Wednesday, 22 July 2015

आज भी राज ही बनी हैं ये 10 रहस्यमयी पहेलियां!

दुनियाभर में बहुत सारी जगहें ऐसी जो रहस्यों से भरी पड़ी हैं, जिस पर से कोई पर्दा उठा ही नहीं पाया। हालांकि ऐसे लोगों की भी कमी नहीं हैं जो अंधविश्वास और आंखें मूंदकर रहस्यों पर विश्वास कर लेते हैं। भारत में भी ऐसी बहुत सारे रहस्यमयी जगहें है जो सिर्फ रहस्य बन कर ही रह गई हैं।
यहां हम कुछ ऐसे रहस्यों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनके बारे में जानने के बाद आपको उन पर यकीन करना मुश्किल हो जाएगा।
1.एक जुड़वांओं का गांव
भारत गांव का देश कहा जाता है। वहीं केरल के कोडिन्ही गांव में सबसे ज़्यादा जुड़वां लोग बसते हैं। यहां लगभग 2000 परिवार रहते हैं उनमें से 250 जुड़वां हैं। यहां लगातार गांव में जुड़वां बच्चे पैदा होते चले जा रहे हैं। अभी तक इसके पीछे कोई वाजिब कारण सामने नहीं आया।
2. जोधपुर धमाका
18 दिसंबर 2012 के दिन जोधपुर के लोगों को एक धमाका सुनाई दिया। इसकी आवाज़ इतनी तेज़ थी कि मानो कान फट जाए। लोगों ने सोचा कि शायद आसमान में कोई जहाज टकरा गया है, लेकिन देखने पर ऐसा कुछ नहीं था। आसमान खाली था। वो धमाका आज भी रहस्य की एक वजह बना हुआ है।
3.नौ अज्ञात पुरुष (The Nine Unknown Men)
वैसे ये रहस्य पश्चिम देशों से आया था। लोगों का मानना है कि ये शक्तिशाली रहस्य सम्राट अशोक के समय में भारत आया। जब सम्राट अशोक का युद्ध चल रहा था तो इनका काम (Nine Unknown Men) सारी रहस्यों को महफ़ूज़ रखना था। इनके पास एक ज्ञान की किताब हुआ करती थी लेकिन इसमें से कुछ बातें लीक हो गईं। और कहा जाता है कि जुडो इसी किताब की देन है।
4.ताज महल का रहस्य
 मुगल बादशाह शाहजहां ने अपनी बेग़म मुमताज के लिए ताज महल बनवाया था इसलिए उसे ताजमहल कहा जाता है लेकिन दिल्ली के प्रोफेसर पी.एन. ऑक का कहना है कि दरअसल ताज महल एक शिव मंदिर था जिसका नाम तेजू महोलिया हुआ करता था। अगर ये सच है तो इतिहास की किताबों से बहुत सारी बातें मिट जाएगी और कुछ नई जानकारियां जुड़ जाएगी।
5.एक शापित गांव (कुलधारा)
500 साल पहले इस गांव की आबादी लगभग 1500 हुआ करती थी लेकिन एक रात सब लोग अचानक कहीं गायब हो गए। सब का सब वैसे का वैसा छोड़कर। लोगों का कहना है कि यहां एक लड़का-लड़की आपस में प्यार करते थे लेकिन लड़की के गुस्सैल पिता ने लड़के को मार दिया। उसके बाद से ही कहा जाता है कि इस गांव में कोई नहीं बस सका। लोगों का कहना है कि यहां बहुत सी खतरनाक घटनाएं घटती रहती हैं।
6. मैगनेटिक हिल (The Magnetic Hill)
हिमालय की पहाड़ियों के पास और लद्दाख की वादियों में एक ऐसी जगह है, जहां अगर आपने गाड़ी खड़ी कर दी तो वो अपने आप ही पीछे को खिंची चली आती है। लोग इसे हिमालय का जादू कहकर बुलाते हैं।
7.हिमालय में रहने वाले अमर लोग लोगों का मानना है कि बहुत से साधु-महात्मा हिमालय में जाकर तपस्या कर रहे हैं और जो उसे सिद्ध कर लेता है, उसे अमर होने से कोई नहीं रोक सकता। अभी तक ये रहस्य बना हुआ है कि कितने लोगों के ज्ञानचक्षु खुल चुके हैं और वो अमरता की राह को पा चुके हैं।
8.एक भूत बिल्ली
इसका आतंक एक बार पूना के आस-पास छाया था। लोग रात को डरने लग गए थे। एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि उसकी काली-काली आंखें बड़ी ही डरावनी थीं और उसकी छलांग तो बहुत ही लंबी थी हालांकि कुछ लोगों का कहना है कि ये एक अफ़वाह थी लेकिन रहस्य अभी भी बना हुआ है।
9.The Kongka La Pass UFO Base
भारत और चीन के बोर्डर पर ये पास है। दोनों देशों के बीच टकराव की वजह कभी ये क्षेत्र भी रह चुका है लेकिन UFO ने अपना बेस बनाने के लिए इस जगह को चुना. ऐसा कुछ लोगों का कहना है, कि यहां कोई आम आदमी नहीं जा सकता इसीलिए स्थानीय लोगों को शक है कि कहीं ये सच न हो।
10.शांति देवी
इनका जन्म 1930 को दिल्ली के एक परिवार में हुआ। 4 साल की उम्र में वो अपने माता-पिता को अपने असली मम्मी-पापा मानने से इनकार करने लगी और कहने लगी कि उसका असली नाम लुग्डी है। वो पिछले जन्म में डिलीवरी के दौरान मर गई थी। जब उनके मम्मी-पापा ने बात की जांच करवाई तो सब हैरान रह गए। वो सब सच था।

Saturday, 4 July 2015

D'Anniv: एक वेश्या ने कराया था विवेकानंद को संन्यासी होने का अहसास

स्वामी विवेकानंद की आज 113वीं पुण्यतिथि है। स्वामी जी ने शिकागो की धर्म संसद में भाषण देकर दुनिया को ये एहसास कराया कि भारत विश्व गुरु है। अमेरिका जाने से पहले स्वामी विवेकानंद जयपुर के एक महाराजा के महल में रुके थे। यहां एक वेश्या ने उन्हें एहसास कराया कि वह एक संन्यासी हैं।
स्वामी के स्वागत को बुलाई गई थी वेश्या
राजा विवेकानंद और रामकृष्ण परमहंस का भक्त था। विवेकानंद के स्वागत के लिए राजा ने एक भव्य आयोजन किया। इसमें वेश्याओं को भी बुलाया गया। शायद राजा यह भूल गया कि वेश्याओं के जरिए एक संन्यासी का स्वागत करना ठीक नहीं है। विवेकानंद उस वक्त अपरिपक्‍व थे। वे अभी पूरे संन्‍यासी नहीं बने थे। वह अपनी कामवासना और हर चीज दबा रहे थे। जब उन्‍होंने वेश्‍याओं को देखा तो अपना कमरा बंद कर लिया। जब महाराजा को गलती का अहसास हुआ तो उन्होंने विवेकानंद से माफी मांगी।
कमरे में बंद हो गए थे स्वामी जी
महाराजा ने कहा कि उन्होंने वेश्या को इसके पैसे दे दिए हैं, लेकिन ये देश की सबसे बड़ी वेश्या है, अगर इसे ऐसे चले जाने को कहेंगे तो उसका अपमान होगा। आप कृपा करके बाहर आएं। विवेकानंद कमरे से बाहर आने में डर रहे थे। इतने में वेश्या ने गाना गाना शुरू किया, फिर उसने एक सन्यासी गीत गाया। गीत बहुत सुंदर था। गीत का अर्थ था- ''मुझे मालूम है कि मैं तुम्‍हारे योग्‍य नहीं, तो भी तुम तो जरा ज्‍यादा करूणामय हो सकते थे। मैं राह की धूल सही, यह मालूम मुझे। लेकिन तुम्‍हें तो मेरे प्रति इतना विरोधात्‍मक नहीं होना चाहिए। मैं कुछ नहीं हूं। मैं कुछ नहीं हूं। मैं अज्ञानी हूं। एक पापी हूं। पर तुम तो पवित्र आत्‍मा हो। तो क्‍यों मुझसे भयभीत हो तुम?''
डायरी में लिखा था- मैं हार गया हूं
विवेकानंद ने अपने कमरे इस गीत को सुना, वेश्‍या रोते हुए गा रही थी। उन्होंने उसकी स्थिति का अनुभव किया और सोचा कि वो क्या कर रहे हैं। विवेकानंद से रहा नहीं गया और उन्होंने कमरे का गेट खोल दिया। विवेकानंद एक वेश्या से पराजित हो गए। वो बाहर आकर बैठ गए। फिर उन्होंने डायरी में लिखा, ''ईश्‍वर से एक नया प्रकाश मिला है मुझे। डरा हुआ था मैं। जरूर कोई लालसा रही होगी मेरे भीतर। इसीलिए डर गया मैं। किंतु उस औरत ने मुझे पूरी तरह हरा दिया। मैंने कभी नहीं देखी ऐसी विशुद्ध आत्‍मा।'' उस रात उन्‍होंने अपनी डायरी में लिखा, ''अब मैं उस औरत के साथ बिस्‍तर में सो भी सकता था और कोई डर नहीं होता।''
सीख- इस घटना से विवेकानंद को तटस्थ रहने का ज्ञान मिला, आपका मन दुर्बल और निसहाय है। इसलिए कोई दृष्‍टि कोण पहले से तय मत करो।
सत्य का साथ कभी मत छोड़ो
प्रसंग- स्वामी विवेकानंद एक मेधावी छात्र थे। उनके सभी साथी स्वामी जी की पर्सनेलिटी के कायल थे। जब भी वह साथियों को कुछ सुनाते, सब बड़े ध्यान से उन्हें सुनते थे। एक दिन स्कूल की क्लास में वह साथियों को कहानी सुना रहे थे। तभी मास्टर जी क्लास में आ गए और किसी तो पता भी नहीं चला। मास्टर जी गुस्से में आ गए और स्टूडेंट्स से सवाल करने लगे। पूरी क्लास में सिर्फ विवेकानंद ने ही सवाल का सही उत्तर दिया। टीचर ने स्वामी जी को छोड़कर बाकी स्टूडेंट्स को बेंच पर खड़ा कर दिया। स्वामी जी जानते थे कि मेरे कारण ही साथियों को सजा मिल रही है। वह सही उत्तर देने के बाद भी बेंच पर खड़े हो गए। उन्होंने टीचर से कहा, ''मैं खुद ही अपने सभी साथियों को कहानी सुना रहा था। सजा मुझे भी मिलनी चाहिए।''
सीख- किसी भी स्थिति में सत्य का साथ नहीं छोड़ना चाहिए। सत्य में वह ताकत है जिससे किसी का भी दिल जीता जा सकता है
 केवल लक्ष्य पर ध्यान लगाओ
प्रसंग- स्वामी विवेकानंद अमेरिका में एक पुल से गुजर रहे थे। तभी उन्होंने देखा कि कुछ लड़के नदी में तैर रहे अंडे के छिलकों पर बन्दूक से निशाना लगा रहे थे। किसी भी लड़के का एक भी निशाना सही नहीं लग रहा था। स्वामी जी ने खुद बन्दूक संभाली और निशाना लगाने लगे। उन्होंने एक के बाद एक 12 सटीक निशाने लगाए। सभी लड़के दंग रह गए और उनसे पुछा- स्वामी जी, आप ये सब कैसे कर लेते हैं? इस पर स्वामी विवेकानंद ने कहा, ''जो भी काम करो अपना पूरा ध्यान उसी में लगाओ।''
सीख- जो काम करो, उसी में अपना पूरा ध्यान लगाओ। लक्ष्य बनाओ और उन्हें पाने के लिए प्रयास करो। सफलता हमेशा तुम्हारे कदम चूमेगी। 
 
मुसीबत से डर कर भागो मत, उसका सामना करो
प्रसंग- स्वामी विवेकनन्द एक बार बनारस में मां दुर्गा के मंदिर से लौट रहे थे, तभी बंदरों के एक झुंड ने उन्हें घेर लिया। बंदरों ने उनसे प्रसाद छिनने कोशिश की, स्वामी जी डर के मारे भागने लगे। इसके बाद भी बंदरों ने उनका पीछा नहीं छोड़ा। तभी पास खड़े एक बुजुर्ग सन्यासी ने विवेकानंद से कहा- रुको! डरो मत, उनका सामना करो और देखो क्या होता है। संन्यासी की बात मानकर वह फौरन पलटे और बंदरों की तरफ बढ़ने लगे। इसके बाद सभी बंदर एक-एक कर वहां से भाग निकले।
सीख- इस घटना से स्वामी जी को एक गंभीर सीख मिली। अगर तुम किसी चीज से डर गए हो, तो उससे भागो मत, पलटो और सामना करो। 
हमेशा महिलाओं का सम्मान करें
प्रसंग- एक बार एक विदेशी महिला स्वामी विवेकानंद के पास आकर बोली- मैं आपसे शादी करना चाहती हूं। विवेकानंद बोले- मुझसे ही क्यों? क्या आप जानती नहीं कि मैं एक संन्यासी हूं? महिला ने कहा, ''मैं आपके जैसा गौरवशाली, सुशील और तेजस्वी बेटा चाहती हूं और यह तभी संभव होगा। जब आप मुझसे शादी करें।'' स्वामी जी ने महिला से कहा, ''हमारी शादी तो संभव नहीं है, लेकिन एक उपाय जरूर है। मैं ही आपका पुत्र बन जाता हूं। आज से आप मेरी मां बन जाओ। आपको मेरे जैसा ही एक बेटा मिल जाएगा।'' इतना सुनते ही महिला स्वामी जी के पैरों में गिर गई और मांफी मांगने लगी।
सीख- एक सच्चा पुरूष वह है जो हर महिला के लिए अपने अंदर मातृत्व की भावना पैदा कर सके और महिलाओं का सम्मान कर सके। 
मां से बढ़कर कोई नहीं
प्रसंग- मां की महिमा जानने के लिए एक आदमी स्वामी विवेकानंद के पास आया। इसके लिए स्वामी जी ने आदमी से कहा, ''5 किलो का एक पत्थर कपड़े में लपेटकर पेट पर बांध लो और 24 घंटे बाद मेरे पास आना, तुम्हारे हर सवाल का उत्तर दूंगा।'' दिनभर पत्थर बांधकर वह आदमी घूमता रहा, थक-हारकर स्वामी जी के पास पंहुचा और बोला- मैं इस पत्थर का बोझ ज्यादा देर तक सहन नहीं कर सकता हूं। स्वामी जी मुस्कुराते हुए बोले, ''पेट पर बंधे इस पत्थर का बोझ तुमसे सहन नहीं होता। एक मां अपने पेट में पलने वाले बच्चे को पूरे नौ महीने तक ढ़ोती है और घर का सारा काम भी करती है। दूसरी घटना में स्वामी जी शिकागो धर्म संसद से लौटे तो जहाज से उतरते ही रेत से लिपटकर रोने गले थे। वह भारत की धरती को अपनी मां समझते थे और लिपटकर खूब रोए थे।
सीख- संसार में मां के सिवा कोई इतना धैर्यवान और सहनशील नहीं है। इसलिए मां से बढ़ कर इस दुनिया में कोई और नहीं है।