Friday, 1 May 2015

शिकारी अंग्रेज अफसर ने खोजी थी ये गुफाएं, लाखों लोग आते हैं देखने

महाराष्ट्र स्थापना दिवस विशेष: 1 मई को महाराष्ट्र का स्थापना दिवस है। इस अवसर पर प्रदेश के गौरवशाली इतिहास, संस्कृति, कला, विकास और सुनी-अनसुनी कहानियों से आपको अवगत कराएगा। इस कड़ी में आज हम बता रहे हैं विश्व प्रसिद्ध अजंता एलोरा की गुफाओं के बारे में। कहा जाता है कि 1819 में इन गुफाओं की खोज इस इलाके में शिकार खेलने आए अंग्रेज अफसर ने की थी।
विश्वप्रसिद्ध अंजता-एलोरा की गुफाएं हमेशा से ही जिज्ञासा और पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रही हैं। यहां की सुंदर चित्रकारी व मूर्तियां कलाप्रेमियों के लिए स्वर्ग से कम नहीं हैं। हरियाली की चादर ओढ़ी यहां की चट्टानें अपने भीतर छुपे हुए इतिहास की ये धरोहर अपने उस काल की कहानी खामोशी से कहती नजर आती हैं। वाघोरा नदी यहां की खूबसूरती में और चार चांद लगा देती है। कहा जाता है कि गुफाओं की खोज आर्मी ऑफिसर जॉन स्मिथ व उनके दल ने सन् 1819 में की थी। वे यहां शिकार करने आए थे। तभी उन्हें कतारबद्ध 29 गुफाएं नजर आई। इसके बाद ही ये गुफाएं पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हो गईं।
यहां की सुंदर चित्रकारी व मूर्तियां कलाप्रेमियों और इतिहास-संस्कृति अनमोल हैं। विशालकाय चट्टानें, हरियाली, सुंदर मूर्तियां और इस पर यहां बहने वाली वाघोरा नदी जैसे यहां की खूबसूरती को परिपूर्णता प्रदान करती हैं। गुफाएं महाराष्ट्र के औरंगाबाद शहर के समीप स्थित हैं। गुफाएं बड़ी-बड़ी चट्टानों को काटकर बनाई गई हैं। 29 गुफाएं अजंता में तथा 34 गुफाएं एलोरा में हैं। अब इन गुफाओं को 1983 में वर्ल्ड हेरिटेज की सूची में शामिल की जा चुकी हैं।
अजंता की गुफाएं- औरंगाबाद से 101 किमी दूर उत्तर में अजंता की गुफाएं स्थित हैं। सह्याद्रि की पहाडिय़ों पर स्थित इन 30 गुफाओं में लगभग 5 प्रार्थना भवन और 25 बौद्ध मठ हैं। घोड़े की नाल के आकार में निर्मित ये गुफाओं में 200 ईसा पूर्व से 650 ईसा तक बौद्ध धर्म व संस्कृति का चित्रण है। अजंता की गुफाओं में दीवारों पर खूबसूरत अप्सराओं व राजकुमारियों की विभिन्न मुद्राओं में चित्र उकेरे गए हैं। ये यहां की उत्कृष्ट चित्रकारी व मूर्तिकला के बेहद ही सुंदर नमूने हैं। अजंता की गुफाओं को दो भागों में बांटा जा सकता है। एक भाग में बौद्ध धर्म के हीनयान और दूसरे भाग में महायान संप्रदाय की झलक देखने को मिलती है। हीनयान वाले भाग में 2 चैत्य हॉल (प्रार्थना हॉल) और 4 विहार (बौद्ध भिक्षुओं के रहने के स्थान) हैं तथा महायान वाले भाग में 3 चैत्य हॉल और 11 विहार हैं। ये 19वीं शताब्दी की गुफाएं हैं। जिनमें बौद्ध भिक्षुओं की मूर्तियां व चित्र हैं। हथौड़े और छेनी की सहायता से तराशी गई ये मूर्तियां अपने आप में अप्रतिम सुंदरता समेटे हैं।
एलोरा की गुफाएं- औरंगाबाद से 30 किमी दूर एलोरा की गुफाएं हैं। एलोरा में 34 गुफाएं हैं। ये गुफाएं बेसाल्टिक की पहाड़ी के किनारे-किनारे बनी हुई हैं। इन गुफाओं में हिंदू, जैन और बौद्ध धर्मों के प्रति आस्था दर्शाई गई है। ये गुफाएं 350 से 700 ई. के दौरान अस्तित्व में आईं। दक्षिण की ओर 12 गुफाएं बौद्ध धर्म (महायान संप्रदाय पर आधारित), मध्य की 17 गुफाएं हिंदू धर्म और उत्तर की 5 गुफाएं जैन धर्म पर आधारित हैं। बौद्ध धर्म पर आधारित गुफाओं की मूर्तियों में बुद्ध की जीवनशैली की स्पष्ट झलक देखने को मिलती है। इन्हें देखकर तो यही लगता है कि मानो ध्यान मुद्रा में बैठे बुद्ध आज भी हमें शांति, सद्भाव व एकता का संदेश दे रहे हों।

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