काशीदार चांदी का कटघरा है। इस कटघरे के अंदर ख्वाजा साहब की मजार है। यह कटघरा जयपुर के महाराजा राजा जयसिंह ने बनवाया था। दरगाह में एक खूबसूरत महफिल खाना भी है, जहां कव्वालियां होती हैं।
मन्नत मांगने के लिए बांधते हैं धागा
यहां ऐसी मान्यता है कि धागा बांधने से यहां सच्चे मन से मांगी हुई हर मुराद पूरी होती है। मुराद पूरी होने पर खोलने का नहीं। उर्स इस्लामी कैलेंडर के अनुसार रजब माह में पहली से छठी तारीख तक मनाया जाता है। छठी तारीख को ख्वाजा साहब की पुण्यतिथि मनाई जाती है। उर्स के दिनों में महफिलखाने में देश भर से आए कव्वाल अपनी कव्वालियां गाते हैं। मान्यता है कि यदि जायरीन यहां आने से पहले हजरत निज़ामुद्दीन औलिया, दिल्ली के दरबार में हाजरी लगाता है तो उसकी मुराद यहां सौ फीसदी पूरी होती है। उर्स के मौके पर लाखों की संख्या में लोग चादर चढ़ाने अजमेर आते हैं।
महक उठता है पूरा बाजार
उर्स के समय बाजारों की सजावट देखने लायक होती है। दरगाह और उसके आसपास फूल, इत्र और अगरबत्ती आदि की सुगंध महक उठती है। वास्तव में दरगाह शरीफ एक ऐसी पाक जगह है, जहां मनुष्य को खुद को जानने और समझने की शक्ति मिलती है तथा कुछ समय के लिए वह अपने सारे दुखों को भूल जाता है। मोईनुद्दीन चिश्ती ने कभी भी अपने उपदेश किसी किताब में नहीं लिखे न ही उनके किसी शिष्य ने उन शिक्षाओं को संकलित किया। चिश्ती ने हमेशा राजशाही, लोभ, मोह का विरोध किया। उन्होंने सभी को मानव सेवा का पाठ पढाया। अकबर के शासन के समय अजमेर में चिश्ती की स्थापना हुई व ख्याति फैली।

ये हैं 8 तरह की हेल्दी drinks, कई प्रकार की बीमारियों से रखती हैं दूर

गर्मियों में जब भी खाने-पीने का जिक्र होता है, तो सबसे पहले दिमाग में कोल्ड ड्रिंक पीने का ऑप्शन ही आता है या फिर आइसक्रीम खाने का। लेकिन क्या आप जानते हैं दोनों ही चीजें सिर्फ थोड़ी देर के लिए ही गर्मी शांत करती हैं। इनसे सेहत को जरा सा भी फायदा नहीं पहुंचता। वैसे, वहीं कुछ ऐसे ड्रिंक्स होते हैं जो प्यास बुझाने के साथ ही सेहत के लिए भी काफी फायदेमंद होते हैं। और-तो-और, कई प्रकार की बीमारियों जैसे ऑस्टियोपोरोसिस और अपच जैसी समस्याओं को भी दूर रखते हैं।
ग्रीन टी से होने वाले फायदे
ऑस्टियोपोरोसिस, कैंसर, दिल की बीमारी और कैविटी जैसी कई समस्याओं को ग्रीन टी पीकर दूर किया जा सकता है, क्योंकि इसमें फ्लेवोनॉइड्स, पॉलीफेनोल्स और एंटी-ऑक्सीडेंट्स की मात्रा सेल्स को कैंसर बनाने वाले कारसिनोजेंस(Carcinogens) से बचाती है। साथ ही फ्री रेडिकल्स की समस्या को भी दूर करती है। एंटी-ऑक्सीडेंट्स की भरपूर मात्रा ब्लड वेसेल्स को रिलैक्स करती है जिससे क्लॉटिंग की प्रॉब्लम नहीं होती और हार्ट अटैक, स्ट्रोक जैसी समस्याओं से बचा जा सकता है। ग्रीन टी में मौजूद फ्लोराइड दांतों के साथ ही हड्डियों को भी मजबूत बनाता है।
मिंट टी से होने वाले फायदे
अपच और पेट में मरोड़ जैसी समस्याओं से छुटकारा दिलाती है। मिंट एक एंटी स्पासमॉडिक की तरह काम करती है, जो मसल्स को रिलैक्स करने के साथ ही उसकी अकड़न और दर्द को भी दूर करती है। खराब खाना खाने या पानी पीने की वजह से कई बार अपच की प्रॉब्लम हो जाती है जिसे मिंट टी पीकर झट से दूर किया जा सकता है। साथ ही यह गैस और दर्द को भी खत्म करती है।
बहुत से लोगों को कार, बस और ट्रेन में बैठने पर चक्कर और उल्टी आने की परेशानी होती है। इससे बचने के लिए पुदीने की चाय पीना फायदेमंद होता है। पिंपल्स, एलर्जी, खुजली, सूजन और जलन जैसी प्रॉब्लम को आसानी से मिंट टी दूर कर सकती है। गर्मियों में इसे पीकर लू से भी बचा जा सकता है। पुदीने की चाय के रोजाना सेवन से बालों से संबंधित कई प्रकार की समस्याओं से छुटकारा मिलता है। साथ ही वो लंबे, घने और चमकदार भी बनते हैं।
सोया मिल्क से होने वाले फायदे
दूध में मिलने वाले सभी प्रकार के न्यूट्रिशंस सोया मिल्क भी मौजूद होते हैं। इसे पीने से दिल की बीमारियों की संभावनाओं को काफी हद तक कम किया जा सकता है। सोयाबीन्स को पानी में अच्छी तरह से पीसकर 15-20 मिनट उबालें। फिर इसे अच्छी तरह से छानकर सोया मिल्क तैयार करें। बहुत सारे प्रोटीन्स, विटामिन्स ए, डी और आयरन वाले सोया मिल्क में फैट की मात्रा बिल्कुल न के बराबर होती है। साथ ही इसे पीने से गर्मी और पसीने की समस्या भी बहुत जल्द दूर होती है। सोया मिल्क में फाइटोएस्ट्रोजेन्स पाए जाते हैं जिनसे ब्रेस्ट कैंसर जैसी गंभीर बीमारी को रोका जा सकता है। अगर आपके परिवर में कोई ऐसी बीमारी है जो हर पीढ़ी में फैलती है, तो डॉक्टर की सलाह के बाद सोया मिल्क पीकर इसे दूर किया जा सकता है।
हॉट चॉकलेट से होने वाले फायदे
हॉट चॉकलेट ब्रेन के लिए बहुत ही फायदेमंद होती है। इससे याददाश्त अच्छी होती है। चॉकलेट ब्रेन में न्यूरोट्रांसमीटर सिरोटीन की मात्रा को बढ़ाती है, जो तनाव, चिंता और दिमाग से जुड़ी कई प्रकार की बीमारियों को दूर करती है। इसके साथ ही स्ट्रेस और डिप्रेशन से भी लड़ा जा सकता है। पॉलीफेनोल्स, एंटी-ऑक्सीडेंट्स की मात्रा सेल्स को डैमेज होने से बचाती है और हार्ट अटैक के खतरे को भी काफी कम करती है।
लो सोडियम वाले टमाटर के जूस से होने वाले फायदे
इसे पीने से कई प्रकार के कैंसर दूर किए जा सकते हैं। टमाटर में लाइकोपीन पाया जाता है, जो फेफड़ों, पेट के कैंसर, पैनक्रियाटिक, मुंह के कैंसर, ब्रेस्ट और सर्वाइकल कैंसर से बचाता है। इसके साथ ही इसे पीकर कार्डियोवैस्कुलर बीमारी से भी निजात पाई जा सकती है।
क्रेनबेरी जूस से होने वाले फायदे
खट्टे स्वाद वाले इस फल का जूस पीकर कई प्रकार की बीमारियों से छुटकारा पाया जा सकता है। रिसर्च में बताया गया है कि इसमें मौजूद एंटी बैक्टीरियल तत्व यूरिनरी इन्फेक्शन के साथ ही पीरियड्स से संबंधित बीमारियों को दूर रखते हैं। और-तो-और, मसूड़ों के दर्द, मुंह की बदबू आदि जैसी समस्याओं से भी आसानी से निपटा जा सकता है। रोजाना इसका एक गिलास जूस पीना सेहत के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है।
संतरे के जूस से होने वाले फायदे
मोतियाबिंद, कैंसर जैसी बीमारी को दूर रखता है संतरे का जूस। साथ ही इसे पीने से इम्यून सिस्टम भी सही रहता है। विटामिन सी एक बहुत ही अच्छा एंटी-ऑक्सीडेंट होता है, जो त्वचा से जुड़ी कई प्रकार की बीमारियों को ठीक करता है और इन्फेक्शन्स से भी बचाता है। संतरे में मौजूद फोलेट की भरपूर मात्रा प्रेग्नेंसी में शिशु की कई प्रकार की बीमारियों से रक्षा करती है। हड्डियों की टूट-फूट से बचने के लिए संतरे का जूस पीना बहुत ही फायदेमंद होता है।

Monday, 20 April 2015

B'DAY SPCL: 43 की हुईं ममता कुलकर्णी, पहले एक्ट्रेस फिर बनीं संन्यासिन

'आशिक आवारा', 'करन-अर्जुन' जैसी फिल्मों में काम कर सुर्खियों में आईं बोल्ड एंड ग्लैमरस एक्ट्रेस ममता कुलकर्णी 43 साल की हो गईं हैं। ममता का जन्म 20 अप्रैल 1972 को मुंबई के एक मराठी परिवार में हुआ था। हालांकि, बॉलीवुड इंडस्ट्री में 90 के दशक में सेक्स सिंबल के तौर पर पहचान बनाने वाली ममता अब संन्यासिनी बन गई है। पिछले एक दशक से लाइमलाइट से दूर रहीं ममता ने अब आध्यात्म का रास्ता चुन लिया है। 2013 में उनकी एक किताब भी रिलीज हो चुकी है।
फिल्मी करियर
1991 में ममता ने अपने करियर की शुरूआत तमिल फिल्म 'ननबरगल' से की। 1992 में फिल्म 'तिरंगा' से उन्होंने बी-टाउन में कदम रखा। 1993 में आई फिल्म 'आशिक आवारा' ने ममता को स्टार बना दिया। इस फिल्म के लिए उन्हें 'फिल्मफेयर न्यू फेस' अवॉर्ड से नवाजा गया। इसके बाद वे 'वक्त हमारा है', 'क्रांतिवीर', 'करण अर्जुन', 'बाजी' जैसी फिल्मों में नजर आई। उनकी लास्ट रिलीज फिल्म 'कभी तुम कभी हम' साल 2002 में रिलीज हुई थी।
विवादों से रहा ममता का रिश्ता
शाहरुख खान, सलमान खान, अजय देवगन, अनिल कपूर जैसे बड़े स्टार्स से साथ स्क्रीन शेयर करने वाली ममता, उस वक्त विवादों में आई जब उन्होंने साल 1993 में स्टारडस्ट मैग्जीन के लिए टॉपलेस फोटोशूट कराया था। वहीं, डायरेक्टर राजकुमार संतोषी ने ममता को फिल्म 'चाइना गेट' में बतौर लीड एक्ट्रेस लिया था। शुरुआती अनबन के बाद संतोषी, ममता को फिल्म से बाहर निकालना चाहते थे। खबरों के मुताबिक, अंडरवर्ल्ड से प्रेशर बढ़ने के बाद, उन्हें फिल्म में रखा गया। हालांकि, फिल्म फ्लॉप साबित हुई और बाद में ममता ने संतोषी पर सेक्सुअल हैरेसमेंट का अरोप भी लगाया।
ड्रग माफिया से रचाई शादी
मीडिया में आई खबरों के मुताबिक ममता कुलकर्णी ने दुबई के रहने वाले अंडरवर्ल्ड ड्रग माफिया विक्की गोस्वामी से शादी रचाई। हालांकि, ममता ने अपनी शादी की खबरों को हमेशा ही अफवाह बताया। ममता के मुताबिक, "मैंने कभी किसी से शादी नहीं की थी और न ही अब शादीशुदा हूं। यह सही है कि मैं विक्‍की से प्‍यार करती हूं, लेकिन उसे भी पता होगा कि अब मेरा पहला प्‍यार ईश्‍वर है।'
एक्ट्रेस से बनीं संन्यासिनी
कभी अपने ग्लैमरस और बोल्ड अंदाज से सुर्खियां बटोरने वाली ममता कुलकर्णी अब संन्यासिनी बन गई हैं। बॉलीवुड की गलियों छोड़ अब वे आध्यात्म की राह पर चल पड़ी हैं। 2013 में उन्होंने अपनी किताब 'ऑटोबायोग्राफी ऑफ एन योगिनी' रिलीज की थी। इस दौरान फिल्‍मी दुनिया को अलविदा कहने की वजह बताते हुए ममता कुलकर्णी ने कहा था, 'कुछ लोग दुनिया के कामों के लिए पैदा होते है, जबकि कुछ ईश्‍वर के लिए पैदा होते हैं। मैं भी ईश्‍वर के लिए पैदा हुई हूं।'

गूगल की मदद से ऐसे पता लगाएं कहां है आपका खोया हुआ स्मार्टफोन

गूगल ने हाल ही मेें एक नया फीचर लॉन्च किया है जिसकी मदद से आप अपने खोए हुए एंड्रॉइड स्मार्टफोन का पता लगा सकते हैं। हम आपको बता रहे हैं 5 आसान स्टेप्स जिसकी मदद से आप बिना किसी डिवाइस ट्रैकिंग ऐप के अपने खोए हुए फोन के लोकेशन का पता लगा सकेंगे।
बता दें कि फोन का लोकेशन पता करने के लिए आपके फोन में गूगल अकाउंट लॉगइन होना ही चाहिए। ऐसा ना होने पर Android Device Manager आपके फोन का पता नहीं लगा पाएगा।
खोए हुए फोन को ट्रैक करने के लिए जरूरी बातें
1. आपका फोन गूगल अकाउंट से कनेक्ट होना चाहिए
2. आपके फोन में इंटरनेट का एक्सिस होना जरूरी है
3. एंड्रॉइड डिवाइस मैनेजर द्वारा अपना फोन लोकेट करने के लिए (by default को ऑन रखें)। इसे गूगल सेटिंग ऐप में चेंज किया जा सकता है।
Android Device Manager गूगल का ऑफिशियल वेबसाइट है जिसकी मदद से आप अपने खोए हुए फोन का लोकेशन पता कर सकते हैं। इसकी खासियत यह है कि आपके फोन में किसी डिवाइस ट्रैकर ऐप का होना जरूरी नहीं है। सिर्फ आपका एंड्रॉइड फोन गूगल अकाउंट से कनेक्ट होना चाहिए।

इसके लिए सबसे पहले आपको अपने कम्प्यूटर में गूगल की साइट ओपन करनी है और 'Find my phone' टाइप करना है। ये टाइप करते ही गूगल आपको आपके एंड्रॉइड फोन की लोकेशन बता देगा।
लोकेशन जानने के बाद आपको कम्प्यूटर स्क्रीन पर दो ऑप्शन्स दिखाई देंगे। 'Ring' और 'Set up Lock and Erase'। 'Ring' ऑप्शन पर क्लिक करते ही आपके फोन में रिंग बजेगी।
'Set up Lock and Erase' ऑप्शन पर क्लिक करते ही आपके सामने एक नोटिफिकेशन ऑपन होगा जिसमें आपको 'Send' ऑप्शन पर क्लिक करना है। इसपर क्लिक करते ही गूगल आपके फोन में एक सिक्युरिटी नोटिफिकेशन भेजेगा जिसे आपको एक्टिवेट करना है।
इसके बाद कभी भी आपका फोन खो जाए तो आप 'Ring', 'Lock' या 'Erase' ऑप्शन पर क्लिक करना है।

यहां दफन है अरबों का खजाना, जो भी गया अंदर नहीं आया वापस

रोहतक के पास महम में 'चोरों की बावड़ी' की इतिहास में खास जगह बनी हुई है। इसे 'स्वर्ग का झरना' भी कहा जाता है। मुगलकाल की यह बावड़ी यादों से ज्यादा रहस्यमयी किस्से-कहानियों के लिए जानी जाती है।
कहा जाता है कि सदियों पहले बनी इस बावड़ी में अरबों रुपए का खजाना छुपा हुआ है, यही नहीं इसमें सुरंगों का जाल है जो दिल्ली, हिसार और लाहौर तक जाता है? लेकिन इन बातों का इतिहास में कहीं कोई उल्लेख नहीं मिलता। कुछ ऐसे ही प्रश्न हैं जो आज भी लोगों के लिए रहस्य बने हुए हैं।
बावड़ी में है सुरंगों का जाल
बावड़ी में लगे फारसी भाषा के एक अभिलेख के अनुसार इस स्वर्ग के झरने का निर्माण उस समय के मुगल राजा शाहजहां के सूबेदार सैद्यू कलाल ने 1658-59 ईसवी में करवाया था। इसमें एक कुआं है जिस तक पहुंचने के लिए 101 सीढिय़ां उतरनी पड़ती हैं। इसमें कई कमरे भी हैं, जो कि उस जमाने में राहगीरों के आराम के लिए बनवाए गए थे। सरकार द्वारा उचित देखभाल न किए जाने के कारण यह बावड़ी जर्जर हो रही है। इसके बुर्ज व मंडेर गिर चुके हैं। कुएं के अंदर स्थित पानी काला पड़ चुका है।
ज्ञानी चोर ने दफनाया अरबों का खजाना
इस बावड़ी को लेकर वैसे तो कई कहानियां गढ़ी गई है, लेकिन इनमें प्रमुख है ज्ञानी चोर की कहानी। कहा जाता है कि ज्ञानी चोर एक शातिर चोर था जो धनवानों का लूटता और इस बावड़ी में छलांग लगाकर गायब हो जाता और अगले दिन फिर राहजनी के लिए निकल आता था। लोगों का यह अनुमान है कि ज्ञानी चोर द्वारा लूटा गया सारा धन इसी बावड़ी में मौजूद है। लोक मान्यताओं के अनुसार ज्ञानी चोर का अरबों का खजाना इसी में दफन है। जो भी इस खजाने की खोज में अंदर गया वो इस बावड़ी की भूलभुलैया में खो गया और खुद एक रहस्य हो गया। लोगों का कहना है कि उस समय का प्रसिद्व ज्ञानी चोर चोरी करने के बाद पुलिस से बचने के लिए यहीं आकर छुपता था। कई जानकार इस जगह को सेनाओं की आरामगाह बताते हैं। उनका कहना है कि रजवाड़ों में आपसी लड़ाई के बाद राजाओं की सेना यहां रात को विश्राम करती थी। छांव व पानी की सुविधा होने के कारण यह जगह उनके लिए सुरक्षित थी।
इतिहासकार नहीं मानते ज्ञानी चोर को
लेकिन इतिहासकारों की माने तो ज्ञानी चोर के चरित्र का जिक्र इतिहास में कहीं नहीं मिलता। अत: खजाना तो दूर की बात है। इतिहासकार डॉ. अमर सिंह ने कहा कि पुराने जमाने में पानी की जरूरतों को पूरा करने के लिए बावडिय़ां बनाई जाती थीं। लोगों का कहना है कि इतिहासकारों को चाहिए कि बावड़ी से जुड़ी लोकमान्यताओं को ध्यान में रखकर अपनी खोजबीन फिर नए सिरे से शुरू करें ताकि इस बावड़ी की तमाम सच्चाई जमाने के सामने आ सके। कहने को तो ये बावड़ी पुरातत्व विभाग के अधीन है मगर 352 सालों से कुदरत के थपेड़ों ने इसे कमजोर कर दिया है। जिसके चलते इसकी एक दीवार गिर गई है और दूसरी कब गिर जाए इसका पता नहीं। ग्रामीणों का कहना है कि कई बार प्रशासन से इसकी मरम्मत करवाने की गुहार लगा चुके हैं।

आखा तीज कलः ये काम करने से रूठ जाती हैं मां लक्ष्मी

कल (21 अप्रैल, मंगलवार) अक्षय तृतीया का पर्व है। धर्म ग्रंथों के अनुसार ये दिन लक्ष्मी कृपा पाने के लिए बहुत ही शुभ है क्योंकि इस दिन किए गए उपाय, टोटके आदि का संपूर्ण फल प्राप्त होता है। इस दिन लक्ष्मीजी की पूजा करने का विधान भी है। सामान्यतः सभी की सोच होती है कि पूजा-अर्चना करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न हो जाती हैं परंतु महालक्ष्मी की कृपा के लिए पूजा के साथ-साथ कई अन्य विधान भी बताए गए हैं।
इन विधानों के अभाव में लक्ष्मी पूजा भी निष्फल हो जाती है और भक्त को धन, यश, मान-सम्मान प्राप्त नहीं हो पाता। शास्त्रों के अनुसार कुछ ऐसे कार्य वर्जित किए गए हैं, जो महालक्ष्मी की कृपा प्राप्ति में बाधा उत्पन्न करते हैं। आज हम आपको ऐसे ही कुछ कामों के बारे में बता रहे हैं, जिन्हें करने से माता लक्ष्मी रूठ जाती हैं और जो लोग ये काम करते हैं मां लक्ष्मी ऐसे लोगों को त्याग देती हैं। जानिए कौन से हैं वो काम-
 
1. वायु पुराण के अनुसार जो भी व्यक्ति बिना स्नान किए तुलसी के पत्ते तोड़ कर उनके द्वारा देवताओं की पूजा करते हैं। देवता उसकी पूजा स्वीकार नहीं करते और धन की देवी मां लक्ष्मी भी उससे रूठ जाती हैं। इसलिए स्नान करने के बाद ही तुलसी के पत्ते पूजन या अन्य किसी कार्य के लिए तोड़ने चाहिए।

 2. महालक्ष्मी उन्हें तुरंत त्याग देती हैं, जो अस्वच्छ अवस्था में देवताओं का पूजन करता है। अस्वच्छ अवस्था का अर्थ है बिना दातुन किए, बिना नहाए या अस्वच्छ वस्त्र पहने हुए। साथ ही पूजन करते समय मन की अवस्था भी स्वच्छ होनी चाहिए यानी मन में किसी प्रकार का विकार नहीं होना चाहिए।

3. यदि कोई व्यक्ति आलसी है और ईश्वर में विश्वास नहीं करता। वह लक्ष्मी की कैसी भी पूजा करे तो भी वह हमेशा धन के अभाव में ही रहता है।

4. कपटी, चोर, बुरे चरित्र वाले व्यक्तियों के पास देवी लक्ष्मी कभी नहीं जाती।

5. देवताओं की पूजा करते समय किसी पर क्रोध नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से मां लक्ष्मी रूठ हो जाती हैं और देवता भी ऐसा पूजन स्वीकार नहीं करते। इसलिए शुद्ध मन से पूजन करने से ही देवी लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।

6. गुरु के प्रति अनादर का भाव रखने वाले, गुरु की पत्नी पर बुरी नजर रखने वाले व्यक्ति से महालक्ष्मी अति क्रोधित होती हैं और पुराना धन भी समाप्त कर देती हैं।
 
7. जो व्यक्ति भगवान पर बासी फूल अर्पित करता हो, उससे लक्ष्मी दूर रहती हैं।

8. देवताओं की पूजा करते समय शुद्ध घी का दीपक अपनी बांई ओर तथा तेल का दीपक अपनी दाहिनी ओर रखना चाहिए। ऐसा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और भक्त पर कृपा बनाए रखती हैं।

9. जो व्यक्ति शास्त्रों द्वारा वर्जित दिनों में या सायंकाल में स्त्री के साथ सहवास करता है, दिन में सोता है, उसके घर लक्ष्मी नहीं जातीं।

10. जो व्यक्ति घर के सदस्यों में भेदभाव करता हो, उसे धन प्राप्त नहीं होता।

11. देवताओं के लिए घी का दीपक जलाने के लिए रूई की सफेद बत्ती और सरसों के तेल का दीपक जलाने के लिए लाल बत्ती का उपयोग करना चाहिए। जो भी इन बातों का ध्यान रखता है, उस पर मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।

12. महालक्ष्मी उन्हें त्याग देती हैं जो सफाई से नहीं रहता, हमेशा गंदे, दुर्गंधयुक्त कपड़े पहनता हो।

13. पराए धन और पराई स्त्री पर बुरी नजर रखने वाले को महालक्ष्मी की कृपा कभी प्राप्त नहीं होती।

14. धर्म ग्रंथों के अनुसार पूजन में जलाए गए दीपक को कभी भी स्वयं नहीं बुझाना चाहिए। इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि देवता के सामने जलाया गया दीपक दक्षिण दिशा की ओर न रखा गया हो।

15. जो स्त्रियां बुरे स्वभाव वाली हैं व बड़ों का अनादर करती हैं। दूसरे पुरुषों में मन लगाती हैं, अधार्मिक कार्य करती हैं। उनसे मां लक्ष्मी कभी प्रसन्न नहीं होतीं।

ये है मुकेश अंबानी का 'एंटीलिया', लग्जरी कारों का है कलेक्शन

भारतीय उद्योगपति मुकेश अंबानी पूरी दुनिया में अपने धन और शोहरत का डंका बजा रहे हैं। 19 अप्रैल, 1957 को जन्मे मुकेश अंबानी की कारोबारी हैसियत का लोहा पूरी दुनिया मान चुकी है। फोर्ब्स द्वारा जारी (2015) लिस्ट के अनुसार मुकेश अंबानी का नाम दुनिया के 50 अमीर व्यक्तियों में शामिल हैं। दुनिया के सबसे अमीर व्यक्तियों की लिस्ट में वे 39वें नंबर पर हैं। भारतीय पेट्रो रसायन उद्योग के बेताज बादशाह और दुनिया की शीर्ष कंपनियों में शामिल रिलायंस इंडस्ट्रीज के मालिक मुकेश अंबानी का घर 'एंटीलिया' दुनिया के सबसे महंगे घरों की लिस्ट में शुमार है। उनकी लग्जरी लाइफ स्टाइल किसी से छुपी नहीं हैं। घर से लेकर कार और दूसरे शौक मुकेश अंबानी की हाईप्रोफाइल लाइफ स्टाइल को बताते है।
27 मंजिला 'एंटीलिया'
21.1 बिलियन डॉलर की प्रॉपर्टी के मालिक मुकेश अंबानी का मुंबई स्थित 27 मंजिला 'एंटीलिया' घऱ अपने आप में खास है। फोर्ब्स के मुताबिक, इस घर की कीमत 2 बिलियन डॉलर ( लगभग 125 अरब रुपए) है। 'एंटीलिया' की छह मंजिलों पर सिर्फ पार्किंग और गैरेज हैं। इस गगनचुंबी इमारत में रहने के लिए चार लाख वर्ग फीट जगह है, जिसमें एक बॉलरूम है। छत क्रिस्टल से सजी है। एक सिनेमा थिएटर, बार, तीन हेलिपैड हैं। करीब 600 कर्मचारियों का स्टाफ एंटीलिया' का रख-रखाव करता हैं।
लग्जरी कारों का कलेक्शन
मुकेश अंबानी के पास कई लग्जरी कारों का कलेक्शन भी है। हालांकि, ये स्पष्ट नहीं है कि उनके पास कितनी कारें हैं, लेकिन देश के सबसे अमीर व्यक्ति के इस घर में 6 फ्लोर में तो सिर्फ पार्किंग ही बनी है, जिसमें लगभग 168 कारें रख सकते हैं। उनके पास Maybach 62, Mercedes S class, Bentley Flying Spur, Rolls Royce Phantom और ब्लैक Mercedes SL500 सहित कई लग्जरी कार्स हैं।
प्राइवेट जेट प्लेन
उनके पास तीन प्राइवेट प्लेन Falcon 900EX, Boeing Business Jet 2, Airbus 319 Corporate Jet हैं। इसमें से Airbus 319 को उन्होंने 2007 में पत्नी नीता के 44वें जन्मदिन पर गिफ्ट किया था। इस एयरक्राफ्ट में एक ऑफिस, मास्टर बेडरूम, आलीशान बाथरूम हैं। म्यूजिक सिस्टम के अलावा, इसमें सैटेलाइट टेलीविजन और वाई-फाई की सुविधा भी है।
एडवेंचरस हैं मुकेश अंबानी
मुकेश को प्रकृति से बेहद लगाव है। इसलिए वो वक्त मिलते ही परिवार के साथ साउथ अफ्रीका के क्रूगर नेशनल पार्क में छुट्टियां बिताना पसंद करते हैं। इस पार्क में सुविधाओं के साथ ही प्राइवेसी का भी खास ख्याल रखा जाता है। एक इंटरव्यू में मुकेश अंबानी ने कहा था, "उन्हें वाइल्ड लाइफ बेहद पसंद है। वो ऐसी जगह पर छुट्टियां बिताना पसंद करते हैं, जहां खुली हवा में सांस ले सकें और प्रकृति के बीच कुछ वक्त गुजार सकें।"
फिल्में हैं पसंद
मुकेश अंबानी को हिंदी फिल्में काफी पसंद हैं। एक इंटरव्यू में नीता अंबानी कह चुकी हैं कि आधी रात को ऑफिस से आने के बाद भी मुकेश बिना मूवी देखे नहीं सोते। शायद इसी कारण से उन्होंने अपने घर के 8वें फ्लोर पर 50 सीटर मिनी होम थिएटर भी बनवाया है।

अनवॉन्टेड वेबसाइट्स को ब्लॉक करने के ये हैं 7 आसान Steps

पर्सनल कम्प्यूटर या लैपटॉप पर वेबसाइट्स ब्लॉक करने के अलग-अलग कारण हो सकते हैं। किसी साइट से वायरस आता हो, बच्चों के कारण आप किसी साइट को ब्लॉक करना चाहते हों, या फिर आप अपने डाटा को किसी और की पहुंच से दूर रखना चाहते हों। कारण चाहे जो भी हों, हम आपको बता रहे हैं कुछ आसान तरीके, जिनसे आप अपने कम्प्यूटर या लैपटॉप पर अनवॉन्टेड साइट्स को ब्लॉक कर सकते हैं।
ऐसे ब्लॉक करें वेबसाइट
वेबसाइट्स को ब्लॉक करने के कई अलग-अलग तरीके हैं जिसमें ब्राउजर, ऑपरेटिंग सिस्ट्म या नेटवर्क राउटर पर साइट्स को ब्लॉक किया जा सकता है। अगर आप अपने पर्सनल कम्प्यूटर या लैपटॉप पर कुछ साइट्स को ब्लॉक करना चाहते हैं तो आप ऑपरेटिंग सिस्टम लेवल पर इसे बलॉक कर सकते हैं। इसके लिए आपको फॉलो करने हैं 7 आसान स्टेप्स- 
स्टेप- 1
एडमिनिस्ट्रेटर अकाउंट से सिस्टम में लॉग इन करें। इसके बाद सर्च में जाकर रन पर क्लिक करें। इसके बाद C:WindowsSystem32driversetc पर जाएं।
स्टेप- 2
फाइल नाम 'hosts' पर डबल क्लिक करें। फाइल को ओपन करने के लिए नोट पैड सिलेक्ट करें और OK बटन पर क्लिक करें।
स्टेप- 3
आपके 'hosts' फाइल की आखिरी दो लाइन कुछ इस तरह होंगी- "#127.0.0.1 localhost" और "# ::1 localhost"।
स्टेप- 4
अगर आप फाइल को एडिट नहीं कर पा रहे हैं तो इसके लिए आपको पहले यूजर को सभी राइट्स देने पड़ेंगे। इसके लिए hosts पर राइट क्लिक करें। इसके बाद Properties बटन पर क्लिक कर Security tab>Users account>Edit में जाकर यूजर को सिलेक्ट करें।
स्टेप- 5
इसके बाद जो विंडो ओपन होगा उसमें एक बार फिर Users को सिलेक्ट करें। इसमें 'Full control' पर क्लिक करने के बाद सभी पॉपअप पर क्लिक करें। इससे यूजर को साइट्स ब्लॉक करने के सभी राइट्स मिल जाएंगे।
स्टेप- 6
फाइल के अंत में आप उन वेबसाइट्स के वेब ऐड्रेस डालें, जिन्हें आप ब्लॉक करना चाहते हैं। ऐसा करने के लिए फाइल के अंत में 127.0.0.1 के साथ जिस साइट को ब्लॉक करना चाहते हैं, उसका नाम टाइप करें। इससे आपके पर्सनल कम्प्यूटर में वह साइट ब्लॉक हो जाएगी।
उदाहरण के तौर पर अपने कम्प्यूटर में गूगल को ब्लॉक करने के लिए फाइल के अंत में '127.0.0.1 www.google.com' टाइप करना है। इस तरह से आप जितनी चाहें, उतनी साइट्स को ब्लॉक कर सकते हैं लेकिन एक बार में एक ही साइट ब्लॉक की जा सकेगी। दूसरी साइट ब्लॉक करने के लिए पूरे प्रॉसेस को फिर से दोहराना पड़ेगा।
स्टेप- 7
अंत में सेव बटन पर जाकर इसे सेव कर दें। इसके बाद कम्प्यूटर को री-स्टार्ट करें। आप देखेंगे कि आप जिन वेबसाइट्स को ब्लॉक करना चाहते थे, वे सभी ब्लॉक हो चुकी हैं।

मौसंबी में छिपे हैं सेहत के 12 राज़, दूर रखती है अपच और कई बीमारियों से

साउथ-ईस्ट एशिया में पाई जाने वाली मौसंबी गर्मियों के मौसम में सबसे ज्यादा खाए जाने वाले फलों में से एक है। इसके छीलके उतारकर इसे साबुत खाने से ज्यादा लोग इसका जूस पीना पसंद करते हैं। हरे रंग के खट्टे-मीठे स्वाद वाला यह फल पकने पर पीले रंग का नजर आता है। यह काफी कुछ नींबू और संतरे की तरह लगता है। आइए जानते हैं मौसंबी में सेहत के कितने सारे गुण छिपे हुए हैं....
मौसंबी से होने वाले लाभ
पाचन में फायदेमंद
मौसंबी में फ्लेवोनॉइड्स की भरपूर मात्रा किसी भी प्रकार के भोजन के पाचन में बहुत ही जरूरी होती है, इसलिए अपचन, गैस और पेट में मरोड़ जैसी समस्या होने पर मौसंबी का जूस पीने की सलाह दी जाती है। इसका जूस पीने से पेट में पचाने वाले जरूरी एंजाइम्स पैदा होते हैं जो बेकार के टॉक्सिन्स को बाहर निकालकर पाचन क्रिया को सही रखते हैं। इसका खट्टा-मीठा टेस्ट उल्टी, दस्त जैसी समस्याओं को भी दूर रखता है।
कब्ज से राहत दिलाती है
मौसंबी में मौजूद एसिड्स शरीर के हानिकारक तत्वों को बाहर निकालते हैं। साथ ही इसमें मौजूद फाइबर्स कब्ज की समस्या से जूझ रहे व्यक्ति को राहत दिलाते हैं। इसके जूस में थोड़ा सा नमक मिलाकर पीने से कब्ज से राहत मिलती है।
Other Benefits: स्कर्वी से बचाती है, इम्यून सिस्टम सही रखती है, एंटीसेप्टिक और एंटीबैक्टीरियल होती है, डैंड्रफ खत्म करती है, दोमुंहे बालों की समस्या से छुटकारा, एंटी-एजिंग का काम करती है, होंठों के कालेपन को दूर करती है, त्वचा में निखार लाती है।
इम्यून सिस्टम सही रखती है
रोजाना इसके सेवन से इम्यून सिस्टम सही रहता है। साथ ही दिल की बीमारियों का भी खतरा कम रहता है। ब्लड सर्कुलेशन को सही रखने के साथ ही इसमें मौजूद विटामिन सी की प्रचुर मात्रा कई प्रकार के इन्फेक्शंस जैसे सर्दी और खांसी से लड़ने में सहायक होती है।
स्कर्वी से बचाती है
विटामिन सी की कमी से होने वाला रोग है स्कर्वी। इसके कारण मसूड़ों में सूजन आ जाती है। साथ ही खून भी निकलता है। और-तो-और, मुंह में छाले, होंठों के फटने जैसी कई प्रकार की समस्याएं होने लगती हैं। सिर्फ कुछ दिनों तक लगातार मौसंबी का जूस पीकर इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है। इसके जूस में थोड़ी सा पानी और काला नमक डालकर पीना फायदेमंद होता है। यहां तक की इसे पीकर सांस से आने वाली बदबू को भी दूर किया जा सकता है।
बालों को होने वाले फायदे
मौसंबी में मौजूद कई सारे फायदों के कारण कंपनियां अब इसे कॉस्मेटिक्स में भी इस्तेमाल करने लगी हैं।
एंटीसेप्टिक और एंटीबैक्टीरियल
मौसंबी में इन दोनों की अच्छी-खासी मात्रा होने से यह बालों के लिए भी काफी फायदेमंद है। इसे खाने के साथ ही इसका जूस पीने से बालों में चमक आ जाती है। साथ ही बाल मजबूत भी होते हैं।
डैंड्रफ खत्म करती है
मौसंबी के रस का इस्तेमाल करके बालों से डैंड्रफ की समस्या को खत्म किया जा सकता है। इसके रस में मौजूद कई प्रकार के तत्व रूसी को रोकने के साथ ही लंबे और घने बालों के लिए भी बहुत कारगर होते हैं।
दोमुंहे बालों की समस्या से छुटकारा
धूल, प्रदूषण और बदलते मौसम के कारण लगभग सभी के साथ दोमुंहे बालों की समस्या हो जाती है, लेकिन थोड़ी सी सावधानी बरत कर इसे रोका जा सकता है। खाने के पहले या बाद, दिन में किसी भी एक वक्त रोजाना मौसंबी का जूस पिया जाए, तो बालों को दोमुंहे होने से बचाया जा सकता है।
मौसंबी से त्वचा को होने वाले फायदे
हेल्थ और हेयर के अलावा मौसंबी में ऐसे कई सारे न्यूट्रिएंट्स मौजूद होते हैं, जो त्वचा के लिए भी काफी फायदेमंद होते हैं। इसकी मीठी खूशबू, इसमें मौजूद विटामिन सी की मात्रा, यहां तक की इसके गूदे का इस्तेमाल भी कई सारे ब्यूटी प्रोडक्ट्स को बनाने के लिए किया जाता है। इसके साथ ही यह रफ और डल स्किन के लिए मॉइश्चराइज़र का भी काम करती है।
एंटी-एजिंग का काम करती है
मौसंबी के रस में कई सारे ऐसे तत्व मौजूद होते हैं जो त्वचा की गहराई में जाकर सफाई करते हैं। इससे चेहरे पर होने वाले कील-मुहांसे, दाग-धब्बों से छुटकारा मिलता है। साथ ही त्वचा सॉफ्ट भी बनी रहती है। इससे चेहरे पर दिखने वाले असमय बुढ़ापे को रोका जा सकता है।
होंठों के कालेपन को दूर करती है
इसके रस की 3-4 बूंदे रोजाना होंठों पर लगाने से कालेपन को कुछ ही दिनों में कम किया जा सकता है। साथ ही इससे लिप्स सॉफ्ट भी होते हैं।
त्वचा में निखार लाती है
वैसे तो इसका जूस पीना बहुत ही फायदेमंद होता है, लेकिन इसके जूस में बेसन मिलाकर चेहरे के लिए ख़ास पेस्ट भी तैयार किया जाता है। इस पेस्ट को चेहरे पर 15 से 20 मिनट तक लगाकर रखें। सूखने के बाद इसे ठंडे पानी से धो लें। हफ्ते में दो बार ऐसा करके कुछ ही दिनों में इसका असर देखा जा सकता है।

अक्षय तृतीयाः करें ये उपाय, हो सकती है हर इच्छा पूरी

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि बहुत ही खास है क्योंकि इस दिन अक्षय तृतीया का पर्व मनाया जाता है। इसे अबूझ मुहूर्त भी किया जाता है क्योंकि इस दिन कोई भी शुभ कार्य बिना मुहूर्त देखे किया जा सकता है। इस बार अक्षय तृतीया का पर्व 21 अप्रैल, मंगलवार को है।
मान्यता है कि इस दिन किए गए उपाय शीघ्र ही शुभ फल प्रदान करते हैं। आज हम आपको अक्षय तृतीया पर किए जाने वाले कुछ खास उपाय बता रहे हैं। इन उपायों को विधि-विधान पूर्वक करने से आपकी हर मनोकामना पूरी हो सकती है।
धन लाभ के लिए उपाय
अक्षय तृतीया की रात साधक (उपाय करने वाला) शुद्धता के साथ स्नान कर पीली धोती धारण करें और एक आसन पर उत्तर की ओर मुंह करके बैठ जाएं। अब अपने सामने सिद्ध लक्ष्मी यंत्र को स्थापित करें जो विष्णु मंत्र से सिद्ध हो और स्फटिक माला से नीचे लिखे मंत्र का 21 माला जाप करें। मंत्र जाप के बीच उठे नहीं, चाहे घुंघरुओं की आवाज सुनाई दे या साक्षात लक्ष्मी ही दिखाई दे।
मंत्र
ऊँ श्रीं ह्रीं श्रीं ऐं ह्रीं श्रीं फट्
इस उपाय को विधि-विधान पूर्वक संपन्न करने से धन की देवी मां लक्ष्मी प्रसन्न हो सकती हैं और साधक की धन संबंधी समस्या दूर कर सकती हैं।
ग्रहों का अशुभ प्रभाव कम करने का उपाय
यदि आपकी जन्म कुंडली में स्थित ग्रह आपके जीवन पर अशुभ प्रभाव डाल रहे हैं तो इसके लिए उपाय भी अक्षय तृतीया से प्रारंभ किया जा सकता है।
उपाय
अक्षय तृतीया के दिन सुबह जल्दी उठकर नित्य कर्मों से निपट कर तांबे के बर्तन में शुद्ध जल लेकर भगवान सूर्य को पूर्व की ओर मुख करके चढ़ाएं तथा इस मंत्र का जाप करें-
ऊँ भास्कराय विग्रहे महातेजाय धीमहि, तन्नो सूर्य: प्रचोदयात् ।
यह उपाय रोज करें। इस उपाय से ग्रहों का अशुभ प्रभाव कम हो सकता है और आपकी हर मनोकामना पूरी हो सकती है। अगर यह उपाय सूर्योदय के एक घंटे के भीतर किया जाए तो और भी शीघ्र फल देता है।
समस्याओं के निदान के लिए उपाय
अपने सामने सात गोमती चक्र और महालक्ष्मी यंत्र को स्थापित करें और सात तेल के दीपक लगाएं। यह सब एक ही थाली में करें और यह थाली अपने सामने रखें और शंख माला से इस मंत्र की 51 माला जाप करें-
मंत्र- हुं हुं हुं श्रीं श्रीं ब्रं ब्रं फट्
अक्षय तृतीया के दिन यह उपाय करने से समस्याओं का निदान संभव है।
मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए उपाय
अक्षय तृतीया की रात को अकेले में लाल वस्त्र पहन कर बैठें। सामने दस लक्ष्मीकारक कौड़ियां रखकर एक बड़ा तेल का दीपक जला लें और प्रत्येक कौड़ी को सिंदूर से रंग कर हकीक की माला से इस मंत्र का पांच माला जाप करें-
मंत्र- ऊं ह्रीं श्रीं श्रियै फट्
इस प्रयोग से धन की देवी लक्ष्मी शीघ्र ही प्रसन्न हो जाती हैं और उसके जीवन में फिर कभी धन की कमी नहीं होती।
सुखों की प्राप्ति के लिए उपाय
अपने सामने सात गोमती चक्र और महालक्ष्मी यंत्र को स्थापित करें और सात तेल के दीपक लगाएं। यह सब एक ही थाली में करें और यह थाली अपने सामने रखें और शंख माला से इस मंत्र की 51 माला जाप करें-
मंत्र- हुं हुं हुं श्रीं श्रीं ब्रं ब्रं फट्
इस प्रकार साधना करने से जीवन के सभी सुख प्राप्त हो सकते हैं।

Saturday, 18 April 2015

क्या है NET NEUTRALITY जिसे लेकर 6 लाख लाेगों ने किए TRAI को ईमेल?

नेट न्यूट्रैलिटी, एयरटेल ज़ीरो, फ्लिपकार्ट और सेव द इंटरनेट। ये चंद नाम सुर्खियों में हैं। दरअसल पिछले दिनों एयरटेल ने ई-रिटेलर फ्लिपकार्ट सहित कुछ कंपनियों के साथ जीरो प्लान के लिए करार किया। इसके तहत कुछ एेप्स एक्सेस करने के लिए यूज़र को कोई चार्ज नहीं देना होता। इसके बजाय एयरटेल कंपनियों से ही सीधे चार्ज लेती। इस प्लान का इंटरनेट कम्युनिटी ने विरोध कर दिया। सोशल मीडिया पर कैम्पेन चलने लगे। विरोध बढ़ने पर फ्लिपकार्ट ने इस प्लान से अपने हाथ ही खींच लिए। नेट न्यूट्रैलिटी के पक्ष में गुरुवार तक 6 लाख लोगों ने टेलीकॉम रेग्युलेटर ट्राई को ईमेल किया है। जानिए, आखिर क्या है नेट न्यूट्रैलिटी का यह मुद्दा?
क्या है नेट न्यूट्रैलिटी?
- Net Neutrality यानी अगर आपके पास इंटरनेट प्लान है तो आप हर वेबसाइट पर हर तरह के कंटेंट को एक जैसी स्पीड के साथ एक्सेस कर सकें।
- Neutrality के मायने ये भी हैं कि चाहे आपका टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर कोई भी हो, अाप एक जैसी ही स्पीड पर हर तरह का डेटा एक्सेस कर सकें।
- कुल मिलाकर, इंटरनेट पर ऐसी आजादी जिसमें स्पीड या एक्सेस को लेकर किसी तरह की कोई रुकावट न हो।
- Net Neutrality टर्मिनोलॉजी का इस्तेमाल सबसे पहले 2003 में हुआ। तब काेलंबिया यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर टिम वू ने कहा था कि इंटरनेट पर जब सरकारें और टेलीकॉम कंपनियां डेटा एक्सेस को लेकर कोई भेदभाव नहीं करेंगी, तब वह Net Neutrality कहलाएगी।
कैसे उठा मामला?
एयरटेल ने अपने यूज़र्स के लिए ‘एयरटेल ज़ीरो’ प्लान का फ्लिपकार्ट जैसी कुछ कंपनियों के साथ करार किया। बताया गया कि यह प्लान लेने से यूज़र्स कुछ ऐप्स का फ्री में इस्तेमाल कर पाएंगे। ऐसे ऐप्स का चार्ज यूज़र से न लेकर उन कंपनियों से लिया जाएगा जिनका एयरटेल से करार होगा। इसका इंटरनेट कम्युनिटी ने विरोध किया। सोशल साइट्स पर #savetheinternet जैसे कैम्पेन शुरू हुए। मामला इतना उठा कि कई लोगों ने फ्लिपकार्ट के ऐप्स ही डिलीट कर दिए।
सोशल मीडिया पर कैसी आई प्रतिक्रिया?
इंटरनेट कम्युनिटी ने तीन मुद्दे उठाए हैं-
1. पहला : आजादी। यानी हर तरह की वेबसाइट या हर तरह का डेटा एक्सेस करने की आजादी हो।
2. दूसरा : इक्वलिटी यानी आप कुछ भी एक्सेस करें, आपको नेट की स्पीड एक जैसी मिले।
3. तीसरा : फ्यूचर, क्योंकि इंटरनेट एक्सेस अब लग्जरी नहीं, बल्कि यूटिलिटी की कैटेगरी में आता है।
> नेट कम्युनिटी के लोगों ने यह मुद्दा उठाया कि चूंकि एयरटेल ने फ्लिपकार्ट के साथ डील की है, इसलिए एयरटेल का प्लान लेने वाले लोग बाकी शॉपिंग साइट्स या उनके ऐप्स को उसी स्पीड से नहीं खोल पाएंगे।
> यानी फ्री इंटरनेट प्लान लेने वाले यूज़र्स सिर्फ फ्लिपकार्ट या किसी एक कंपनी पर ही शॉपिंग करने पर मजबूर हो जाएंगे।
> ऐसा हुआ तो यह बदतर एक्सपीरियंस देगा। क्योंकि No Internet से भी ज्यादा खराब Slow Internet का एक्सपीरियंस होगा।
> यह वैसे ही होगा जैसे Amusement Park की एंट्री फीस चुकाने के बाद भी आपको हर एक Joy Ride के लिए अलग से टिकट लेना पड़े।
कैसे काम करेगा यह मॉडल
- कई कंपनियां टेलिकॉम ऑपरेटर्स के साथ डील करेंगी। वे उन्हें पेमेंट करेंगी ताकि नेट पैक लेने वाले उनकी साइट्स या ऐप्स पर फ्री एक्सेस कर सकें। फेसबुक और रिलायंस का इंटरनेट डॉट ओआरजी भी ऐसा ही प्लान है।
- नेट कम्युनिटी का दावा है कि अगर कंपनियों ने ये मॉडल अपनाया तो या तो उन यूज़र्स को हर एक्स्ट्रा साइट या ऐप के लिए अलग चार्ज देना होगा या उन्हें नेट की स्पीड काफी कम मिलेगी।
विरोध के बाद पीछे हटी कंपनियां
- सोशल मीडिया पर विरोध के बाद फ्लिपकार्ट ने ज़ीरो प्लान से हाथ खींच लिए।
- 51 हजार लोगों ने फ्लिपकार्ट के ऐप की रेटिंग घटाकर 1 कर दी थी। हजारों लोगों ने ऐप ही डिलीट कर दिया था।
- क्लियरट्रिप कंपनी ने भी इंटरनेट डॉट ओआरजी से खुद को अलग कर लिया।
टेलिकॉम कंपनियां क्या चाहती हैं?
- सेलुलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने ट्राई को यह दलील दी है कि भारत में कोई भी कंपनी तभी इंटरनेट टेलीफोनी सर्विस मुहैया करा सकती है जब उसे इंडियन टेलीग्राफ एक्ट 1885 के सेक्शन-4 के तहत स्पेशल लाइसेंस मिला हो।
- लिहाजा स्काइप, फेसबुक, वॉट्सऐप जैसी कंपनियां तकनीकी तौर पर बिना लाइसेंस के सेवाएं दे रही हैं।
- टेलीकॉम कंपनियों की यह भी दलील है कि वे डेटा यूसेज से पैसा कमाती हैं, लेकिन बैंडविड्थ का उन्हें कोई पैसा नहीं मिलता। सोशल साइट्स और ई-कॉमर्स कंपनियां टेलीकॉम कंपनियों के इन्फ्रास्ट्रक्चर का इस्तेमाल करती हैं, लेकिन अपने रेवेन्यू में उन्हें कोई शेयर नहीं देतीं।
- हालांकि, दावा यह भी है कि बड़ी टेलीकॉम कंपनियां का डेटा सर्विसेस से रेवेन्यू पिछले साल के हर क्वार्टर में बढ़ा है। इसकी वजह यह भी है कि अगले 5 साल में 3जी और 4जी मोबाइल हैंडसेट की बिक्री बढ़ने के साथ ही डेटा यूसेज के सेगमेंट में भी जबर्दस्त उछाल आने वाला है।
TRAI ने क्या किया?
- टेलीकॉम रेग्युलेटर ट्राई ने इस बारे में 27 मार्च को कंसल्टेशन पेपर अपनी साइट पर डाला लेकिन यह 108 पन्नों का है।
- इसमें 20 तरह के सवालों के जवाब लोगों से मांगे गए। कई अवेयरनेस ग्रुप ने इन्हें सिम्प्लीफाई करने के टूल्स भी बना लिए हैं।
- इस पेपर के खिलाफ विचार-शिकायत दर्ज कराने के लिए 24 अप्रैल की डेडलाइन तय की गई थी।
- ट्राई ने अब यह भी कहा है कि पहली नजर में तो एयरटेल ज़ीरो और फेसबुक व रिलायंस का इंटरनेट डॉट ओआरजी जैसे प्लान नेट न्यूट्रैलिटी के खिलाफ हैं।
सबसे पहले यहां
दुनिया में चिली ऐसा पहला देश है, जहां पर नेट न्यूट्रिलिटी को 2010 में लागू किया गया। 2014 में चिली टेलीकम्युनिकेशंस के नियामक सबटेल ने मोबाइल ऑपरेटरों को जीरो रेटिंग करने से प्रतिबंधित कर दिया। ऐसे में इंटरनेट कंपनियों ने मोबाइल टेलीकॉम ऑपरेटरों के साथ मिलकर कंज्यूमर को फ्री इंटरनेट यूज़ करने का करार किया। इसी प्रकार से यूरोप में द नीदरलैंड्स में 2011 में पहली बार नेट न्यूट्रिलिटी का कानून पारित किया गया। बाद में यूरोपियन यूनियन ने इसी कानून को अपनाकर पारित किया। मकसद केवल इतना था कि पूरे यूरोपियन यूनियन में एक समान टेलीकम्युनिकेशंस कानून हो। यहां तक कि इंटरनेट कंपनियों और मोबाइल ऑपरेटरों के बीच जीरो रेटिंग के करार पर भी नए कानून में प्रतिबंध लगा दिया गया। ब्राजील में 2014 में पारित 'इंटरनेट लॉ' में इसे और पैना किया गया। इसमें साफ कहा है कि नेट न्यूट्रिलिटी का अर्थ है सभी डेटा ट्रांसमिशन को नेटवर्क ऑपरेटर समान मानेंगे। उसके कंटेंट या कहां से आया है, या सेवा या एप्लीकेशन के आधार पर भी भेद नहीं किया जाएगा। यहां तक कि अमेरिका में फेडरल कम्युनिकेशंस कमीशन ने इसी साल फरवरी में साफ कहा कि इंटरनेट सेवा प्रदाता एटी एंड टी, वेरीजोन और कॉमसेट किसी भी वैध कंटेंट को रोकेंगे नहीं। न ही ये कंपनियां किसी एप्लीकेशन या सेवा की स्पीड कम कर सकती हैं। साथ ही सेवा देने के एवज में पैसा भी नहीं वसूलेंगी।
हमारे यहां ये हुआ

स्मार्टफोन के दौर में वॉट्सएप, फेसबुक, यू-ट्यूब या कोई एप आप चलाते हैं तो आपको झटका लग सकता है। टेलीकॉम कंपनियों या इंटरनेट सेवा देने वाली कंपनियों की इच्छा इससे पैसा कमाने की है। ये कंपनियां चाहती हैं कि जिस तरह से आप टीवी पर दिखने वाले चैनलों के लिए डेटा पैक लेते हैं, ठीक वैसे ही आप फ्री मिलने वाले एप्स के लिए भी लें। ये कंपनियां चाहती हैं कि अपने हिसाब से रेट लिए जाएं। साथ ही यह भी चाह रही हैं कि वे जो सुविधाएं चाहें, यूजर को वही सुविधाएं लेनी चाहिए। इससे यूज़र की आजादी को बांधने की कोशिश की जा रही है। यूज़र इतने नाराज हैं कि उन्होंने अब तक इसके खिलाफ ट्राई (यानी टेलीकॉम और इंटरनेट कंपनियों के नियम बनाने वाली संस्था) को दो लाख ई-मेल भेज दिए हैं।
टेलीकॉम कंपनियों की इस संबंध में दलील रही है कि सोशल नेटवर्किंग साइट्स और एप्स बनाने वाले अरबों की संपत्ति बना चुके हैं। मैसेजिंग सहित अन्य सेवाओं में कंपनियों को घाटा हो रहा है, क्योंकि देश में वॉट्स एप सबसे बड़ा मैसेजिंग एप बन चुका है। अब ट्राई ने यूज़र और कंपनियों से 24 अप्रैल तक राय मांगी है। यूज़र्स अपनी राय आठ मई तक भेज सकते हैं।