Thursday 26 March 2015

शादी के बाद ऑस्ट्रेलिया गई, नौकरी ढूंढ़ते हुए कर डाली अनोखी रिसर्च

महाराष्ट्र के औरंगाबाद में जन्मी मिनोती की पढ़ाई पुणे  के सेंट एनी कॉन्वेंट स्कूल में हुई। स्कूली शिक्षा के बाद रुझान चिकित्सा क्षेत्र में होने के कारण उन्होंने पुणे के ही बीजे मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस किया। यहां से बैचलर ऑफ मेडिसिन और बैचलर और सर्जरी की। उसी दौरान उनकी शादी केमिकल इंजीनियर विवेक से हो गई। बेटा हो गया। शादी के बाद वे 1982 में ऑस्ट्रेलिया चली गईं। यहां वह पति की डिपेंडेंट बनकर आई थीं। उन्हें नौकरी करने की अनुमति नहीं थी।

पति कैमिकल इंजीनियरिंग में डॉक्टरेट कर रहे थे तो वे उसी यूनिवर्सटी में वॉलेंटियर बन गईं। सिडनी में नौकरी तलाश रही थीं। उसी दौरान कुछ प्रोफेसर से मुलाकात हुई, जो लीवर पर रिसर्च कर रहे थे। इन्होंने मिनोती को रिसर्च करने को कहा। फंडिंग हो गई और उन्होंने इसी को कॅरिअर के रूप में अपना लिया। फिर यूनिवर्सिटी ऑफ न्यू कैसल से पीएचडी की।
यह दुनिया में पैनक्रियाटिक कैंसर पर हुई पहली रिसर्च है। सिडनी में मराठी एसो. की सदस्य होने के साथ-साथ वे पेनक्रिएटोलॉजी जर्नल की एडिटर इन चीफ भी हैं। पिछले साल ही उन्हें ऑर्डर ऑफ ऑस्ट्रेलिया मेडल से सम्मानित किया गया था। यही नहीं वहां 120 लोगों के ग्रुप के साथ मराठी प्ले-दुर्गा झाली गौरी का इवेंट मैनेजमेंट भी देखती हैं। क्लासिकल डांस के लिए भी समय निकाल लेती हैं।
जन्म- 25 अगस्त 1958
परिवार- मां डॉ. सुनंदा फड़के (केमिस्ट्री प्रोफेसर वाडिया कॉलेज पुणे), पिता लेफ्टि. कर्नल (रिटा.) विजयकुमार रघुनाथ फड़के, पति- विवेक आप्टे(कैमिकल इंजीनियर), बेटा- तुषार
क्यों चर्चा में- हाल ही में उन्होंने पैनक्रियाटिक कैंसर में दुनिया में अपनी तरह की पहली रिसर्च की, जिसके चलते उन्हें ऑस्ट्रेलिया के न्यू साउथ वेल्स में वुमन ऑफ द ईयर घोषित किया गया है।

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