पहले विश्व युद्ध की भीषण त्रासदी को सौ साल पूरे हो गए हैं। उस विश्व
युद्ध में ब्रिटेन के अन्य उपनिवेशों की तरह भारतीय सैनिकों ने भी हिस्सा
लिया था। यूं तो भारत का पहले विश्व युद्ध से लेना-देना नहीं था लेकिन
ब्रिटेन का उपनिवेश होने के कारण भारतीय सैनिकों को युद्ध में झोंका गया।
भारतीय सैनिक उस युद्ध में सबसे आगे रहकर दुश्मनों से लोहा लेते थे।
फ्रांस के उपनिवेश बारटोली के सैनिकाें के साथ सिख सैनिक।
ब्रिटेन की एयरफील्ड पर कंस्ट्रक्शन के काम में भारतीय सैनिकों को लगाया गया था। कैंप के किचन के सामने खड़े सैनिक।
ब्रिटेन की एयरफील्ड के लिए बिल्डिंग के काम में लगे भारतीय सैनिकों का नेतृत्व करते भारतीय सैनिक अधिकारी।
फ्रेंच नेशनल डे के मौके पर 1917 में पेरिस में फ्रांस के राष्ट्रपति के सामने मार्च पास्ट करते भारतीय सैनिक।
विश्व युद्ध पर काफी रिसर्च कर चुके अलियांस फ्रांसिस दी चंडीगढ़ के
डायरेक्टर डोमिनिक वाग के मुताबिक ब्रिटिशर्स भारतीय सैनिकों के साथ अच्छा
बर्ताव करते थे, इसके पीछे कारण यह था कि भारतीय सैनिक बहुत अच्छे लड़ाके
थे और ब्रिटेन को उनकी खासी जरूरत थी। विश्व युद्ध के दौरान भारतीय सैनिकों
की कुछ तस्वीरों को फ्रांस के रक्षा मंत्रालय ने सहेज कर रखा है।
लाखों सैनिक गए थे युद्ध लड़ने
डोमिनिक वाग के मुताबिक, 'पहले विश्व युद्ध में भारत से करीब लाखों
सैनिक भारत से फ्रांस गए थे। अगस्त में सभी सैनिकों को इकट्ठा किया गया।
सितंबर में सैनिक फ्रांस और अन्य देशों में पहुंचे और अक्टूबर महीने में वे
युद्ध के मैदान में उतर गए। उनमें से कितने सैनिक वापस आए, यह कहना
मुश्किल है। कई दफा तो भारतीय सैनिकों को जबर्दस्त ठंड में सूती कपड़े
पहनकर लड़ना पड़ा हालांकि बाद में उन्हें गर्म स्थानों पर लड़ने के लिए
भेजा गया। '
40 साल की उम्र में आते थे सेना में
आज के दौर में भले ही सैनिक 21-22 साल की उम्र में भर्ती किए जाते हों
लेकिन उस वक्त भारतीय सैनिक 40 साल की उम्र के बाद भी सेना में भर्ती होते
थे। इसके पीछे यह वजह मानी जाती है कि वे पैसों की तलाश में सेना में
भर्ती होते थे।
नए हथियारों से लड़ना होता था मुश्किल
वाग के मुताबिक, 'भारतीय सैनिकों को नए हथियारों का मुकाबला करने और
उनका उपयोग करने में काफी समस्या आती थी। दरअसल, उस वक्त भारतीय सैनिकों को
आधुनिक हथियार चलाने का ज्यादा अनुभव नहीं था।'
तस्वीरों की प्रदर्शनी
डोमिनिक वाग ने यह बातें आलियांस
फ्रांसिस दी भोपाल में 'वार एंड कॉलाेनीज' थीम पर शुरू हुई फोटो प्रदर्शनी
के दौरान कहीं। प्रदर्शनी में पहले विश्व युद्ध की चुनिंदा तस्वीरें हैं,
जिन्हें फ्रांस के रक्षा मंत्रालय के आर्काइव में संभाल कर रखा गया है।
मई 1916 में भारतीय सैनिकों को ले जाते ब्रिटिश और फ्रांस के ऑफिसर। स्वेज
नहर के रास्ते इसी जगह से उपनिवेशी सैनिकों को फ्रांस लाया जाता था।फ्रांस के उपनिवेश बारटोली के सैनिकाें के साथ सिख सैनिक।
ब्रिटेन की एयरफील्ड पर कंस्ट्रक्शन के काम में भारतीय सैनिकों को लगाया गया था। कैंप के किचन के सामने खड़े सैनिक।
ब्रिटेन की एयरफील्ड के लिए बिल्डिंग के काम में लगे भारतीय सैनिकों का नेतृत्व करते भारतीय सैनिक अधिकारी।
फ्रेंच नेशनल डे के मौके पर 1917 में पेरिस में फ्रांस के राष्ट्रपति के सामने मार्च पास्ट करते भारतीय सैनिक।
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